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CHANDRAVEER GARG
#Hidutva #हिंदूसंस्कृति Anupriya SainikKavi Rakesh Srivastava mithilani.@ Kajal The Poetry Writer #भक्ति
read moreRam Yadav
शाख से टूटे पत्ते कभी हरे नहीं होते ।।।।।।।।।। जिस संस्कृति की हम पैदाइश हैं ................. क्या ही बहस करें हम कौन हैं ।।।। हां एक दिन फिर सनातन की जड़ों में खुद को खोजेंगे ।।।।।।।।।।।। हां हम ढूंढेंगे इंसानियत को गीता और कैलाश में हरि ॐ २६.०१.२४ ©Ram Yadav #अध्यात्म #भारत #हिंदूसंस्कृति #सनातन
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read moreRight To Education
गणगौर की सभी को शुभकामनाएं । ©Right To Education #girl #गणगौर #हिंदू #हिंदूसंस्कृति #हिंदू_त्यौहार #Like #Comment #share #nojohindi #Nojoto
HANUMAN JI
#Hanuman |मर्द वह है जो लंका जला कर आया| #हिंदूसंस्कृति #Hindi #hinduism #hibdishayari #ramayan #Ramayan_Stories
read moreहिन्दू जय सेन
चीर कर बहा दो लहू दुश्मन के सीने का यही मजा तो है कट्टर हिन्दू होकर जीने का 🚩 जय श्री राम 🚩 ©हिन्दू जय सेन #हिंदूसंस्कृति
Rohit Kahar
मै भी धर्म समर्थक ©Rohit Kahar #सम्मेदशिखर #रिलिजन #हिंदूसंस्कृति #हिंदूधर्म #धर्म #धर्मकीराजनीति #धर्म_की_लड़ाई #जैनधर्म
Raju Mandloi
#_हमारे_प्राचीन_धनुष कुछ दिनों से सोशल मीडिया पर एक मैसेज प्रसारित हो रहा है जिसमें महर्षि दधिची की अस्थियों से तीन धनुष पिनाक, शांर्डग्य (शारंग) और गांडिव के बनने की बात कही जा रही है. इस भ्रामक पोस्ट को पढ़कर ही विचार आया कि हमारे पौराणिक आयुधों पर लिखा जाए. महर्षि दधिची की अस्थियों से केवल #_वज्र का निर्माण हुआ था जिसे देवराज इंद्र को दिया गया था. #_पिनाक, #_शांर्डग्य और #_गाण्डीव का निर्माण समाधिस्थ #_महर्षि_कण्व की मूर्धा पर उगे बांस से हुआ भगवान विश्वकर्मा ने किया था. जिन्हे क्रमशः आदिधनुर्धर महादेव, पालनकर्ता भगवान विष्णु और सृष्टि रचयिता भगवान ब्रह्मा को अर्पण किया गया. कालांतर में यह तीनों धनुष अलग अलग योद्धाओं द्वारा प्रयोग किये गए. सोशल मीडिया पर प्रसारित उस लेख में भीमपुत्र #_घटोत्कच का वध कर्ण द्वारा इंद्र से प्राप्त वज्र से होना बताया गया है, जो कि असत्य है. दानवीर कर्ण ने इंद्रदेव की आराधना कर उनसे #_अमोघ_अस्त्र प्राप्त किया था ना कि वज्र. घटोत्कच के वध का प्रसंग पढ़ने पर जानकारी मिलती है कि घटोत्कच जब कौरव सेना का संहार कर रहा था तब दुर्योधन के कहने पर कर्ण ने इसी अमोघ अस्त्र से घटोत्कच का वध किया था. सोशल मीडिया पर ऐसे भ्रामक लेख प्रसारित होना कोई नई बात नहीं है. कुछ अज्ञानी अथवा अल्पज्ञानी लोग आधी अधूरी बातें पढ़कर आधी बात मन से जोड़कर लेख लिख देते हैं. कर्ण के अमोघ अस्त्र, कर्ण के धनुष विजय और इंद्रदेव के वज्र तीनों का संबंध देवराज इंद्र से था, शायद इसी की आधी अधूरी जानकारी के साथ वह लेख तैय्यार कर दिया गया. वज्र #_शस्त्र श्रेणी का आयुध है जबकि धनुष से #_अस्त्र श्रेणी के आयुध छोड़े जाते हैं. इन दोनों में सामान्य सा अंतर है अस्त्र किसी यंत्र के द्वारा चलाए जाते हैं जैसे धनुष से बाण चलाया जाता है. जबकि शस्त्र को तलवार की तरह हाथ में पकड़कर या हाथ से फेंककर वार किया जाता है. इस लेख में हमारे दिव्य धनुषों के बार में लिखता हूँ, किस योद्धा के पास कौनसा धनुष था. 1:- भगवान शिव:- पिनाक धनुष शिव जी को अर्पित किया गया था. पिनाक को अजगव भी कहा गया है. शिव जी के पास और भी कई धनुष थे. त्रिपुरांतक धनुष से उन्होंने मयासुर द्वारा बनाए त्रिपुर को नष्ट किया था. शिव जी के पास रुद्र नामक एक और धनुष का उल्लेख मिलता है जिसे बाद में भगवान बलराम ने प्राप्त किया था. 2:- भगवान विष्णु:- शांर्डग्य (शारंग) धनुष विष्णु जी को अर्पित किया गया था जिसे उन्होंने धारण किया. इसे शर्ख के नाम से भी जाना गया. यह धनुष भगवान परशुराम और योगेश्वर श्री कृष्ण ने प्राप्त किया था. 3:- भगवान ब्रह्मा :- भगवान ब्रह्मा को गांडिव धनुष अर्पित किया गया था. जिसे अग्निदेव, दैत्यराज वृषपर्वा और अंत में सव्यसांची अर्जुन ने प्राप्त किया. 4:- भगवान परशुराम :- भगवान परशुराम के पास अनेक धनुष थे. उन्होंने अपने गुरु महादेव से पिनाक, भगवान विष्णु से शांर्डग्य (शारंग) और देवराज इंद्र से विजय नामक धनुष प्राप्त किया था. यह विजय धनुष उन्होंने अपने शिष्य कर्ण को दिया था. 5:- प्रभु श्री राम:- भगवान राम जिस धनुष को धारण करते थे उसका नाम कोदण्ड था. रामचरित मानस में प्रभु के धनुष को सारंग भी कहा गया है, परंतु वह धनुष शब्द का पर्यायवाची शब्द सारंग है ना कि विष्णु जी का धनुष शांर्डग्य. 6:- लंकापति रावण:- रावण के पास पौलत्स्य नामक धनुष था. जिसे द्वापर युग में घटोत्कच ने प्राप्त किया था. एक समय पर रावण ने शिव जी से पिनाक भी प्राप्त किया था, परंतु उसे धारण नहीं कर पाया. 7:- श्री कृष्ण :- योगेश्वर श्री कृष्ण का मुख्य आयुध सुदर्शन चक्र था परंतु उन्होंने भी शांर्डग्य (शारंग) धनुष को धारण किया था. 8:- भगवान बलराम:- बल दऊ के धनुष का नाम रुद्र था जो उन्होने भगवान शिव से प्राप्त किया था. 9:- भगवान कार्तिकेय :- इन्होंने अपने पिता भगवान शिव के धनुष पिनाक को धारण किया था. 10:- देवराज इंद्र:- इंद्रदेव ने विजय नामक धनुष को धारण किया जिसे उन्होंने भगवान परशुराम जी को दे दिया. 11:- कामदेव:- कामदेव ने ईख (गन्ने) की छड़ी पर मधुमक्खी के तार से बनी प्रत्यंचा से तैय्यार पुष्पधनु नामक धनुष को धारण किया था. 12:- युधिष्ठिर :- युधिष्ठिर जी ने महेंद्र नामक धनुष को धारण किया था. 13:- भीम:- भीमसेन ने वायुदेव से प्राप्त वायव्य धनुष को धारण किया था. 14:- कौन्तेय अर्जुन:- अर्जुन ने ब्रह्मा जी के धनुष गांडिव को धारण किया था. जिसे उसने खांडवप्रस्थ में मयदानव से प्राप्त किया था. 15:- नकुल:- नकुल ने भगवान विष्णु से प्राप्त वैष्णव धनुष को धारण किया था. 16:- सहदेव:- सहदेव ने अश्विनी कुमारों से प्राप्त अश्विनी नामक धनुष को धारण किया था. 17:- कर्ण:- कर्ण ने अपने गुरु भगवान परशुराम से देवराज इंद्र का विजय धनुष प्राप्त किया था. इंद्रदेव की उपासना कर कर्ण ने अमोघास्त्र भी प्राप्त किया था. 18:- अभिमन्यु:- अभिमन्यु ने अपने गुरु और मामा भगवान बलराम से भगवान शिव का धनुष रुद्र प्राप्त किया था. 19:- घटोत्कच :- घटोत्कच ने लंकापति रावण का धनुष पौलत्स्य प्राप्त किया. (उप पाण्डव:- पाण्डवों और द्रौपदी से उत्पन्न पुत्रों को उप पाण्डव कहा गया) 20:- प्रतिविंध्य:- युधिष्ठिर के इस पुत्र ने रौद्र नामक धनुष का प्रयोग किया. 21:- सूतसोम:- भीमसेन के इस पुत्र ने आग्नेय नामक धनुष प्राप्त किया. 22:- श्रुतकर्मा:- अर्जुन के इस पुत्र ने कावेरी नामक धनुष का प्रयोग किया. 23:- शतनिक:- नकुल के इस पुत्र को यम्या नामक धनुष प्राप्त हुआ. 24:- श्रुतसेन:- सहदेव के पुत्र ने गिरिषा नामक धनुष का प्रयोग किया. कुरुवंश के कुल गुरु 25:- द्रोणाचार्य :- आचार्य द्रोण ने महर्षि अंगिरस से प्राप्त आंगिरस धनुष का प्रयोग किया. हमारे सनातन इतिहास में कई दिव्य अस्त्र-शस्त्र हुए हैं, यहां मैंने केवल धनुषों के नाम लिखे हैं. आगे अन्य अस्त्र शस्त्रों के विषय में भी लिखूँगा. #_जय_सत्य_सनातन_धर्म_की © Madhav Mishra ---#_राज_सिंह--- ©Raju Mandloi #महर्षि #हिंदूसंस्कृति