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CalmKazi
टूटी चारपाई पर पसरी ज़िंदगी, कमबख़्त हर करवट आहट होती है । शोर #CalmKaziShorts क्लिक करें, और पढ़ें #CalmKaziWrites #YQBaba #Musings #Hindi #life #ज़िंदगी #चारपाई
शोर #CalmKaziShorts क्लिक करें, और पढ़ें #calmkaziwrites #yqbaba #musings #Hindi life #ज़िंदगी #चारपाई
read moreAnupam Tiwari
dilip khan anpadh
चारपाई ****** एक दिन बड़े भाव से बोली मेरी चारपाई भोजन थोड़ा कम करो मैं टूट परूँगी भाई। मैंने पांव पसारा बोला माँ लेती है मेरी बलाई तुम ही थोड़ी चौरा हो लो क्यों देती है ये दुहाई? थोड़ा चूं-चाँ करके बोली दुस्सासन बोल मुझे वो तौली भारी हो तुम टन भर ऐसे बंद करो ये भाषण बोली। एक तो तेरे काम मैं आऊं भीतर से खटमल कटबाउं सेहत मेरी बिगड़ गई है बृद्धा सी मैं लटक गई हूँ तझको कोई ध्यान नही है सिवा पेट सम्मान नहीं है तीन मन हो खाना खाते लटक मुझी में हो सो जाते। आने दो तेरी घरवाली वो होगी जो नखरे वाली देखेगी मुझको नफरत से तब होगी मेरी रखवाली। मैं भी जरा तुनक के बोला खून मेरा थोड़ा था खौला कल ही तुझको बेच मैं आता पलंग लगा फिर मैं सो जाता। चारपाई का मान घटा फिर सेवा का अरमान घटा फिर करवट लेते ही चर्राई धम्म से गिरा वो मोटा भाई। बोली कमर न होगी सीधी वैद्य बुलाओ, करो कोई विधि तुमने जो अपमान किया है मैंने भी दम साध लिया है चारपाई ने सुसाइड कर ली चारो पांव बिखड़ के चल दी मैं निगोड़ा हांफ रहा था दर्द के उसको भांप रहा था उस रात मैं सो ना पाया पौवे से लिपट चिल्लाया ताऊ जी दौड़े से आए देख खटिया दो लात जमाए। दिलीप कुमार खाँ""अनपढ़"" #alone #चारपाई #हास्य #हिंदी
Bhairav
*चार-पाई* कमाने मे..💰 आदमी कब बूढ़ा होकर...👨🏻🦳 खुद *चारपाई* पकड़ लेता है, पता ही नही चलता....🙆🏻♂ इसलिये बस हँसते रहे,मुस्कुराते रहे....😛 💐🤝🏻💐 राधे-राधे #चारपाई
Hasanand Chhatwani
'चार पाई' कमाने में आदमी कब बूढ़ा होकर, खुद , 'चारपाई' पकड़ लेता है पता ही नहीं चलता #चार पाईं #चारपाई #
Anil Siwach
|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 10 ।।श्री हरिः।। 16 - राजस त्याग दु:खमित्येव यत्कर्म कायक्लेशभयात्यजेत्। स कृत्वा राजसं त्यागं नैव त्यागफलं लभेत्।। (गीता 18।8)
read morechameleonharsh
RAJ SINGH ✔️
लेखक का कमरा / -राज कभी देखा है तुमने लेखक का कमरा ? दिन भर धूप में घूम शाम को जब लौटता है लेखक तो अँधेरी सड़कों को बहुत टटोल कर चलता है #Poetry
read moreLove Prashar
#mylove #village #nojoto #Facebook #DPF शीर्षक : मेरा गांव मेरे जीवन का सार इक अरसा होगया आज घर गए बरामदे वाले पेड़ के निचे चारपाई डाले सोये हुए आखिरी मर्तबा जब गया था गांव कुछ थोड़ा बहुत बदल गया था पर फिर भी सुकून बोहत था
Manjari Shukla
पुछल्लू और मटुरिया की होली मटुरिया चुहिया गुस्से से, अपने बिल के एक कोने से दूसरे कोने में पैर पटकते हुए घूम रही थी और बड़बड़ा रही थी-"मेरा तो काम करते - करते भुर्ता बना जा रहा हैI" पुछल्लू चूहा बेचारा दुम दबाए बैठा हुआ थाI मटुरिया अपनी महीन आवाज़ में फ़िर पिनपिनाई-"सुबह से तीन बार दाल बाटी गर्म कर चुकी हूँI चुपचाप खाते क्यों नहीं?"
पुछल्लू और मटुरिया की होली मटुरिया चुहिया गुस्से से, अपने बिल के एक कोने से दूसरे कोने में पैर पटकते हुए घूम रही थी और बड़बड़ा रही थी-"मेरा तो काम करते - करते भुर्ता बना जा रहा हैI" पुछल्लू चूहा बेचारा दुम दबाए बैठा हुआ थाI मटुरिया अपनी महीन आवाज़ में फ़िर पिनपिनाई-"सुबह से तीन बार दाल बाटी गर्म कर चुकी हूँI चुपचाप खाते क्यों नहीं?" #Books
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