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Ruhi
exam खत्म हो गए हैं अब छुट्टियां भी सुरु हों गई है सब अपने अपने घर जा रहे हैं अपनी मां से मिलने अपने गांव को देखने सबके चेहरे पर एक अलग सी खुशी छाई है सब खुश नज़र आ रहे हैं! आख़िर खुश क्यों न हों घर जाना है भाई खुशी तो सबको ही होगी; हां पर ये खूशी सबको नसीब नहीं होती, कुछ लोग छुट्टियों में भी घर नही जा पाते हैं ये अफसोस उन्हें बहुत दुःख देता है पर अब क्या कर सकते हैं सबकी क़िस्मत एक जैसी कहां होती है ©Ruhi #घर #घर_की_याद mujhe bhi ghar jana hai..but afsos 😊चाँदनी SIDDHARTH.SHENDE.sid Nikhil Kumar Gori #Rahul
#घर #घर_की_याद mujhe bhi ghar jana hai..but afsos 😊चाँदनी SIDDHARTH.SHENDE.sid Nikhil Kumar Gori #Rahul #Life
read morevishal kumar
जब भी कोई दुःख, पीड़ा, समस्या हम पर आती है न।।।।। तो वही एक रास्ता नजर आता है,, जो हमारे घर की ओर ले जाता है।। ©vishal kumar #घर_की_याद Anshu writer पूजा उदेशी Pushpmala pandey mishraa mysterious boy Farhan Shaikh ✔️ mysterious boy Er.ABHISHEK SHUKLA Deepak Gupta Nusrat Shaikh Shayar Abhiraaj Kashyap Riyashaikh HÈÄR† ßÈĆ dream SgR… HOLOCAUST SHANDILYA Sharda Rajput Niraj Chauhanhttps://youtu.be/fiJTGuK0lsM sAtYaM Priyanka Thakur Komal kasyap Rupesh333 Mohan337 Harsh pandit Priyanka Yadav masakali Dr. Sonia shastri
#घर_की_याद Anshu writer पूजा उदेशी Pushpmala pandey mishraa mysterious boy Farhan Shaikh ✔️ mysterious boy Er.ABHISHEK SHUKLA Deepak Gupta Nusrat Shaikh Shayar Abhiraaj Kashyap Riyashaikh HÈÄR† ßÈĆ dream SgR… HOLOCAUST SHANDILYA Sharda Rajput Niraj Chauhanhttps://youtu.be/fiJTGuK0lsM sAtYaM Priyanka Thakur Komal kasyap Rupesh333 Mohan337 Harsh pandit Priyanka Yadav masakali Dr. Sonia shastri #शायरी
read moreanu kumari
सोच कर गई थी आंसू बचा लूंगी कोई कुछ भी कहे लब पर दबा दूंगी ठीक है , फरक क्या ही पड़ता है ऐसा जता दूंगी ।। बस सोच रखा था आना जाना तो है ही मिलना - गुमाना तो है ही थोड़े महीनो की बात तो है ही यूं पलक झपकते गुजार दूंगी ।। पर वो दहलीज लांघते वक्त दिल भर आया आंखो ने तब तक तो साथ दिया पर जब मम्मी ने जब जोर से गले लगाया आंख सह नहीं पाया । खैर ठंड थी बहुत और अंधेरा भी आंखो को थोड़ा उनकी आंखों से बचाया ।। पापा की शर्ट भीग ना जाए इसलिए आज उनसे दूर बैठी थी वो भांप ना ले आंसुओ को इसलिए चुपचाप भी बैठी थी शायद समझ रहे थे वो की क्या चल रहा मेरे दिल ओ दिमाग में उन्होंने भी कुछ कहा नहीं और अलविदा कहने का आखिर वक्त आया ।। समझ आया कि उम्र की किसी भी दहलीज पर आपको घर याद आएगा।। कितने भी बड़े हो जाए घर छोड़ते वक्त आंख और दिल दोनो भर आएगा।। वो सुकून जो तुम छोड़ कर जा रहे, वो मुस्कुराहट जिसे तुम रुला रहे तुम्हे बहुत याद आएगा ।।।। फिर भी घर वापसी की उम्मीद लिए हम निकल चुके है अपनो के लिए अपनो से दूर...... ©anu kumari #घर #घर_की_याद #
Rishikant Shukla
घर से हम जब भी निकले कमाने तब तब मां को रोता पाया हमने। सपने मां के पूरे करने हैं इसलिए घर छोड़ कर जाना पड़ता है हमे। ©Rishikant Shukla #मां का प्यार #घर_की_याद #मां #सपनें #Sea
Anand Ranjan
तल करके पूरी पकवान वो दीए सजाए बैठी है आयेंगे उसके भी राम मां आस लगाए बैठी है कलयुग के इस रावण को क्या तुम इसबार हराओगे पैसे तो हो भेज चुके क्या खुद भी घर को जाओगे...???? ©Anand Ranjan #दीवाली #दीपावली #राम #घर_की_याद #घर_से_दूर_रहने_वालों_के_लिए #घर #Diwali
AhMeD RaZa QurEsHi
The words in the letter वो खत लिखता है अपनों को तो उनकी याद लिखता है तमन्नाओं का उमड़ा दिल में वो सैलाब लिखता है है साथी तो कहीं जो उसका मन बहलाते रहते है मगर वो अपनी "मां" की दीद का पैगाम लिखता है 📝Ahmedqureshi #घर_की_याद #मियां
Er Meghvrat Arya
रात में एक कॉल आता है, माँ का. बस कुछ सवाल पूछती है, जैसे, तेरा फीवर🤒🤕 अब कैसा है? अब तो याद😒 नहीं आती ना उसकी 👩🏻? अब भी पूरी रात जागकर उसके लिए पोएम✍🏻 तो नहीं लिखता ना? खाने में क्या बना था? दाल कौन सी बनी थी, सब्ज़ी किसकी थी। वहाँ मौसम कैसा है? ज़्यादा बारिश तो नहीं हो रही? रात को नींद तो आती है ना? बहुत देर तक तो नहीं जागता? दाढ़ी फिर से तो नहीं बढ़ा ली? घर कब आएगा? कमसे कम दीवाली पे तो आ ही जाना? तू ठीक है ना? अब कैसे बता दू की इस बार भी दिवाली घर नही आना है. 2 साल से ज्यादा हो गए घर गए हुए. शायद इन्हीं सवालों के जवाब उसकी सारी बेचैनियों को शांत करने के लिए काफ़ी हैं। ❤️ #Miss_You_Home....😭😕😒😏 #NojotoQuote #घर_की_याद
@AV
"मेरा घर मुझे वाकई बहुत याद आता है" घर जाता हूं तो मेरा ही बैग मुझे चिढ़ाती है, मेहमान हूं अब ये पल-पल मुझे बताता है || मां कहती है सामान बैग में फौरन डालो , हर बार तुम्हारा कुछ न कुछ छूट जाता है || घर पहुंचने से पहले लौटने का टिकट ,परिंदे सा उड़ता जाता है|| उंगलियों पर लेकर जाता हूं गिनती के दिन, फिसलते हुए जाने का दिन पास आ जाता || अब कब होगा आना , सबका पूछना ये उदास सवाल भीतर तक बिखराता है|| घर के दरवाजे से निकलने तक बैग में कुछ-न-कुछ भरते जाता हूं, जिस घर की सीढ़ियां भी मुझे पहचानती थी घर के कमरे की चप्पे-चप्पे में बसता था मैं, अब लाइट्स , फैन के स्विच भूल डगमगाता हूं || पास पड़ोस जहां था बच्चा भी वाकिफ, बड़े-बुजुर्ग बेटा कब आया पूछने चले आते हैं | कब तक रहोगे पूछकर अनजाने में वो घाँव एक और गहरा कर जाते हैं|| ट्रेन/बस में मां के हाथों की बनी रोटियां , रोती हुई आंखों में धुंधला जाता है | लौटते वक्त वजनी हुआ बैग , सीट के नीचे पड़ा खुद उदास हो जाता है|| तू एक मेहमान है, अब ये पल मुझे बताता है|| मेरा घर मुझे वाकई बहुत याद आता है || #AV #घर_की_याद #home 🏡 #Family 👪 #Zindgi @AV ✔ ♈
#घर_की_याद #Home 🏡 #Family 👪 #zindgi @AV ✔ ♈ #Av
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