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Ghumnam Gautam
हम कहाँ ये कह रहे हैं― क्रुद्ध हो के देखिए मन से कर्म से वचन से शुध्द हो के देखिए जो भी हो चुके हैं आप ज्ञात है हमें मगर― हिन्द की परंपरा में बुध्द होके देखिए ©Ghumnam Gautam #आप #ज्ञात #बुद्ध #परम्परा #हिन्द #ghumnamgautam #मुक्तक
Satish Chandra
#व्याप्त #YQdidi YourQuote Didi #हिन्दी_ऊर्दू #अधूरा #पूरा #मुसलसल #बादल #ख़ामोश #वजूद #तलाश
Sharmila'S Diary
या जगात एकमेव गोष्ट स्थिर आहे आणि ती म्हणजे बदल. कृपया, मला समजून घेण्याचा प्रयत्न करु नका. आता, मला स्वतःला समजून घेण्याची वेळ आली आहे. मी ज्ञात अनोळखी व्यक्तीपासून स्वत:ला मजबूत बनविण्यास सक्षम आहे...!! 😊😇 #uwots #एकमेव #बदल #प्रयत्नकरुनका #वेळ #अनोळखी #ज्ञात #मजबूत #uwots Sharmila'S Diary @uwots @Sharmila'S_Diary
Raj Birje
रंग लेखणीचे परिवार उपक्रम:शब्दचारोळी शब्द:ज्ञात पत्ता:मुंबई ज्ञात आहे मला आज काही विचित्र गोष्ट घडणार काही अज्ञातांकडूनच माझं आज शिरच्छेद होणार। ©विद्रोही
Pnkj Dixit
#OpenPoetry 🌷👰💓 प्रेम - पथ पर कब कहाँ कैसे होगा मिलन ? सब अज्ञात है । आत्मीय प्रेम हुआ है , हमको यही ज्ञात है । प्रेम होता है , सदा निष्काम भक्ति भाव से । मीरा का कान्हा से हुआ ,यही सच्ची बात है । प्रेम करके देखिए , सब सुख होता पास है । कभी गोकुल कभी वृंदावन , प्रेम कृष्ण नाथ है । प्रेम सौदागर ,लाभ-हानि ,यश-अपयश से दूर है । उच्च सिंहासन , महल - अम्बर , मिट्टी ये गात है । सफल मधुकर , हंस - चातक , सीप का प्रयास है । प्रेम बिना जीवन नरक ,पूर्णिमा अमावस्या की रात है । बाधाएँ आती , सुलझती हैं , प्रेम हारता नहीं । विष भी अमृत होता है , गुण धर्म प्रकृति बात है । कहाँ - क्या घटित हो जाए ? यहाँ सब अज्ञात है । प्रेम -पथ पर सर्वस्व न्योछावर , जल -कमल से ज्ञात है । ०६/०८/२०१९ 🌷👰💓💝 ...✍ कमल शर्मा बेधड़क' 🌷👰💓 प्रेम - पथ पर कब कहाँ कैसे होगा मिलन ? सब अज्ञात है । आत्मीय प्रेम हुआ है , हमको यही ज्ञात है । प्रेम होता है , सदा निष्काम भक्ति भाव से । मीरा का कान्हा से हुआ ,यही सच्ची बात है ।
🌷👰💓 प्रेम - पथ पर कब कहाँ कैसे होगा मिलन ? सब अज्ञात है । आत्मीय प्रेम हुआ है , हमको यही ज्ञात है । प्रेम होता है , सदा निष्काम भक्ति भाव से । मीरा का कान्हा से हुआ ,यही सच्ची बात है ।
read moreAmit Gupta
*तस्वीर जम्मू कश्मीर की* हां मैं निसंदेह मानता हूं यहां की हसीं वादियों में बसी है मुहब्बत, मगर ये भी तो ज्ञात हो यहीं नित्य पनपते हैं लोगों में बेहिसाब नफरत । आखिर कब तलक लिखी जाएंगी सौन्दर्य कविताएं जम्मू कश्मीर की, आखिर कब तलक दिखाएंगे हम एक ही पहलू इसके तस्वीर की ? हां मैं निसंदेह मानता हूं, कश्मीर की धरती पर पसरा है जन्नत का मंजर, पर यह भी तो सर्वविदित हो कि यहीं चलती है नित्य खूनी खंजर । आखिर कब तलक लिखी जाएंगी सौन्दर्य कविताएं जम्मू कश्मीर की, आखिर कब तलक दिखाएंगे हम एक ही पहलू इसके तस्वीर की ? हां मैं निसंदेह मानता हूं, है यहां झीलों के सीने में लिपटे बहारें, पर क्या यह सच नहीं यहीं से उठती है ताबूत लिपटे तिरंगे से सैनिकों की हमारें । आखिर कब तलक लिखी जाएंगी सौन्दर्य कविताएं जम्मू कश्मीर की, आखिर कब तलक दिखाएंगे हम एक ही पहलू इसके तस्वीर की ? हां मैं निसंदेह मानता हूं यही झिलमिलाती है झीलों की कनक सी जेवर, मगर ये भी तो ज्ञात हो कि यहीं होते हैं अक्सर लोगो के हिंसक तेवर । आखिर कब तलक लिखी जाएंगी सौन्दर्य कविताएं जम्मू कश्मीर की, आखिर कब तलक दिखाएंगे हम एक ही पहलू इसके तस्वीर की ? हां मैं निसंदेह मानता हूं यहां कुदरत भी करती है इसकी इबादत, मगर ये भी तो दृष्टांत हो यहीं अकसर होती है सैनिकों कि शहादत । आखिर कब तलक लिखी जाएंगी सौन्दर्य कविताएं जम्मू कश्मीर की, आखिर कब तलक दिखाएंगे हम एक ही पहलू इसके तस्वीर की ? अमित गुप्ता पुलवामा अटैक
पुलवामा अटैक
read moreAmit Gupta
*तस्वीर जम्मू कश्मीर की* हां मैं निसंदेह मानता हूं यहां की हसीं वादियों में बसी है मुहब्बत, मगर ये भी तो ज्ञात हो यहीं नित्य पनपते हैं लोगों में बेहिसाब नफरत । आखिर कब तलक लिखी जाएंगी सौन्दर्य कविताएं जम्मू कश्मीर की, आखिर कब तलक दिखाएंगे हम एक ही पहलू इसके तस्वीर की ? हां मैं निसंदेह मानता हूं, कश्मीर की धरती पर पसरा है जन्नत का मंजर, पर यह भी तो सर्वविदित हो कि यहीं चलती है नित्य खूनी खंजर । आखिर कब तलक लिखी जाएंगी सौन्दर्य कविताएं जम्मू कश्मीर की, आखिर कब तलक दिखाएंगे हम एक ही पहलू इसके तस्वीर की ? हां मैं निसंदेह मानता हूं, है यहां झीलों के सीने में लिपटे बहारें, पर क्या यह सच नहीं यहीं से उठती है ताबूत लिपटे तिरंगे से सैनिकों की हमारें । आखिर कब तलक लिखी जाएंगी सौन्दर्य कविताएं जम्मू कश्मीर की, आखिर कब तलक दिखाएंगे हम एक ही पहलू इसके तस्वीर की ? हां मैं निसंदेह मानता हूं यही झिलमिलाती है झीलों की कनक सी जेवर, मगर ये भी तो ज्ञात हो कि यहीं होते हैं अक्सर लोगो के हिंसक तेवर । आखिर कब तलक लिखी जाएंगी सौन्दर्य कविताएं जम्मू कश्मीर की, आखिर कब तलक दिखाएंगे हम एक ही पहलू इसके तस्वीर की ? हां मैं निसंदेह मानता हूं यहां कुदरत भी करती है इसकी इबादत, मगर ये भी तो दृष्टांत हो यहीं अकसर होती है सैनिकों कि शहादत । आखिर कब तलक लिखी जाएंगी सौन्दर्य कविताएं जम्मू कश्मीर की, आखिर कब तलक दिखाएंगे हम एक ही पहलू इसके तस्वीर की ? अमित गुप्ता पुलवामा अटैक
पुलवामा अटैक
read moreआशुतोष सिंह
इस दुनिया मे अज्ञात जितनी चीज़ें रहीं हैं ! वो हमेशा ज्ञात से बेहद दूर रहीं हैं ! सच हमेशा झूठ से बेहद ही दूर रहा है ! प्रेम हमेशा ही घृणा से बेहद दूर रहा है ! ये दोनों अलग अलग किनारों पर रहें हैं लेकिन इसमें कोई तर्क नही है कि ज्ञात का अज्ञात से,सच का झूठ से और प्रेम का घृणा से कोई संबंध नही रहा है ! दोनों एक ही नदी के दो किनारे रहें हैं ! #NojotoQuote
Anil Siwach
|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 9 || श्री हरि: || 11 - जिज्ञासु 'प्रकृति भी भूल करती है।' अपने आप डाक्टर हडसन कह रहे थे। उन्होंने साबुन से हाथ धोये और आपरेशन-ड्रेस बदलने लगे। 'जड़ नहीं जड़ तो कभी भूल नहीं करता। उसमें भूल करने की योग्यता ही कहां होती है। मशीन तो निश्चित ही कार्य करेगी।' आज जिस शव का डाक्टर ने आपरेशन किया था, उसने एक नयी समस्या खड़ी कर दी। बात यह थी कि जिस किसी का भी वह शव हो इतना तो निश्चित ही था कि उसने अपनी लगभग साठ वर्ष की आयु पूर्ण की है और उसका शरीर सिद्ध करता है कि
read moreAjay Amitabh Suman
नमक बेईमानी का अरोड़ा साहब का कपड़ों के इंपोर्ट और एक्सपोर्ट का दिल्ली में बहुत बड़ा कारोबार था। अक्सर वो चीन के व्यापारियों से संपर्क करके उनसे कपड़ों के एक्सपोर्ट का आर्डर लेते, फिर अपनी फैक्ट्री में कपड़ों को बनवा कर चीन भेज देते। इस काम में अरोड़ा साहब को बहुत मुनाफा होता था। उनकी इंपोर्ट और एक्सपोर्ट डिपार्टमेंट में बहुत बड़ी पहुंच थी। अरोड़ा साहब इस बात का बराबर ख्याल रखते कि दिवाली या नए वर्ष के समय एक्सपोर्ट डिपार्टमेंट के सरकारी कर्मचारियों के पास बख्शीश समय पर पहुंच जाए। ये अरोड़ा साहब
नमक बेईमानी का अरोड़ा साहब का कपड़ों के इंपोर्ट और एक्सपोर्ट का दिल्ली में बहुत बड़ा कारोबार था। अक्सर वो चीन के व्यापारियों से संपर्क करके उनसे कपड़ों के एक्सपोर्ट का आर्डर लेते, फिर अपनी फैक्ट्री में कपड़ों को बनवा कर चीन भेज देते। इस काम में अरोड़ा साहब को बहुत मुनाफा होता था। उनकी इंपोर्ट और एक्सपोर्ट डिपार्टमेंट में बहुत बड़ी पहुंच थी। अरोड़ा साहब इस बात का बराबर ख्याल रखते कि दिवाली या नए वर्ष के समय एक्सपोर्ट डिपार्टमेंट के सरकारी कर्मचारियों के पास बख्शीश समय पर पहुंच जाए। ये अरोड़ा साहब #kahani #katha #nojotophoto #Corruption #dishonesty #laghu_katha
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