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Richa
हूँ रूबरू कितने नन्हें किस्सों से हूँ मिल जाती कभी अपने ही हिस्सों से हूँ दोहराती जैसे अपने ही नग़मों को अनलिखे अनकहे हर लफ्जों को... हूँ सफर में व्यस्त हर पहर में हूँ गिरती सम्भलती हर लहर में हूँ रहती आज़ाद मग़र कैद में अपने ही आसमां में बेचैन मैं।। ©Richa हूँ रूबरू कितने नन्हें #किस्सों से हूँ मिल जाती कभी अपने ही हिस्सों से हूँ दोहराती जैसे अपने ही नग़मों को #अनलिखे अनकहे हर लफ्जों को... हूँ सफर में व्यस्त हर पहर में हूँ गिरती सम्भलती हर लहर में
Harminder Kaur
Gopal Pandit
sutter 😍😍
!! उडती हुई #अफवाहों के जवाब तो बहुत थे मेरे पास !! !! मगर खत्म हुए #किस्सों की खामोशी ही बेहतर लगी !!
Ishver1999 vaishnav,tiger
उडती हुई #अफवाहों के जवाब तो बहुत थे मेरे पास.... मगर खत्म हुए #किस्सों की खामोशी ही बेहतर लगी...!!❤️
Rahul Chhawal
#किस्सों में ढूंढा गया मुझे पर मैं तो कहानी में था आप तो किनारे से लौट आये मैं वहीं पानी मे था... #RahulChhawal... #Happy_promise_day_kisse
यश वर्मा ✍️ (Shivam Verma)
कितने बदल गए हो तुम, पर अब भी अपने हर किस्सों में, तुम्हारा ही नाम सुनाऊंगा । रवायत भले न तुमको मेरी ज़रा सी, आईना जब भी रखोगे सामने तो मैं याद आऊंगा। #बदल #किस्सों #रवायात #आइना #यश_वर्मा ✍️
__alfaj_
@__alfaj_ गज़ब का लिखता हूं ना मै तेरे बेवफ़ाई के किस्सों को --S.K. #गज़ब का #लिखता हूं ना #मै #तेरे #बेवफ़ाई के #किस्सों को
paras Dlonelystar
रिश्ते की शुरुआत कहाँ से हो शुरुआत ,अधूरे किस्सों की लफ्ज़ बेबुनियादी बन गए,कोरे हिस्सों की जहां ना तुम थे , ना मौजूदगी हमारी वहाँ ठहरती कहाँ , परछाइयां ,रिश्तों की हो कहाँ से शुरुआत...अधूरे किस्सों की #पारस #रिश्ते #किस्से
M. LOHAR
अपने जब पराये हो जाते हैं, क्या लिखूँ, किस तरह ज़ाहिर करूँ. चंद अल्फ़ाज़ चंद लम्हें बयाँ भी तो नहीं कर सकते की रूह के कितने करीब होते हैं अपने, हर पल के किस्सों में जुड़े होते हैं अपने, बात जब बेख्याली की हो, या हो खुशियों के बहार की, उन सारे किस्सों की नींव होते हैं अपने.. आज लिखने तो बैठा हूँ मैं, कुछ ऐसे हक़ीक़त के फ़लसफ़ा के बारे में.. पर मानो उंगलियां थम सी गई हैं, जिस ज़ीवन के आधारशिला को मज़बूती देता हैं परिवार.. आज इसी मज़बूती को तार तार कर गए हैं अपने. आज सिर्फ़ मतलब छुपा हैं हर रिश्तों में, मतलब की दुनिया में रम गए हैं अपने, रिश्तों की डोरी जिस अपने पन और प्रेम से पिरो कर सजा करती थी. आज ढूँढा करते हैं एक बहाना सारे, दूर चले जाने को अपने. आज नहीं हैं वो कंधे, जिनपर सर रख कर रोया जाए. नहीं है वो गोदी जिसपर सुकून भारी नींद आए. नहीं रहे वो साथी, जिनके साथ वक़्त के उन लम्हों को बांटा जाए, जिन लम्हो में हम आज भी अकेले हैं.. काश, लौट आए वो पुराने दौर, जिनमें अपने और परायों की पहचान तक नही हो पाती थी.. काश.......... #paraye