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Prakash Vidyarthi
White "मन की आवाज़" अथवा :- गंगा सी दीवानी कीचड़ सा आंवारा प्यार की आदत उसने लगाई और आदि मैं हों गया। उसके मन की आवाज का बिग फैन विनय हों गया।। वो गंगा सी दीवानी स्वच्छ निर्मल नीर बहती जलधारा। मुझ कीचड़ सा आवांरा दीवाना संग मेल पर संशय हों गया।। मानो वो अमृत की पावन प्रीत प्याली मैं विष का मामूली । टुकड़ा का एक दूजे में लगा रासायनिक विलय हों गया।। दोस्ती उससे ऐसे हुई जैसे सुर ताल संगीत एक लय हों गया। कहीं रूठ न जाए मेरी छोटी मोटी । गलतियों से थोडा-सा भय हों गया।। सोचा था कभी फुर्सत में सुनाऊंगा उसे अपनी दास्तान,गज़ल,गीत,। कविता कहानी का दर्द भरा इंतेहां अग्नि परीक्षा प्यारा परिणाम।। पर दिल थम सा गया ,सुना जब उसका रिश्ता कही तय हों गया। मेरे गुमशुदे ईश्क प्रेम मोहब्बत के अन्तिम दृश्य का समय हों गया ।। प्यार के बाजारों में उसके सोने का दिल किसी क्रेता के नाम बय हो गया। रजिस्ट्री यानी बिक्री जोर बेईमानी तिलक दहेज़ भीं सब तय हों गया।। दावत दिया था भोज का उसने अपनी सजी महफिल में मुझे। पर मै शर्मिन्दा हों गया खुदको। हारते हुए गिरते हुए देखकर।। बाजीगर मैं बना बाजीगर पर कोई। और उसका विजय हों गया।। मूंह मीठा करने ही वाला था की । अचानक मुझे उल्टी कय हों गया।। डॉक्टर ने कहा ठीक हों जायेगा ये धीरे धीरे दिल का रोगी पागल प्रेमी।। इसका धड़कन बड़ा नाज़ुक हैं। कोमल हृदय सह मासूम हैं ।। इसे प्यार की खुराक की जरूरत हैं। क्योंकि इसके दिल जान मोहब्बत ।। प्रेमिका सपना का छय हों गया जैसे दिल का कोई पय हों गया।। शमा बांधकर महफिल में रंग जमाकर गाकर प्रेमगीत विद्यार्थी रो गया । कलप तड़पकर छुपा लिया अपने गम प्रकाश शिक्षा मन्दिर में कहीं खो गया।। स्वरचित:- प्रकाश विद्यार्थी भोजपुर बिहार ©Prakash Vidyarthi #sad_shayari #poetery #कविताएं #गजल_सृजन #गीतों
Gurudeen Verma
White शीर्षक - आबाद मुझको तुम देखकर आज ----------------------------------------------------------------- आबाद मुझको तुम आज देखकर। लेने खबर मेरी तुम आ गए हो।। थकते नहीं अब तारीफ करते। मुझको बुलाने तुम आ गए हो।। आबाद मुझको तुम-----------------------।। करते नहीं थे कल बात मुझसे। लगती थी बुरी मेरी गरज कल।। मेरा चमन जो महका है आज। खुशी बाँटने तुम आ गए हो।। आबाद मुझको तुम-----------------।। समझा था कल क्यों कमजोर मुझको। मिलाया नहीं क्यों कल हाथ मुझसे।। मौजूद हैं आज मेरे सँग सितारें। मुझको मनाने तुम आ गए हो।। आबाद मुझको तुम-----------------।। करते थे परदा कल क्यों मुझसे। बुलाया नहीं क्यों महफ़िल में मुझको।। बेताब हो आज सुनने को मुझको। हमको लगाने गले तुम आ गए हो।। आबाद मुझको तुम-----------------।। शिक्षक एवं साहित्यकार गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान) ©Gurudeen Verma #गजल_सृजन
Dr. Alpana suhasini
न जाने क्या ज़माना चाहता है, मेरी ख़ुशियां मिटाना चाहता है। मेरी मासूमियत को छीन कर क्यों, मुझे शातिर बनाना चाहता है. अभी कोई कमी बाक़ी है शायद, जो फिर से आज़माना चाहता है। मिटाकर तीरगी अब ज़िन्दगी से, उजाले में वो आना चाहता है। निगाहों से लगे सीधा जिगर पर, वो इक ऐसा निशाना चाहता है । परिंदे की है बस इतनी सी ख़्वाहिश, नशेमन फिर बसाना चाहता है। अल्पना सुहासिनी ©Dr. Alpana suhasini #गजल#गजल_सृजन #
Gurudeen Verma
शीर्षक - मैं तन्हाई में ऐसा करता हूँ --------------------------------------------------------- मैं तन्हाई में, ऐसा करता हूँ। कभी रोता हूँ मैं, कभी हँसता हूँ।। मैं तन्हाई में----------------------।। तुम तो रहे आखिर, हमसे बड़े आदमी। याद तुम्हें करने को, पैसा खर्च करता हूँ।। मैं तन्हाई में----------------------।। पहनता हूँ कपड़ें मैं, तुमसे मिलने आने को। देखकर वक़्त फिर, सामान नीचे रखता हूँ।। मैं तन्हाई में----------------------।। तलाशता हूँ तुमको मैं, उन लिखें खतों में। तुमको लिखें खतों को, मैं तलाशा करता हूँ।। मैं तन्हाई में----------------------।। समझता हूँ मैं भी, तुम्हारी मजबूरी को। तुम्हारे आने की राह, मैं देखा करता हूँ।। मैं तन्हाई में----------------------।। नाम तो मेरे साथ ही, तुम्हारा भी होगा। उसी रिश्तें के ख्वाब, मैं बुना करता हूँ।। मैं तन्हाई में----------------------।। शिक्षक एवं साहित्यकार गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान) ©Gurudeen Verma #गजल_सृजन
Gurudeen Verma
शीर्षक- छोड़ दिया है मैंने अब,फिक्र औरों की करना ----------------------------------------------------------- छोड़ दिया है मैंने अब, फिक्र औरों की करना। औरों की फिक्र में बीमार, खुद अपने को करना।। छोड़ दिया है मैंने अब------------------।। सोचता हूँ मैं अब, अपनी खुशी के ही बारे में। मतलबी हैं यह दुनिया, इससे आशा भी क्या करना।। छोड़ दिया है मैंने अब--------------------।। दोस्त जिनको कहते थे हम, हो गए वो अब दुश्मन। ऐसे हो जब रिश्तें यहाँ, तारीफ़ किसी की क्या करना।। छोड़ दिया है मैंने अब------------------।। औरों के आशियानें जलाकर, करते हैं रोशन अपना घर। ऐसे लोगों से दया- धर्म की, उम्मीद कभी क्यों करना।। छोड़ दिया है मैंने अब-----------------।। किसने मुझे इमदाद दी है, जब था मैं मुफलिसी में। मुश्किल से आबाद हुआ हूँ , गुलाम नहीं खुद को करना।। छोड़ दिया है मैंने अब-------------------।। शिक्षक एवं साहित्यकार गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान) ©Gurudeen Verma #गजल_सृजन
Gurudeen Verma
शीर्षक - ऐसा कभी क्या किया है किसी ने ---------------------------------------------------------------- ऐसा कभी क्या, किया है किसी ने। अपने लिए कुछ भी, चाहा नहीं किसी ने।। ऐसा कभी क्या,-----------------------।। इच्छा नहीं है किसकी, महलों में रहने की। काँटों का बिछौना अपना, बिछाया है किसी ने।। ऐसा कभी क्या,-----------------------।। खुशियाँ कौन नहीं चाहता है, जिंदगी में। खुशी अपनी कम क्या, की है, किसी ने।। ऐसा कभी क्या,----------------------।। गरीब से कौन नफरत, करता नहीं है। दौलत गरीबों को, बाँटी है किसी ने।। ऐसा कभी क्या,---------------------।। रखना नहीं चाहता कौन, खुद को जी.आज़ाद। अपना चिराग क्या, बुझाया है किसी ने।। ऐसा कभी क्या,---------------------।। शिक्षक एवं साहित्यकार गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान) ©Gurudeen Verma #गजल_सृजन
जनकवि शंकर पाल( बुन्देली)
#HappyStorytelling #गजल_सृजन तेरे सफर में आ जाने से ,, गजल पूण॔ हुई स्वरचित/मौलिक #शायरी
read moreGurudeen Verma
शीर्षक - उम्मीद और हौंसला, हमेशा बनाये रखना ------------------------------------------------------------- उम्मीद और हौंसला, हमेशा बनाये रखना। होना नहीं निराश, जिंदगी को हंसाये रखना।। उम्मीद और हौंसला ------------------------।। सहते हैं कितनी धूप, ये दरख़्त इस जमीं पर। इनकी तरह तू खुद में, हिम्मत बनाये रखना।। उम्मीद और हौंसला ------------------------।। नदियों की राह में आते हैं, कितने पहाड़- मोड़। इनकी तरह कदम तू , मंजिल पे बनाये रखना।। उम्मीद और हौंसला ------------------------।। पूनम हो या अमावस, चाहे मौसम हो कोई भी। सूरज- सितारों की तरह, रोशनी बनाये रखना।। उम्मीद और हौंसला ------------------------।। काँटें हो या तूफ़ां, या साथ नहीं हो कोई भी। देगा खुशी खुदा तुम्हें, ख्वाब बनाये रखना।। उम्मीद और हौंसला ------------------------।। शिक्षक एवं साहित्यकार गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान) ©Gurudeen Verma #गजल_सृजन
ANURAG
हाल दिल का सुनाना चाहता था, तुम्हे अपना बनाना चाहता था, कब तलक छुपाऊं अपनी मोहब्बत, तुम्हे हाले दिल बताना चाहता था, शर्मो-हया से रुख पर जो बिखरी जुल्फें तेरी, उनको रुख से हटाना चाहता था, एक मुद्द्त से रहा प्यासा तेरी चाहत का, तुझको एक बार सीने से लगाना चाहता था, तुम मुझे ही चाहो और दुनिया भुला दो, जादू यह इश्क का चलाना चाहता था, तब तुम्हे दिल में बसा कर लिखी जो ग़ज़ल थी, अब उसे तुम्हे सुनाना चाहता हूँ। ©Prem_pyare #writer #गजल_सृजन #प्यार_का_एहसास
#writer #गजल_सृजन #प्यार_का_एहसास
read morekavi Dharmsingh Malviya
ग़ज़ल इश्क़ कर लिया हमने क्या ख़ता हमारी हैं जो खता हमारी हैं वो खता तुम्हारी है मिल गये यहाँ अपने दिल दिलो से क्या करते ना खता हमारी है ना ख़ता तुम्हारी है हम दुआए करते थे बारिसों के मौषम की बारिसे हमारी है ये घटा हमारी हैं प्यार है नही अब तो खेल हैं तमाशा हैं हाथ हैं मुनादी औऱ सब यहाँ मदारी हैं जो दहेज में वर को गाड़ियां न दे पाया उस गरीब की यारो बेटियां कवारी हैं तोड़ दी गुलामी की बेड़ियां बहुत पहले भूख से गरीबी से अब भी जंग जारी हैं अपने घर की बुलबुल को दूर कैसे हम भेजें हर तरफ यहाँ अब तो फिर रहे शिकारी हैं क्या लिखे ग़ज़ल कोई धरम को नही आता बस ख़ुदा की नेमत अब ये ग़ज़ल हमारी हैं धरम सिंहः ©kavi Dharmsingh Malviya #गजल_सृजन