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Saurav Das

मैं और तुम इश्क़ नहीं है तो एहसासो का फ़ायदा क्यों 
उठाता है!
 
चाहत क्यों?बस महसूस करो,पल खुद ही बन जाता है!!

©Saurav Das #इश्क़ 
#एहसास 
#फ़ायदा 
#उठाता 
#चाहत
#महसूस 
#पल 
#बन

कुमार शिव

बादशाह कर्मों से बनते हैं,और रियासतें दम ओर हिम्मत से।।

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मुसीबत उसी पर आती है,
जो ज़िम्मेदारी उठाता है,
गिरकर उठता वही है,
जो ठोकर खाता है,
और जो ज़िम्मेदारी उठाता है,
वो कभी हारता नहीं,
सबको बराबर रखता है वो,
हक़ किसी का मारता नहीं,
या तो वो जीतता है,
या वो बहुत कुछ सीखता है,
अपने पे रखता है भरोसा वो 'शिव'
जब तक जीत न जाये वो हिम्मत हारता नहीं,
हमेशा रियासत में जायदाद ही मिले ये जरूरी नहीं,
जिम्मेदारी मिलना और उसे निभाना भी बादशाहत से कम नहीं।। बादशाह कर्मों से बनते हैं,और रियासतें दम ओर हिम्मत से।।

shivam tripathi

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इस कदर गिरे हैं कोई उठाता ही नहीं इस कदर गिरे हैं  कोई उठाता ही नहीं,
 दर्द मेहमान सा हो गया है कि जाता ही नहीं

Saket Ranjan Shukla

सुप्रभात। दुआ करो, भला करो। #पहलीदुआ nojoto #nojotohindi #my_pen_my_strength #MorningThoughts #nojototales #Inspiration #शायरी #OpenPoetry

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#OpenPoetry सुबह की पहली दुआ में जब हाथ उठाता हूं,
खुद को एक अलग ही जोश के साथ पाता हूं,
मेरे सारे सपने भी यूं ही जैसे नए से हो उठते हैं,
हौसला अपना समेट कर मुश्किलों से लड़ जाता हूं,

ये सुबह हर बार एक नया सा जोश लेकर आता है,
हर रोज मुश्किलों से लड़ने की ताकत देकर जाता है,
सूरज की किरणों में एक उम्मीद की किरण दिखती है,
ये सफ़र भी मेरा मुझे इन रास्तों के उलझनों से बचाता है,

मैं हर दिन कुछ यूं खुद को खोकर वापस पाता हूं,
सुबह की पहली दुआ में मैं जब भी हाथ उठाता हूं।

:—☀️✍️@my_pen_my_strength✍️☀️—: सुप्रभात।
दुआ करो, भला करो।
#पहलीदुआ #nojoto #nojotohindi #my_pen_my_strength #morningthoughts #nojototales #inspiration

Gaurav Kumar

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उम्मीद के धागों से जिन्दगी का जाल बनाता हूं।
बुरे वक्त का मुंहतोड़ जवाब में देता हूं।

कुछ वक्त के लिए जब हो जाता हूं कमजोर।
तो धीमें- धीमें क़दम बढ़ाता हूं।

विश्राम नहीं संघर्ष का भाव जगाता हूं।
सुख-दुख की दोनों घड़ीयो को स-हर्ष स्वीकार में करता हूं।

परिवार, हमसफ़र और दोस्तों पे सर्वस्व न्योछावर करता हूं।
हर दिन जीवन जीने का आंनद उठाता हूं। आंनद उठाता हूं।
आंनद उठाता हूं।।

Amit Kumar SuGAm'Megh'💔

यारी अपनी बराबर वालों से... nojoto#nojotohindi#Shayari#Yaari#Garibi

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यार वो अपना ये कैसी यारी हमारी

एक बच्चा जब चुन-चुन कर कचरे में अपनी जिंदगी उठाता है
बिस्तर पर सोने के बजाय वहीं कचरे में सो जाता है
भूख लगे तो उसी से खाकर, उसको ही घर बतलाता है
मेरे जैसा जब कोई यह सब देख ,ना सह पाता है
उस के पक्ष में तब वह  कलम को हथियार बना उठाता है यारी अपनी बराबर वालों से...
#nojoto#nojotohindi#shayari#yaari#garibi

Hridesh Kumar Sutrakar

#hks

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#hks

"आईना"  खूबसूरती  पर   सवाल   उठाता   है ,
कभी  कमाल   तो  कभी  बबाल   उठाता   है ।
हिसाब मे
 जब सीरत मात खाए सूरत से,
ऐसी चमकती चमडी का बोझ दलाल उठाता है ।।

Anil Siwach

।।श्री हरिः।। 34 - अन्वेषण 'तू क्या ढूंढ़ रहा है?' जब कोई कमर झुकाकर भूमि से दृष्टि लगाए एक-एक तृण का अन्तराल देखता धीरे-धीरे पद उठाता चले तो समझना ही होगा कि उसकी कोई वस्तु खो गयी है और वह उसे ढूंढ रहा है। साथ ही वह वस्तु बहुत छोटी होनी चाहिये, जो तृणों की भी ओट में छिप सके। कन्हाई कमर झुकाये एक-एक पद धीरे-धीरे उठाता चल रहा है। इस चपल ऊधमी के लिये इस प्रकार पृथ्वी पर नेत्र गड़ाकर चलना सर्वथा अस्वाभाविक है। ऐसी क्या वस्तु इसकी खोयी है कि इतनी शान्ति से, इतनी स्थिरता एकाग्रता से लगा है अन्वेषण

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।।श्री हरिः।।
34 - अन्वेषण

'तू क्या ढूंढ़ रहा है?' जब कोई कमर झुकाकर भूमि से दृष्टि लगाए एक-एक तृण का अन्तराल देखता धीरे-धीरे पद उठाता चले तो समझना ही होगा कि उसकी कोई वस्तु खो गयी है और वह उसे ढूंढ रहा है। साथ ही वह वस्तु बहुत छोटी होनी चाहिये, जो तृणों की भी ओट में छिप सके।

कन्हाई कमर झुकाये एक-एक पद धीरे-धीरे उठाता चल रहा है। इस चपल ऊधमी के लिये इस प्रकार पृथ्वी पर नेत्र गड़ाकर चलना सर्वथा अस्वाभाविक है। ऐसी क्या वस्तु इसकी खोयी है कि इतनी शान्ति से, इतनी
स्थिरता एकाग्रता से लगा है अन्वेषण

WRITER AKSHITA JANGID

वो अपने को ना देख, दुसरो पर ऊंगली उठाता है 
पर भूल जाता है वो शायद ,उसको भी कोई उंगली दिखाता है |

वो अपने हद में ना रहकर, दुसरो पर सवाल उठाता है 
वो इन्सान होकर भी, इन्सानियत को भूल जाता है |

माँ -बांप को आश्रम छोड़, खुद एेशो आराम से रहता है
उनके ही बनाए घर को, उनसे ही दूर कर देता है |

खुद की उसे परवाह है, सबकी वो कहां मानता है 
वो कब परिवार को, अपने परिवार  समझता है |

अमीरी की भूख ने उसे इतना बड़ा कर दिया, की 
बड़ो की इज्जत भी अब वो कहां करता है |

by:-akshita jangid 
(poetess) 

 इंसानियत  #nojoto#tst
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