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Anuj Ray
घुटनों पर आ गया हूं, तेरे पास ख़ुद ही चल के। मज़बूर बहुत हूं मैं , खुद अपने ही दिल से । इजहार कर रहा हूं, मैं गिरफ्तार हो चुका हूं , तेरी मोहब्बत में ©Anuj Ray #घुटनों पर आ गया हूं,,
Neerav Official
इंसान ही तो हैं घुटनें घिस कर चलना सीखता हैं ओर ज़िंदगी की दौड़ में आते ही घुटनों के बल आ जाता हैं, खेलते खेलते बड़ा हुआ हैं और बड़े होते ही खुद एक खेल बन जाता हैं, खा खा कर तंदुरुस्त होता हैं ओर तंदुरुस्त होते ही खाना भूल जाता हैं, हाथ पकड़कर आगे बड़ता हैं ओर आगे बढ़ते ही हाथ छोड़ जाता हैं, ज़िंदा रहने का हर तरीका सीखता हैं पर मैदान में आते ही जिंदा रहना भूल जाता हैं, इंसान ही तो हैं आपातकाल स्थिति आते ही यह ऐक सच भूल जाता हैं। इंसान ही तो हैं #इंसान #चलना #ज़िंदगी #घुटनों #खेल #ज़िंदा #सीखता #मैदान #इंसान #alonesoul
Anil Siwach
|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 12 ।।श्री हरिः।। 10 – अनुगमन 'ठहरो!' जैसे किसी ने बलात् पीछे से खींच लिया हो। सचमुच दो पग पीछे हट गया अपने आप। मुख फेरकर पीछे देखना चाहा उसने इस प्रकार पुकारने वाले को, जिसकी वाणी में उसके समान कृतनिश्चयी को भी पीछे खींच लेने की शक्ति थी। थोड़ी दूर शिखर की ओर उस टेढ़े-मेढ़े घुमावदार पथ से चढ़कर आते उसने एक पुरुष को देख लिया। मुण्डित मस्तक पर तनिक-तनिक उग गये पके बालों ने चूना पोत दिया था। यही दशा नासिका और उसके समीप के कपाल के कुछ भागों कों छोड़कर शेष मु
read moreबाँहुबली सोनू भईया
मैं तब भी #झुक के #सजा दूंगा, तुम्हारे #साड़ी की #सिलवटे.ll हां उस उम्र में भी..ll जब मेरे #घुटनों में #दर्द होगा. पक्का वादा pagli..ll
Pnkj Dixit
आज की कहानी "कहां है तुम्हारा गांव" 🌷👰💓💝 ...✍ कमल शर्मा'बेधड़क' 🌷👰💓💝 कहां है तुम्हारा गांव ? " स्नेहा ! "क्या याद है तुम्हें ,हमारी पहली मुलाकात ।" अरविंद ने किताब में मुंह गड़ाए हुए और चाय की चुस्कियां लेते हुए पास खड़ी स्नेहा से पूछा । ... और फिर दोनों अतीत की यादों में खो गए। .. और ऐसा प्रतीत हुआ मानों दोनों आपस में संवाद कर रहे हो । एक हसीन सफर पर अनजान मंजिल की तलाश में घर से निकले थे हम । गाड़ी अपनी रफ्तार से हवा को चीरती हुई बढ़ती चली जा रही थी अपने गंतव्य की तरफ ,,, तुम मेरे सामने वाले सीट पर खिड़की के पास बैठी हुई थी। सीट नंबर ४२ ।
🌷👰💓💝 कहां है तुम्हारा गांव ? " स्नेहा ! "क्या याद है तुम्हें ,हमारी पहली मुलाकात ।" अरविंद ने किताब में मुंह गड़ाए हुए और चाय की चुस्कियां लेते हुए पास खड़ी स्नेहा से पूछा । ... और फिर दोनों अतीत की यादों में खो गए। .. और ऐसा प्रतीत हुआ मानों दोनों आपस में संवाद कर रहे हो । एक हसीन सफर पर अनजान मंजिल की तलाश में घर से निकले थे हम । गाड़ी अपनी रफ्तार से हवा को चीरती हुई बढ़ती चली जा रही थी अपने गंतव्य की तरफ ,,, तुम मेरे सामने वाले सीट पर खिड़की के पास बैठी हुई थी। सीट नंबर ४२ ।
read morePnkj Dixit
आज की कहानी "कहां है तुम्हारा गांव" 🌷👰💓💝 कहां है तुम्हारा गांव ? " स्नेहा ! "क्या याद है तुम्हें ,हमारी पहली मुलाकात ।" अरविंद ने किताब में मुंह गड़ाए हुए और चाय की चुस्कियां लेते हुए पास खड़ी स्नेहा से पूछा । ... और फिर दोनों अतीत की यादों में खो गए। .. और ऐसा प्रतीत हुआ मानों दोनों आपस में संवाद कर रहे हो । एक हसीन सफर पर अनजान मंजिल की तलाश में घर से निकले थे हम । गाड़ी अपनी रफ्तार से हवा को चीरती हुई बढ़ती चली जा रही थी अपने गंतव्य की तरफ ,,, तुम मेरे सामने वाले सीट पर खिड़की के पास बैठी हुई थी। सीट नंबर ४२ ।
🌷👰💓💝 कहां है तुम्हारा गांव ? " स्नेहा ! "क्या याद है तुम्हें ,हमारी पहली मुलाकात ।" अरविंद ने किताब में मुंह गड़ाए हुए और चाय की चुस्कियां लेते हुए पास खड़ी स्नेहा से पूछा । ... और फिर दोनों अतीत की यादों में खो गए। .. और ऐसा प्रतीत हुआ मानों दोनों आपस में संवाद कर रहे हो । एक हसीन सफर पर अनजान मंजिल की तलाश में घर से निकले थे हम । गाड़ी अपनी रफ्तार से हवा को चीरती हुई बढ़ती चली जा रही थी अपने गंतव्य की तरफ ,,, तुम मेरे सामने वाले सीट पर खिड़की के पास बैठी हुई थी। सीट नंबर ४२ । #जीवन #कहानी #अहसास #कविता
read moreAnjali Kashyap
#nojotochandigarh #NojotoOpenMIC #nojotoaudio उस दिन तुमने जब पकड़ा था हाथ मेरा धड़कने बढ़ गयी थी मेरी हां दिल जरा सा घबराया था शाम का वो आलम था, बारिशों का मौसम था मुझे बारिश पसंद थी, तुम्हें बारिश में भीगती मै मुझे याद है मै बूँदों को छूने जाती थी और तुम मुझे जबरदस्ती भीगा जाते थे इस तरह उसे भी भीगाते हो क्या उसे भी यूं ही सताते हो क्या #Nojotovoice
read moreAnil Siwach
|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 8 ।।श्री हरिः।। 12 - प्रार्थना का प्रभाव 'भगवान् यार्कशायर में हैं और दक्षिण ध्रुव में नहीं है?' वह खुलकर हंस पड़ा। 'जो यहां हमारी रक्षा करता है वह सब कहीं कर सकता है।' इम तर्क का किसी के पास भला क्या उत्तर हो सकता है। श्रीमती विल्सन जानती हैं कि उनके पति जब कोई निश्चय कर लेते हैं, उन्हें रोका नहीं जा सकता।
read moreNeha Kumari
दोस्त - बीवी से झगड़ा खत्म हुआ क्या ? 💁♂ पति - घुटनों पे चल के आयी थी मेरे पास... घुटनों पे...😏 दोस्त - क्या बात कर रहा है😳 पति - और नहीं तो क्या😏 दोस्त - फिर क्या बोली🤔 पति - बोली पलंग के नीचे से बाहर आ जाओ... मैंने झाडू रख दी है... अब नहीं मारूँगी...😜😝😂 दोस्त - बीवी से झगड़ा खत्म हुआ क्या ?💁♂ पति - घुटनों पे चल के आयी थी मेरे पास... घुटनों पे...😏 दोस्त - क्या बात कर रहा है😳 पति - और नहीं तो क्या😏 दोस्त - फिर क्या बोली🤔 पति - बोली पलंग के नीचे से बाहर आ जाओ... मैंने झाडू रख दी है... अब नहीं मारूँगी...😜😝😂
दोस्त - बीवी से झगड़ा खत्म हुआ क्या ?💁♂ पति - घुटनों पे चल के आयी थी मेरे पास... घुटनों पे...😏 दोस्त - क्या बात कर रहा है😳 पति - और नहीं तो क्या😏 दोस्त - फिर क्या बोली🤔 पति - बोली पलंग के नीचे से बाहर आ जाओ... मैंने झाडू रख दी है... अब नहीं मारूँगी...😜😝😂
read moreAnil Siwach
।।श्री हरिः।। 49 - सेवक नहीं गोप-बालक जब भी दो दल बनाकर खेलना चाहते हैं, एक दल के अग्रणी दाऊ होगें और उनके सम्मुख दूसरे दल में विशाल ही आ सकता है; क्योंकि शरीर में वही दाऊ के समान है। कन्हाई और श्रीदाम की जोडी है। श्याम सदा विशाल के साथ रहता है। श्रीदाम को दाऊ के साथ रहना है। भद्र चाहे तो भी नन्दनन्दन उसे दूसरे पक्ष में जाने नहीं दे सकता। यह तो जब दो दल बनने लगेगें तभी पुकारेगा - 'मैं भद्र के साथ रहूंगा। सुबल, तोक मेरे साथ रहेगें।' फलत: भद्र की जोड़ में ऋषभ को और तोक के सम्मुख अंशु को दुसरे पक
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