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दिनेश कुशभुवनपुरी

Sanjay Tiwari "Shaagil"

Anupama Jha

आज भी
किसी कविता को
अंगुलियों के
पोरों से
लिखे जाने का
इंतज़ार है
शब्दों को
रूह में
उतरने का 
इंतज़ार है #कविता#रूह#अंगुली#पोरों#इंतज़ार
#YoPoWriMo
#Yqbaba#yqdidi

Nagvendra Sharma( Raghu)

मुझे तेरी ऊँगली कि अंगूठी नही, उस ऊँगली का तिल बनना था, आखरी सांस तक धड़के तेरे साथ, धडकता हुआ तेरा दिल बनना था । -: नागवेन्द्र शर्मा (रघु) #अंगुली #Ring life #तिल #मौत #nagvendrasharma #yqquotes #yqhindi

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         मुझे तेरी ऊँगली कि अंगूठी नही, उस ऊँगली का तिल बनना था,
आखरी सांस तक धड़के तेरे साथ, धडकता हुआ तेरा दिल बनना था ।
-: नागवेन्द्र शर्मा (रघु)
#अंगुली #ring #life #तिल #मौत #nagvendrasharma #yqquotes #yqhindi

Madanmohan Thakur (मैत्रेय)

(no subject) Madan Mohan Thakur Tue, Apr 30, 2019 at 3:50 PM To: कथा श्रृजन Khwab bhi kitana ajib hota hai,chalate huye insan ko sapano ki duniya me pahuncha deta hai.Mai aisa is liye kah raha hun ki jindagi ki karbi lakin sachchi bat bhi yahi hai,agar yah sapane na hote.To sayad Ridham ke tar tut jate,ya fir insan itana akela ho jata ki khud ki bastbikata nahi samajh pata.                                               Sahi hin to hai ki khwab ke panahagah me insan khud ko itana to majbut kar

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(no subject)
Madan Mohan Thakur 	Tue, Apr 30, 2019 at 3:50 PM
To: कथा श्रृजन 
Khwab bhi kitana ajib hota hai,chalate huye insan ko sapano ki duniya me pahuncha deta hai.Mai aisa is liye kah raha hun ki jindagi ki karbi lakin sachchi bat bhi yahi hai,agar yah sapane na hote.To sayad Ridham ke tar tut jate,ya fir insan itana akela ho jata ki khud ki bastbikata nahi samajh pata.
                                              Sahi hin to hai ki khwab ke panahagah me insan khud ko itana to majbut kar

Radheshyam Suthar

fat #FathersDay

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एक लड़की और उसके पापा एक बार ब्रिज से गुजर रहे थे और उस पर उस समय बारिश बहुत आ रही थी तो पापा ने बोला तू मेरी अंगुली को पढ़ ले तो बेटी बोली नहीं पापा आप मेरी अंगुली कपट लोफर पापा हंस के बोले कि बेटा तुम मेरी अंगुली कपड़ों यार मैं तेरी उंगली का प्रूफ क्या फर्क है वह बेटी ने बोला कि पापा आप मेरी मैं अगर आपकी उंगली को पढ़ लूं तो कुछ हो जाए तो मैं आपके छोड़ दूंगी और अगर आप बोलोगे तो चाहे कुछ भी हो जाए पर आप fat

PuRuShOtAm PaReEk

#FathersDay

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दोस्तों आप चाहे कितने भी बड़े हो जाओ लेकिन अपने पापा की अंगुली का सहारा मत छोड़ना 
क्योंकि
उसे छोड़ने पर आपकी हर खुशी छूट जायेगी 
आपके सपनों की हर मंजिल आपसे रूठ जायेगी।
क्योंकि आपके सपनों की मंजिल का रास्ता उस अंगुली से होकर जाता है।
क्योंकि पापा आपको एक खुशी देने के लिए न जाने कितने आँसूओं के दरिया पार करता है।
अपनी जिदंगी.की इस रहमत को कभी जुदा मत करना यारों।

KK Mishra

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आज का ज्ञान  दु:ख में स्वंय की एक अंगुली आंसू पौंछती है और सुख में दसो अंगुली ताली बजाती है,जब स्वयं का शरीर ही ऐसा करता है तो दुनिया से गिला शिकवा क्या करना....

Anil Siwach

|| श्री हरि: || 2 -उलझन में राम श्याम दोनों आकर द्वार के बाहर खड़े ही हुए थे कि एक तितली कहीं से उड़ती आयी और दाऊ की अलकों पर बैठ गयी। कन्हाई यह कैसे सहन करले कि यह क्षुद्र प्राणी उसके अग्रज के सिर पर ही बैठे; किन्तु तितली को हटाने के लिए हाथ बढ़ाया तो वह अलकों से उड़ कर इसके दाहिने हाथ की नन्हीं मध्यमा अँगुली पर ही आ बैठी। इतनी सुकुमार, इतनी अरुण अँगुली - तितली को बैठने के लिए इससे अधिक मृदुल, सुन्दर सुरभित कुसुम भला कहाँ मिलने वाला है। अब श्याम उलझन में पड़ गया है। यह अपनी अँगुली पर बैठी इस छो #Books

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|| श्री हरि: ||
2 -उलझन में

राम श्याम दोनों आकर द्वार के बाहर खड़े ही हुए थे कि एक तितली कहीं से उड़ती आयी और दाऊ की अलकों पर बैठ गयी। कन्हाई यह कैसे सहन करले कि यह क्षुद्र प्राणी उसके अग्रज के सिर पर ही बैठे; किन्तु तितली को हटाने के लिए हाथ बढ़ाया तो वह अलकों से उड़ कर इसके दाहिने हाथ की नन्हीं मध्यमा अँगुली पर ही आ बैठी। इतनी सुकुमार, इतनी अरुण अँगुली - तितली को बैठने के लिए इससे अधिक मृदुल, सुन्दर सुरभित कुसुम भला कहाँ मिलने वाला है।

अब श्याम उलझन में पड़ गया है। यह अपनी अँगुली पर बैठी इस छो

Anil Siwach

|| श्री हरि: || 75 - करुणा 'कनूं, तुझे किसने मारा है?' सुकुमार कन्हाई की पीठ पर कटिदेश में एक नन्हीं-सी खरोंच आ गयी है। रक्त आया नहीं है किंतु छलछला आया-सा लगता है। नन्हीं खरोंच-किंतु श्याम कितना सुकूमार है। दाऊ के कमल-दल के समान सहज अरुण नेत्र सर्वथा किंशुकारुण हो उठे हैं और उनमें जल भर आया है। भ्रूमण्डल कठोर हो गये हैं और मुख तमतमा आया है। उसके रहते कोई उसके भाई की ओर अंगुली उठा सकता है। कौन है वह? 'कहां ?मुझे किसने मारा?' श्याम को पता ही नहीं कि उसे खरोंच भी आयी। 'यह क्या है?' दाऊ के नेत्र #Books

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|| श्री हरि: ||
75 - करुणा

'कनूं, तुझे किसने मारा है?' सुकुमार कन्हाई की पीठ पर कटिदेश में एक नन्हीं-सी खरोंच आ गयी है। रक्त आया नहीं है किंतु छलछला आया-सा लगता है। नन्हीं खरोंच-किंतु श्याम कितना सुकूमार है। दाऊ के कमल-दल के समान सहज अरुण नेत्र सर्वथा किंशुकारुण हो उठे हैं और उनमें जल भर आया है। भ्रूमण्डल कठोर हो गये हैं और मुख तमतमा आया है। उसके रहते कोई उसके भाई की ओर अंगुली उठा सकता है। कौन है वह?

'कहां ?मुझे किसने मारा?' श्याम को पता ही नहीं कि उसे खरोंच भी आयी।

'यह क्या है?' दाऊ के नेत्र
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