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Mukesh Poonia
Nature Quotes जीवन एक पेन की भांति है इंक खत्म हो उससे पहले अपनी कहानी लिख दो ©Mukesh Poonia #NatureQuotes #जीवन एक #पेन की #भांति है #इंक #खत्म हो उससे पहले अपनी #कहानी #लिख दो
deepak pokhriyal'deepocean'
भांति भांति के लोग यहां पर, और जाने कितनी ही उनकी बोली है, पहाड़ों के सौंदर्य के बीच बसी, छोटी सी एक दुनिया है, देवो के वास जहां पर, और हमारी श्रद्धा है, जहां बादल भी चूमा करते, हैं इस भूमि को, ऐसा मेरा शहर , उत्तराखंड देवो की भूमि है।।।।। #MeraShehar #uttarakhand
#MeraShehar #Uttarakhand #कविता
read moreAnil Siwach
|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 12 ।।श्री हरिः।। 15 - राधे-श्याम का कुआँ 'इस कुऐँ में राधेश्याम कहना होता है। राधेश्याम कहो।' मेरे साथी ने मुझे प्रेरित करते हुए स्वयं कुएं में मुँह झुकाकर बड़ी लम्बी ध्वनि से कहा 'रा-धे-श्या-म।'
read moreAakash Tiwari
तुलसी यहि संसार म भांति भांति के लोग। कुछ पूजन के योग्य है तो कुछ जूतन के योग्य !! #mrsuperman1998 #superman0433
#mrsuperman1998 #superman0433 #कविता
read more#praveenpathak diary
"हिंदुस्तान ए इश्क़" हिंदुस्तान ए इश्क़ का पैगाम भेजता हूँ, अपने देश के जवानों को सलाम भेजता हूँ, मैं हूँ अपने मजहबे मोहब्बत का एक बेटा, जो अपने देश को फ़रमान भेजता हैं, अमन शांति सुकून के ख़ातिर अपने हाले दिल का राज कहता हूँ, जहनो जिद्दत में पड़ी हैं मानवता की जिंदगी इसी के खातिर एक इख्तियार लिखता हूँ, ना कोई शिकवे है ना कोई गीले ये देश मेरा है इससे हम है जुड़े, ख़्वाबों में देश के संप्रभुता के सपने देखता हूँ, अखंडता के नारे लगता हूँ, एक प्रेमी की भांति सहजता पुर्ण, अपने भारत माँ को प्यार करता हूँ, ऊहापोह भरी जिंदगी में, एक निवेदन करता हूँ, देश को एक्क्त्र करने की कोशिश करता हूँ, एकता- शहीश्रुस्ता-धर्मनिछपेकता ही हमारी पहचान है, इसे हम सहज भांति स्वीकार करते हैं, हिंदुस्तान ए इश्क़ का पैगाम भेजता हूँ, अपने देश के जवानों को सलाम भेजता हूँ।।। "प्रवीण कुमार पाठक" #हिंदुस्तान ए इश्क़", मानवता को दिखाने का प्रयत्न किया हूँ, जो की अभी हमारे देश में धर्म के नाम पर राजनीति हो रही है। #praveenpathak diary- my you tube channel, plz subscribe,like, comments and share...
#हिंदुस्तान ए इश्क़", मानवता को दिखाने का प्रयत्न किया हूँ, जो की अभी हमारे देश में धर्म के नाम पर राजनीति हो रही है। #praveenpathak diary- my you tube channel, plz subscribe,like, comments and share... #poem
read moreAnil Siwach
|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 12 ।।श्री हरिः।। 11 - महत्संग की साधना 'मेरी साधना विफल हुई।' गुर्जर राजकुमार ने एक लम्बी श्वास ली। वे अपने विश्राम-कक्ष में एक चन्दन की चौकी पर धवल डाले विराजमान थे। ग्रन्थ-पाठ समाप्त हो गया था और जप भी पूर्ण कर लिया था उन्होंने। ध्यान की चेष्टा व्यर्थ रही और वे पूजा के स्थान से उठ आये। राजकुमार ने स्वर्णाभरण तो बहुत दिन हुए छोड़ रखे हैं। शयनगृह से हस्ति-दन्त के पलंग एवं कोमल आस्तरण भी दूर हो चुके हैं। उनकी भ्रमरकृष्ण घुंघराली अलकें सुगन्धित तेल का सिञ्च
read moreShubham Sagar
मारा मुल्क आर्यावर्त जो कभी अपने अलौकिक ज्ञान से दूसरों को प्रकाशित करता था जो अपनी एतिहासिक विरासत के कारण विश्व में प्रसिद्ध था अपने विद्या एवं दर्शन से संपूर्ण विश्व में ज्ञान का दीप जलाता था एवं अपनी अद्वितीय छवि से पूरे विश्व पटल पर अपना नाम अंकित कर चुका था। बदलते समय ने इसका स्वरूप भी बदल दिया और इसे विभिन्न नामों से पुकारा जाने लगा आर्यावर्त में अधिक समृद्धि एवं धन होने के कारण इसे सोने की चिड़िया तो दूसरी तरफ अधिक ज्ञानी एवं शिक्षित होने के कारण इसे आर्यावर्त की संज्ञा दी गई इन नायकों ने अपने आलोक से पूरी दुनिया को आलोकित कर दिया। पर समय ने ऐसा करवट बदला की सब कुछ बदल गया विश्व गुरु कहलाने वाला आर्यावर्त धीरे-धीरे पराधीन हो गया विदेशी शासकों के लालची निगाहों ने स्वतंत्र सोने की चिड़िया को पिंजरे में कैद कर दिया फिर यहां के धन और दौलत को लूटना और धीरे-धीरे अपना वर्चस्व कायम से करना शुरू कर दिया। और अंततः आर्यावर्त पूरी तरह जंजीरों में जकड़ा चुका था। तथा जहां से निकल पाना मुश्किल था अंग्रेजों के कुदृष्टि यहां के हंसते खेलते धनसंपदा पर पड़ी और भिखारी की भांति दोनों हाथ फैलाते हुए हमारे देश में व्यापार की भीख मांगी आर्यावर्त ने हमेशा अपने सुपुत्र को प्रेम एवं दया का पाठ पढ़ाया इसी गुणगान के कारण हमने उन्हें रोजगार दिया। पर किसे मालूम था कि एक दिन इनका रोजगार हमें बेरोजगार कर देगा सर्वप्रथम उन्होंने हमारी एकता को खंडित किया तथा हमारे धन संपदा एवं अंत में हमें ।सब कुछ छीन लिया। आर्यावर्त की भूमि जो अतीत में हरियाली से सुशोभित थी अब उस पर लालिमा छा चुकी थी यहां की सारी शक्तियां ब्रिटेन के हाथों में थी आर्यावर्त उसका गुलाम हो चुका था चारों तरफ तबाही का मंजर था परंतु कहीं ना कहीं आर्यावर्त के सुपुत्र के दिल में आग की चिंगारी सुलग रही थी यह चिंगारी सन 18 सो 57 में एक दावानल की भांति पूरे भारत में फैल गई परंतु सही दिशा ना मिलने के कारण यह आग कुछ ही क्षणों के बाद धीमी हो गई क्योंकि इन में एकता की कमी थी।। परंतु क्रांतिकारियों ने इस आग को बुझने नहीं दिया वे परिस्थिति को परख चुके थे महात्मा गांधी सुभाष चंद्र बोस भगत सिंह एवं सरदार पटेल इत्यादि ने देश प्रेमियों के दिलों में धधक रही आग को बुझने नहीं दिया। वे उन्हें सही दिशा दिखाने के प्रयास में जुटे रहे शायद अंततः उन्हें सही दिशा मिल चुकी थी और बस बाकी था इसका विस्फोटित होना।। इस प्रकार संघर्ष करने के उपरांत 14 अगस्त 1947 ईसवी के अर्धरात्रि को शताब्दियों के खोई हुई स्वतंत्रता भारत को पुनः प्राप्त हो गई हमने भारत माता को गुलामी की जंजीर से मुक्त तो करवा दिया परंतु अपने स्वार्थ के लिए इसके अंग को हिंदुस्तान पाकिस्तान एवं बांग्लादेश आदि राष्ट्रों में विभाजित कर दिया । प्रस्तुतकर्ता:- Shubham S 15 Aug ki हार्दिक शुभकामनायें
15 Aug ki हार्दिक शुभकामनायें
read moreसंदीप दहिया
#OpenPoetry बेअदब न हो बधाई न जीत सा अहसास हो, दिलों को जोड़ने से देश होगा,बस एक कागजी फरमान न हो,अपनेपन का हो सन्देश न व्यंग न उपहास हो। हम हिमालय की गोद में चोटी से लेकर घाटी तक,हम ठहरे हुए समुन्द्र से नदी सतत बहती जाती तक, हम हल जोतते कन्धों से गोलियां खाती छाती तक, हम एक रेखा से बंधे, बटे हुए भांति भांति तक। ताकत के वहम मे बह न जाये ये भारत की भावना, जो अपने हैं नही वो लाजमी दुश्मन नही, लकीरों को मिटा सकें जो मन से कुछ इस तरह प्रयास हो।। हम आज तक हैं खड़े, आगे बढ़े जब के सब हैं गिर चुके हम लड़े नही हैं लोभ वस या जमीं की चाह में, साथ जो चले थे वो थक कर गिर चुके हैंर राह में अपना गवां सब दूसरों की चाह में,बस ये भावना आगे बढ़े के लालच न हो सन्यास हो। #370 #कश्मीर #भाईचारा
370 #कश्मीर #भाईचारा #OpenPoetry
read moreAnil Siwach
|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 12 ।।श्री हरिः।। 8 - असुर उपासक 'वत्स, आज हम अपने एक अद्भुत भक्त का साक्षात्कार करेंगे।' श्रीविदेह-नन्दिनी का जबसे किसी कौणप ने अपहरण किया, प्रभु प्रायः विक्षिप्त-सी अवस्था का नाट्य करते रहे हैं। उनके कमलदलायत लोचनों से मुक्ता की झड़ी विराम करना जानती ही नहीं थी। आज कई दिनों पर - ऐसे कई दिनों पर जो सौमित्र के लिए कल्प से भी बड़े प्रतीत हुए थे, प्रभु प्रकृतस्थ होकर बोल रहे थे - 'सावधान, तुम बहुत शीघ्र उत्तेजित हो उठते हो! कहीं कोई अनर्थ न कर बैठना! शान्त रह
read moreAloneboy
इस दुनिया शेरो के भांति, जानवर रूपी इंसानो को मै सबक सिखाऊ बेरहम शैतानों की भांति, जो भी बहनो को छेड़ेगा हमारी किसी भी रूप मे खुद मौत दूंगा मै उसको स्वयं उस यमराज की भांति! ✍️नवीन #savegirl#respect#sisters#protect#her Shurbhi Sahu Kumari Nishi Shivangi Mishra Pratibha Tiwari SnehaD Gupta ( writer)