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Mayaank Modi
बहोत है मेरी, खैरियत पूछनेवाले । पर तकलीफ किसी को, मेरे हाल से नहीं ।। #बहोत #हाल #पूछने #तकलीफ़ #yqbaba #yqhindi #yqshayari
Harsh Khanna
खुश होता हूं जब सोचता काबिल हूं इतना अपने शौक पूरे कर सकू। दिल उदास हो उठता है तब जब कैसा रहा दिन नहीं होता सामने कोई पूछने को। #yqdidi#दिल#उदास#पूछने#को
Dharmender Bisht
कुछ इस कदर छुपाया हमने तुमसे हमारा इश्क़, की लोग भी पूछने लगे माजरा क्या है। एक तुम ही अनजानी थी शायद खैर छोड़ो इसमें तुम्हारी खता क्या है।। ✍️धर्मेंद्र बिष्ट कुछ इस #कदर छुपाया #हमने #तुमसे #हमारा #इश्क़, की #लोग भी #पूछने लगे #माजरा क्या है। एक तुम ही #अनजानी थी #शायद खैर #छोड़ो इसमें #तुम्हारी #खता #क्या है।। ✍️धर्मेंद्र बिष्ट
गूँजन
क्या हुआ? ...... बस इतना पूछे मुझे ऐसे सख्स की तलाश है. .... .. . #पूछने #वाला #कोई #नही....
Gg Yy
पहले बातें हाल-चाल पूछने से शुरू हुआ करती थी ! आजकल बातें हाल-चाल पूछने पर ख़तम हो जाया करती हैं !! ~ Deepanshu
" शमी सतीश " (Satish Girotiya)
"फिर लौट जाएँगे हम" तुमने तो कुछ भी बाकी नहीं छोड़ा , अब कैसे उम्मीद-ए-चिराग़ जलाएँगे हम! ना जाने कैसे ढूढेंगें तुम्हे, जब शहर तुम्हारे, मिलने आएँगे हम! जानता हूँ सब करेंगें आनाकानी, जिससे भी पूछने हाल तुम्हारा जाएँगे हम! तुमने कह के रखा है सबको मेरे बारे में, कोई नहीं देगा तुम्हारा पता,जिससे भी पूछने जाएँगे हम! अज़नबी लोग , अन्ज़ान शहर, कहीं भटक तो नहीं जाएंगे हम! तुम्हारी रुसवाई से दिल टूटा है उम्मीद नहीं, तुम कहीं भी रहो, तुम तक पहुँच ही जाएँगे हम! देखकर तुमको मिलती है खुशी, बस तुम्हारी एक झलक ही पाने आएँगे हम! डरना मत हमें मोहब्बत है तुमसे कोई उम्मीद नहीं, तुमसे एक दफा मिलकर फिर लौट जाएँगे हम! #Panchi 💔🙄✍️🙏
Rahul Jha
मेरे हाल चाल पूछने पर झल्लाया ना करो ऐ दोस्त हाल पूछने की कीमत उससे पूछो जिनसे तन्हाइयों में किसी ने भी उनका हाल ना पूछा हो
Prakuman Dilse
चांद तेरी चांदनी को पाने की तलब थी मुझे बस एक बार तेरे पास आने की कसक थी मुझे| दिन से अच्छी रातें और रातों से अच्छी चांदनी लगती थी मुझे l हर सपने में तुझे और हर सपना तेरा ही देखा था मैंने, और पिछले कितने सालों से मैं पूरी रात सोया ना था l आज जो था मेरा सपना वह पूरा हो ही गया l और हकीकत में आज मैं तेरे पास आ ही गया l अब जवाब दे मेरे उन चंद सवालों का जिन्हें पूछने मैं यहां तक आया l दुनिया को तुझ में अपना सनम नजर आता है l तू सच बता क्या तुझे भी प्यार मोहब्बत में कुछ समझ आता है l क्यों तू करवा चौथ में इतना खास हो जाता है कि तुझे देखने के बाद ही हर कोई अपने सनम को देख पाता हैl ईद के दिन भी तुझे गुमान बहुत होता है l इसीलिए तो आज का कहकर कल दिखता है l बता चंदन सी ठंडक कहां से लाता है, पता दे मुझे भी उस सागर का जहां से तू हर रोज नहा कर आता है l पर्दा तेरे हर राज से मैं आज उठाने आया हूं l जो भी है तुझ में खास उसे आम करने आया हूंl इजाजत यदि हो तेरी तो दुनिया यहां बसाना चाहता हूं और रहकर तेरे पास मैं भी चमकना चाहता हूं l अब जवाब दे मेरे इन सवालों का जिन्हें पूछने मैं यहां आया हूं l तेरी खामोशी से लगता है तू बहुत थका है l या फिर आने वाली करवा चौथ की तैयारी में लगा है लगता है तेरे हर रात का पर्दा बहुत खास होगा जो एक रात में आम नहीं होगा इसीलिए उतर जाता हूं मैं भी तेरी उन गहराइयों मेंl जहां हर कोई राज सरेआम आम नहीं होता l और लगता है तेरी मेरी मुलाकात का किस्सा इस कदर मशहूर हो जाएगा यदि जल्द ही वापस ना गया तो देखना मुझे ढूंढते ढूंढते चंद्रयान 3 आ जाएगा Chandrayaan 2
Chandrayaan 2 #poem
read moreManoj Verma
एक बार एक संत अपने शिष्यों के साथ नदी में स्नान कर रहे थे | तभी एक राहगीर वंहा से गुजरा तो महात्मा को नदी में नहाते देख वो उनसे कुछ पूछने के लिए रुक गया | वो संत से पूछने लगा ” महात्मन एक बात बताईये कि यंहा रहने वाले लोग कैसे है क्योंकि मैं अभी अभी इस जगह पर आया हूँ और नया होने के कारण मुझे इस जगह को कोई विशेष जानकारी नहीं है |” इस पर महात्मा ने उस व्यक्ति से कहा कि ” भाई में तुम्हारे सवाल का जवाब बाद में दूंगा पहले तुम मुझे ये बताओ कि तुम जिस जगह से आये वो वंहा के लोग कैसे है ?” इस पर उस आदमी ने कहा “उनके बारे में क्या कहूँ महाराज वंहा तो एक से एक कपटी और दुष्ट लोग रहते है इसलिए तो उन्हें छोड़कर यंहा बसेरा करने के लिए आया हूँ |” महात्मा ने जवाब दिया बंधू ” तुम्हे इस गाँव में भी वेसे ही लोग मिलेंगे कपटी दुष्ट और बुरे |” वह आदमी आगे बढ़ गया | थोड़ी देर बाद एक और राहगीर उसी मार्ग से गुजरता है और महात्मा से प्रणाम करने के बाद कहता है ” महात्मा जी मैं इस गाँव में नया हूँ और परदेश से आया हूँ और इस ग्राम में बसने की इच्छा रखता हूँ लेकिन मुझे यंहा की कोई खास जानकारी नहीं है इसलिए आप मुझे बता सकते है ये जगह कैसे है और यंहा रहने वाले लोग कैसे है ?” महात्मा ने इस पर फिर वही प्रश्न किया और उनसे कहा कि ” मैं तुम्हारे सवाल का जवाब तो दूंगा लेकिन बाद में पहले तुम मुझे ये बताओ कि तुम पीछे से जिस देश से भी आये हो वंहा रहने वाले लोग कैसे है ??” उस व्यक्ति ने महात्मा से कहा ” गुरूजी जन्हा से मैं आया हूँ वंहा भी सभ्य सुलझे हुए और नेकदिल इन्सान रहते है मेरा वंहा से कंही और जाने का कोई मन नहीं था लेकिन व्यापार के सिलसिले में इस और आया हूँ और यंहा की आबोहवा भी मुझे भा गयी है इसलिए मेने आपसे ये सवाल पूछा था |” इस पर महात्मा ने उसे कहा बंधू ” तुम्हे यंहा भी नेकदिल और भले इन्सान मिलेंगे |” वह राहगीर भी उन्हें प्रणाम करके आगे बढ़ गया | शिष्य ये सब देख रहे थे तो उन्होंने ने उस राहगीर के जाते ही पूछा गुरूजी ये क्या अपने दोनों राहगीरों को अलग अलग जवाब दिए हमे कुछ भी समझ नहीं आया | इस पर मुस्कुराकर महात्मा बोले वत्स आमतौर पर हम आपने आस पास की चीजों को जैसे देखते है वैसे वो होती नहीं है इसलिए हम अपने अनुसार अपनी दृष्टि (point of view) से चीजों को देखते है और ठीक उसी तरह जैसे हम है | अगर हम अच्छाई देखना चाहें तो हमे अच्छे लोग मिल जायेंगे और अगर हम बुराई देखना चाहें तो हमे बुरे लोग ही मिलेंगे | सब देखने के नजरिये ( point of view in hindi ) पर निर्भर करता है । यही जिन्दगी का सार है |
Tripathi V J
मेरे बार बार पूछने पर भी वो चुप थी तोड़ के वो मेरा दिल किसी और के साथ खुश थी वैसे तो जताती थी हमेशा प्यार मुझसे हालाकि करती भी थी वो ऐतबार मुझपे फिर न जाने क्या उसके साथ मुश्किल थी मेरे बार बार पूछने पर भी वो चुप थी तोड़ के वो दिल मेरा किसी और के साथ खुश थी आज भी उसकी याद आती है तो दिल सहम सा जाता है उसको खोने का डर आज भी मुझे डरा जाता है आज तक पता न चला मुझे कि क्या मेरी चूक थी मेरे बार बार पूछने पर भी वो चुप थी तोड़ के दिल वो मेरा किसी और के साथ खुश थी|