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मेरे ख़यालात.. (Jai Pathak)
जो साधन को साधना सीख गया वो जीना सीख गया और जो साधन का साध्य हो गया उसका भगवान भी चाह के भला नहीं कर सकते। ©मेरे ख़यालात.. (Jai Pathak) #साधन
Juhi Grover
झूठ बोलना उसके लिए ज़रा भी कष्टदायक न था, बल्कि सत्य को उजागर करने का साधन मात्र था। #सत्य #मात्र #साधन #उजागर #कष्टदायक #झूठबोलना #yqhindi #bestyqhindiquotes
Juhi Grover
मनोरंजन का साधन हुआ करता था कभी सिनेमा, आज संस्कृति बदलने का औज़ार बनता जा रहा है। #साधन #सिनेमा #औज़ार #संस्कृति #मनोरंजन #yqdidi #yqhindi #bestyqhindiquotes
somnath gawade
राजकारण आणि व्यवसाय यामध्ये एक साम्य आहे. पुरेशी 'साधन-सामग्री' संपली की व्यवसाय 'ठप्प' तर राजकारणात 'पक्षांतर' केले जाते. #साधन-सामुग्री
#साधन-सामुग्री
read moreCalmKrishna
............ ©CalmKrishna चीज़ें, साधन और शरीर भी🙂 । #चीज़ #इस्तेमाल #उपयोग #साधन #साध्य #उद्देश्य #संसार
Kh_Nazim
लंकेश तड़प कुछ इस कदर थी उसे देखने की बदला भेश हो गए साधु हम भी , पता न था उसकी कुटिया का तब हाथ फैला कर हो गए भिखारी हम भी रास्ता जंगल वन से गुजरता गया दण्डकवन से जानकी का कुछ संदेह ऐसा मिला हो गया मेघ बिजली सा मन मेरा देखा विश्वामित्र प्रिय मैने तब पाया मुक्ति का साधन विवश हो के मैं रोने लगा, जनक पुत्री मैं हरने लगा जो संत का चोला ओढ़ था अब मैं उसे उससे छलने लगा मेघ रथ पे ले गया, स्वर्ण वाटिका .... सम्मान से रखा अंत तक अपने पीतवासा के आने तक मुक्ति का साधन मिला मुझे मेरे घर से जासूस जो निकाला दिया अपने ग्रह से वो जा मिला मेरे मित्र से हो गया मुक्त मैं अपने आराध्य से । लंकेश #तड़प कुछ इस कदर थी उसे देखने की बदला भेश हो गए #साधु हम भी , पता न था उसकी #कुटिया का तब हाथ फैला कर हो गए #भिखारी हम भी रास्ता #जंगल वन से गुजरता गया दण्डकवन से #जानकी का कुछ संदेह ऐसा मिला हो गया मेघ बिजली सा मन मेरा
लंकेश #तड़प कुछ इस कदर थी उसे देखने की बदला भेश हो गए #साधु हम भी , पता न था उसकी #कुटिया का तब हाथ फैला कर हो गए #भिखारी हम भी रास्ता #जंगल वन से गुजरता गया दण्डकवन से #जानकी का कुछ संदेह ऐसा मिला हो गया मेघ बिजली सा मन मेरा #कविता #जनक #जासूस #स्वर्ण #मुक्ति #चोला #विश्वामित्र #khnazim #पीतवासा
read moreAnil Siwach
|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 8 ।।श्री हरिः।। 1 - धर्मो धारयति प्रजाः आज की बात नहीं है। बात है उस समय की, जब पृथ्वी की केन्द्रच्युति हुई, अर्थात् आज से कई लाख वर्ष पूर्व की। केन्द्रच्युति से पूर्व उत्तर तथा दक्षिण के दोनों प्रदेशों में मनुष्य सुखपूर्वक रहते थे। आज के समान वहाँ हिम का साम्राज्य नहीं था, यह बात अब भौतिक विज्ञान के भू-तत्त्वज्ञ तथा प्राणिशास्त्र के ज्ञाताओं ने स्वीकार कर ली है। पृथ्वी के दक्षिणी ध्रुवप्रदेश में बहुत बड़ा महाद्वीप था अन्तःकारिक। महाद्वीप तो वह आज भी है।
read moreManvi Singh manu
एसा लगता है जैसे राजनीती एक क्लासीक् फील्म है । जिसका हीरो बहुमुखी प्रतीभा का मालीक और पल अपना नाम और पार्टी बदलने का हुनर रखता है । हीरोइन, कोई मजबूर लचार लड़की जिसके नाम पे राजनीती की रोंटीयां पक सके वाह, वाह करने वाला मीडीया 👏। फाइंनेसर, मजदूर कीसान हम जैसे मीडील क्लास लोग जिनसे जबरन फाइंनेस करा लीया जाता है टैक्स के नाम पे । संसद, इनडोर सुटींग का साधन । अखबार, आउटडोर सुटींग का साधन । और हाँ ए फील्म सबको दीखाइ जाती क्यों की अब कीसी भी फील्म पर ए नहीं लीखा होता है केवल व्यसकों के लीए । राजनीती
राजनीती
read moreManoj dev
उड़ चल, हारिल, लिये हाथ में यही अकेला ओछा तिनका। ऊषा जाग उठी प्राची में-कैसी बाट, भरोसा किन का! शक्ति रहे तेरे हाथों में-छुट न जाय यह चाह सृजन की; शक्ति रहे तेरे हाथों में-रुक न जाय यह गति जीवन की! ऊपर-ऊपर-ऊपर-ऊपर-बढ़ा चीरता जल दिड्मंडल अनथक पंखों की चोटों से नभ में एक मचा दे हलचल! तिनका? तेरे हाथों में है अमर एक रचना का साधन- तिनका? तेरे पंजे में है विधना के प्राणों का स्पन्दन! काँप न, यद्यपि दसों दिशा में तुझे शून्य नभ घेर रहा है, रुक न, यदपि उपहास जगत् का तुझ को पथ से हेर रहा है; तू मिट्टी था, किन्तु आज मिट्टी को तूने बाँध लिया है, तू था सृष्टि, किन्तु स्रष्टा का गुर तूने पहचान लिया है! मिट्टी निश्चय है यथार्थ, पर क्या जीवन केवल मिट्टी है? तू मिट्टी, पर मिट्टी से उठने की इच्छा किस ने दी है? आज उसी ऊध्र्वंग ज्वाल का तू है दुर्निवार हरकारा दृढ़ ध्वज-दंड बना यह तिनका सूने पथ का एक सहारा। मिट्टी से जो छीन लिया है वह तज देना धर्म नहीं है; जीवन-साधन की अवहेला कर्मवीर का कर्म नहीं है! तिनका पथ की धूल, स्वयं तू है अनन्त की पावन धूली- किन्तु आज तू ने नभ-पथ में क्षण में बद्ध अमरता छू ली! ऊषा जाग उठी प्राची में-आवाहन यह नूतन दिन का उड़ चल हारिल, लिये हाथ में एक अकेला पावन तिनका! #hardtime