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Joyoti Kumari

#आलोक राज

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करम गोरखपुरिया

रचनाकार आलोक श्रीवास्तव जी की रचना बाबू जी को जितनी बार पढ़ लिजिए मन नहीं भरता बाबू जी का स्मरण कराने वाली अद्भुत रचना पढ़िए और लुप्त उठाइए #आलोक #श्रीवास्तव #रचना #Poetry

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रचनाकार || आलोक श्रीवास्तव

©काम भक्त कवि [आशीष मिश्रा] रचनाकार आलोक श्रीवास्तव जी की रचना बाबू जी को जितनी बार पढ़ लिजिए मन नहीं भरता बाबू जी का स्मरण कराने वाली अद्भुत रचना पढ़िए और लुप्त उठाइए
#आलोक #श्रीवास्तव #रचना

आलोक अग्रहरि

#राष्ट्र #हित में
                     न #देशभक्त #हिन्दू हुए सभी,
                     न #गद्दार #मुस्लिम हैं सभी।।
                     कर लो यकीं #आलोक तुम,
                     #इंसानियत जिंदा है अभी।।

                    न ही #गीता के उपदेश हैं #बुरे,
                    और न ही #आयतें #कुरान की।
                    ये मानता और जानता हूँ इसलिए,
                    #भाईचारे की रीति निभाता हूँ मैं।

                   किंतु इस समय जो एहसास हो रहा,
                   सम्पूर्ण विश्व #एकजुट हो रहा खड़ा।
                   #कोरोना महामारी से भयभीत हैं सभी,
                   हर ओर #क्रंदन ही सुनाई देता अभी।।

                   #मानवता बचे यही चाहते सभी,
                   हर संभव प्रयास कर रहें हैं सभी।
                   इक प्रश्न मस्तिष्क में पनप रहा अभी,
                   ये #जमाती क्या चाहते हैं अभी?

                    कुरान की #आयतें इन्होनें पढ़ी नही,
                    या मानवों  से करते हैं #प्रेम नही।।
                   ये कैसे इस्लाम धर्म के #अनुयायी हुए?
                   और अल्लाह के प्यारे #बंदे हुए।।

                   इन जमातियों का ये #अभद्र व्यवहार,
                   सम्पूर्ण विश्व को #तकलीफ़ दे रहा।।
                   कैसे कहूँ ये #द्रोही इस्लाम मानते हैं?
                   कुरान को #पवित्र मान पूजते हैं।।
     
                   वर्तमान में #चाणक्य का अनुसरण हो
                  #जमातियों पर कड़ा से कड़ा प्रतिबंध हो।
                  #देशद्रोहियों के जैसा इनसे बर्ताव हो,
                   #चाणक्य नीति का इन पर प्रयोग हो।।

©आलोक अग्रहरि #कोरोना2020

ALOK Badshah

#मोटिवेशनल #आलोक टीएसएस

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Logic Kaha Hai जीत और हार आपकी सोच पर डिपेंड करता है
मान लो तो हार पक्की है और ठान लो तो जीत पक्की है

©ALOK Badshah #मोटिवेशनल 
#आलोक टीएसएस

Alok Tiwari ( KABIR)

"गिरकर उठना या उठकर गिरना.."

दोनों ही वाक्यों में "गिरना" शब्द अपने में बहुत महत्त्व व अर्थ रखता है।
इसलिए कभी-2 गिरने का अपना ही अलग सुकून या एहसास होता है।

लेकिन इसका आनंद लेने के लिए आपको  फिर से उठना भी आना चाहिए।
#आलोक (कबीर)

©Alok Tiwari ( KABIR) #success_i_can.
#AWritersStory

alok

#आलोक आज़ाद पोएट्री #कविता

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Aalok Sompura

मृत्यु के डर से भयभीत क्यों हो...
तुम जिंदा ही कहा हो कि मर जाओगे...

#आलोक

alok singh

चलो  अच्छा हुआ  
वो  अजनबी  थे  अजनबी  ही  रह  गये 
दिल  में  जो  भी  था  वो  सब  साफ  साफ  कह  गये 
कौन समझाता  उन्हे  ये  ज़िन्दगी  के  कडुये  शब्द 
बंद  किताबों  में  हम  थे  बिन  पढे  ही  रह  गये  
#आलोक  सिंह  #गुमशुदा

अलौकिक "आलोक"

बचपन की यादें.... #कविता

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मैं बचपन की इक याद बताने आया हूँ।

कुछ दोस्त तो पीछे छूट गए कुछ दोस्त जो मुझसे रूठ गए,
मैं सबको मनाने आया हूँ, मैं बचपन की इक याद बताने आया हूँ।

एक नवोदय अपना प्यारा था, जिसमे बचपन हमने गुजारा था,
उस नवोदय की हर बात बताने आया हूँ, मैं बचपन की इक याद बताने आया हूँ।

कुछ यार जो सबसे प्यारे थे कुछ यार जो सबसे न्यारे थे,
उन  यारों के सब राज बताने आया हूँ, मैं बचपन की इक याद बताने आया हूँ।

एक क्लास में जब वो आती थी, धक से दिल को धड़काती थी,
उस धड़कन की आवाज सुनाने आया हूँ, मैं बचपन की इक याद बताने आया हूँ।

वो सुबह से लेकर शाम तक वो शाम से लेकर रात तक कब सोना था कब पढ़ना था,
मैं वो हर बात बताने आया हूँ, मैं बचपन की इक याद बताने आया हूँ।

वो सुबह को उठ कर पीटी करना वो सोते सोते गिरना पड़ना फिर उसको देख कर सीधा चलना, 
मैं वो हर किस्सा सुनाने आया हूँ, मैं बचपन की इक याद बताने आया हूँ।

वो नहा धोकर मैस में जाना, इक थाली में चार का खाना, 
मैं वो प्यार जताने आया हूँ, मैं बचपन की इक याद बताने आया हूँ।

वो प्राथर्ना करके क्लास में जाना वो मेरा आना उसका जाना, उन चंद पलो में आँख मिलाना,
उन आँखों का प्यार दिखाने आया हूँ, मैं बचपन की इक याद बताने आया हूँ।

वो क्लास में जाकर सबसे पीछे बैठना हर बात पे उसको ताकना उसको देखना, 
उस ताका-झांकी के किस्से सुनाने आया हूँ, मैं बचपन की इक याद बताने आया हूँ।

कहने को तो सारा किस्सा है कुछ तेरा है कुछ मेरा हिस्सा है, 
उन किस्सों को मैं फिर से जीने आया हूँ, मैं बचपन की इक याद बताने आया हूँ।

आलोक दुबे"आलोक" बचपन की यादें....

अलौकिक "आलोक"

प्रतिघात करो👊👊💪 #कविता

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अब चुप न बैठो घात करो चाहो तो प्रतिघात करो।

7-7 पुश्ते कांप उठे दुश्मन पर ऐसा आघात करो ।

तुम हो नरेंद्र नर-मानव श्रेष्ठ विश्व विजेता तुम हो ज्येष्ठ।

अब न तुम आराम करो सामना शत्रु का सीना तान करो।

घात करो प्रतिघात करो दुश्मन पर आघात करो।

आलोक दुबे "आलोक" प्रतिघात करो👊👊💪
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