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दो हज़ार उन्नीस में कुछ ऐसे हम जिये कुछ दाढ़ी बढ़ा ली कुछ ख़्वाब ट्रिम किये! ©KaushalAlmora #2019 #बीतेसाल #yqbaba #yqdidi #365days365quotes #life #deathof2019 #दाढ़ी
2019 #बीतेसाल #yqbaba #yqdidi #365days365quotes life #deathof2019 #दाढ़ी
read moreअभिषेक सिंह
कल तो जो लोग हमारे चेहरे पर दाढ़ी देखा करते थे, आज वो सवाल किया करते है, उनका भी सवाल जायज है, इसमे हमे न कोई ऐतराज है , पूरी वाक्या मैं बताता हूँ हाल ए दिल सुनाता हूँ .....। वैसे दाढ़ी मुझे बेशक भाता है पर ये बात हमारे पिताजी को नही समझ आता है, उन्होंने कई बार हमारे हुलिया पर प्रशन खड़ा किया आवारा ,निकम्मा,गुंडा जैसे अनेको शब्दों का उपमा मुझे दिया ।। मैंने भी उनसे हँसते हुए कह दिया कि पिताजी आपकी बाते उचित है पर लंबी दाढ़ी तो लेखकों की हुलिया में निहित है, पिताजी के गर्म तेवर ने फरमान जारी किया और शाम तक हुलिया बदलने का हुक्म दिया । उनके बातो के आगे मेरे एक न चल पाई क्योंकि अब मेरी पीर भी हो चुकी थी पराई, बुझे मन से मैंने दाढ़ी का मर्दन कराया और ये अटपटा सा हुलिया पाया, जब खुद को मैने देखा आईने में, निःशब्द हो गया सोचते सोचते दिल में बस एक ही आवाज थी कि क्या से क्या हो गया देखते देखते हुलिया बदलने का दर्द
हुलिया बदलने का दर्द
read moreअल्ताफ़ कलंदर
दाढ़ी हुई जिसकी सफ़ेद वो शख्स है दिलचस्प के ज़ायका बढ़ता है जब पकने लगे दाढ़ी Dadhi 3
Dadhi 3
read moreअल्ताफ़ कलंदर
कहते हैं वो उनको मेरी प्यारी लगे दाढ़ी करते दुआ होंगे यही बढ़ती रहे दाढ़ी Dadhi 1
Dadhi 1
read moreLove Prashar
इक दोस्ती ऐसी भी थी ( A Lesson From Riots, Friendship Has No Religion ) I wrote this with lot feelings please take some time out and read it if possible पूरी कहानी अनुशीर्षक मै पढ़े ( Read In Caption ) #Genesis Introduction इस कहानी को जब मैं लिख रहा था तो खुद मेरे जेहन मे कई सवालात थे मै उन दंगो के वक़्त वहा उस जगह पर तो नहीं था परन्तु सिर्फ उन दंगो के दृश्यों की कल्पना मात्र से ही मेरा ह्रदय डर और क्रोध से जाँझोड सा गया कुछ वक़्त बाद वहा कर्फुयु लगा और धीरे धीरे दंगे शांत होगए और शायद 14-15 साल होगए इस वाक्य को पर अब तक कोई फैसला नहीं आया और कुछ लोग जिनके घर उजड़े थे वो घर-बार छोड़ चले गए और कुछ जिनके पास अभी भी वहा रहने के इलावा कोई और चारा नहीं था वो वही उसी शहर मे जैसे तैसे अपना जीवन व्यत
#genesis Introduction इस कहानी को जब मैं लिख रहा था तो खुद मेरे जेहन मे कई सवालात थे मै उन दंगो के वक़्त वहा उस जगह पर तो नहीं था परन्तु सिर्फ उन दंगो के दृश्यों की कल्पना मात्र से ही मेरा ह्रदय डर और क्रोध से जाँझोड सा गया कुछ वक़्त बाद वहा कर्फुयु लगा और धीरे धीरे दंगे शांत होगए और शायद 14-15 साल होगए इस वाक्य को पर अब तक कोई फैसला नहीं आया और कुछ लोग जिनके घर उजड़े थे वो घर-बार छोड़ चले गए और कुछ जिनके पास अभी भी वहा रहने के इलावा कोई और चारा नहीं था वो वही उसी शहर मे जैसे तैसे अपना जीवन व्यत #Poetry
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