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अज्ञानी
"मैं" और "तुम" जैसे हमें किसी उपमा की क्या ज़रूरत तुम मैं बन गई मैं तुम बन गया पेश है, Rest Zone की ओर से ये ख़ूबसूरत #collab #तुमऔरमैं #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi #उपमा #मैंऔरतुम #जैसे #hindi
somnath gawade
तीच्या सौंदर्याला गुलाबाची ही उपमा दिली असती. सोबत जर त्याने काट्याची केली नसती. #उपमा
Vibha Katare
ज़िन्दगी पतंग सी भूत या भविष्य की / वर्तमान डोर है थामे पतंग का दूजा छोर है / एक पतंग कट गई अतीत में अटक गई/ छोड़ टूटी डोर को मुड़ भविष्य की ओर को/ देख खुला आसमान नई पतंग अब संभाल / मांजा अपना साध ले अब नई उड़ान ले / #पतंग #उपमा #भूतभविष्य #डोर #yqdidi
#पतंग #उपमा #भूतभविष्य #डोर #yqdidi
read moreVibha Katare
देखा आँखों के सामने तिलस्मी उम्मीदों के महल को टूटता.. जिस महल के कँगूरों पर सजाये थे मैंने अपने सपने.. धराशायी होता महल और मलबे में दबते सपने.. अश्रुपूरित आँखें मष्तिस्क से द्वंद करती.. कि हृदय में चुभता दर्द उम्मीदों के टूटने का है या सपनों के बिखरने का.. मलबे में दबी हैं कहीं अंतिम सांसे लेती आहत भावनाएँ.. आँसुओं के टूटते बाँध.. बहा कर ले जाते मलबे को हृदयपटल से दूर दफनाते मष्तिस्क के किसी कोने में.. छोड़ते पीछे अहसासों की लाशों के अवशेष.. और बंजर वीरान हृदय ... #notmystory #yqdidi #brokenheart #उम्मीदें #उपमा #sad
#notmystory #yqdidi #brokenheart #उम्मीदें #उपमा #SAD
read morePOET PRATAP CHAUHAN
Namita Chauhan
मै प्रेम में पड़ी एक #मामूली सी पागल लड़की हूं। मुझे नहीं चाहिए चांद की #उपमा... ये सितारों से सजी आसमां भर की #ओढ़नी मुझे बस चाहिए, तो आपके हृदय पर #अधिकार आपके आंगन का छोटा सा #गरोंदा.... आपके बटुए में आपकी #मां की तस्वीर... के नीचे छुपाई गई मेरी भी एक #तस्वीर...❤️🙈 और बस कभी ईश्वर से कुछ मांगू तो ये कि आप मेरी वो एक छोटी सी #ख्वाइश पूरी कर दो... अगर ना भी पूरी हुई फिर भी.. मैं #बांधूंगी आपके खुशीयों के लिए #मन्नत के धागे हर बार... #जान❤️ ©Namita Chauhan
surbhi jain
#उपमा मां कबीर की साखी जैसी, तुलसी की चौपाई-सी, मां मीरा की पदावली-सी, मां है ललित रुबाई-सी. मां वेदों की मूल चेतना, मां गीता की वाणी-सी, मां त्रिपिटिक के सिद्ध सुक्त-सी, लोकोक्तर कल्याणी-सी. मां द्वारे की तुलसी जैसी, मां बरगद की छाया-सी, मां कविता की सहज वेदना, महाकाव्य की काया-सी. मां अषाढ़ की पहली वर्षा, सावन की पुरवाई-सी, मां बसन्त की सुरभि सरीखी, बगिया की अमराई-सी. मां यमुना की स्याम लहर-सी, रेवा की गहराई-सी, मां गंगा की निर्मल धारा, गोमुख की ऊंचाई-सी. मां ममता का मानसरोवर, हिमगिरि-सा विश्वास है, मां श्रृद्धा की आदि शक्ति-सी, कावा है कैलाश है. मां धरती की हरी दूब-सी, मां केशर की क्यारी है, पूरी सृष्टि निछावर जिस पर, मां की छवि ही न्यारी है. मां धरती के धैर्य सरीखी, मां ममता की खान है, मां की उपमा केवल है, मां सचमुच भगवान है.
अलक
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