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Shilpa
कयी बार मरना चाहा कयी बार फिर रो लिये ज़ख्म ज़िंदगी के फिर ऐसे हमने ढो लिये 2019#shilpapandya
कयी बार मरना चाहा कयी बार फिर रो लिये ज़ख्म ज़िंदगी के फिर ऐसे हमने ढो लिये 2019shilpapandya #शायरी #nojotophoto
read moreShubham "Sambhav"
पहाड़ों की दरिया भी, हवा निकली, मेरे इरादों से, एक वजह निकली। चाहें कितनी , क्यों न ऊंची हो, हमारे हौसलों के सामने रवा निकली।१। ताउम्र रातों का जागा हूं, अपने आप से लड़ा हूं। यूं ही मंजिल छोटी नहीं दिखती, बेवजह कांटो के राहों पर , सुमन बिछा नहीं करती।२। खुशनुमा दिखता हूं मैं, जमाने को क्या पता? तन्हाई में रोया हूं राफ्ता राफ्ता। लोग मिल जाते हैं अधराहों पर, साथ छोड़,चन्द लम्हों की दोस्ती निकली।३। स्वप्न में डूबे कयी हमराही थे, कोई हवस में था,कयी कहानी थे। जब जिन्दगी ने तौला अपनी कसौटी पर, तब सारी हैकड़ी हवा निकली।४। जिन्दगी यूं नहीं खुद से रूठा करती। हैं किराए पर, आज भी,आबरू लुटा करती। कोई चीख नहीं,पर कुंठित हैं, हमसे मरकर भी,आह नहीं निकली।५। इरादा
इरादा #कविता
read moreNilesh Gendare
राहों पर पड़े हैं कयी कंकड़ तु उनको बिनना छोड़ दें आसमा के अंधेरों को देख तारो को गिनना छोड़ दें रास्तों पर आते जाते मिल जाते हैं कयी लोग तु आगे बढ़ता जा सबसे हाथ मिलाना छोड़ दें #nileshgendare #nojotohindi #motivation
#nileshgendare #nojotohindi #Motivation
read moreBunny
खुद्द के बलबुते पे खडे है संपणे काफी बडे है कयी राहो की सिडिया चढे है कयी बार गिरने से डरे है मुस्कीलो से लढ ते रहे है खुद्द से झगड ते रहे है फ़िर भी आज खडे है
Vaani_Shiva
वो अवाज़ जो ज़ख्मी है पर सारगर्भित है वो असहाए पीड़ा जो हर पल खुशी से वान्छित है वो जो सार्वभौमिक सत्य सा सूर्यवंशी है वो जो निज हृदय कुंज मे सृष्टिकर्ता को आन्शित है वो जो नभ के तारे निशा मे सर्व व्यापित हैं वो जो द्विजराज त्रियामा मे सदा द्योतित है वो जो नयन पुलकित अश्रुओं से चिर प्रवाहित हैं समय सीमा तय है जहान सृजन के अंत मे जहां कयी महारानी बनी इस भूखंड के खंड मे एक टूटा हुआ पहिया लिये मृत्युंजयी तत्व है जिन महारथियों के लिये निहत्थे पर वार करने का महत्व है आज इस सभा मे दुर्योधन का दुस्साहस प्रबल है आज श्री कृष्ण का साथ भी जहाँ निश्फल है ऐसे कलयुग मे पधारे हैं हम हे मनुष्य जहाँ द्रौपदी का चीर हरण नही किंतु मान हरण है और इस पूरे साम्राज्य मे स्थित त्राहि त्राहि का रुदन है आज कोई उन पंखुडियों को भी थोड़ा बल दे उन कोमल कलियों को हे ईश्वर तु ही फल दे जिन के देह पर दानवों का निर्मम आक्रमण है जिन कोढीत दूषित जीवन मे केवल संक्रमण है हे कृष्णा मैने पुकारा है फिर से वो आँचल लहराने दो कयी द्रौपदियों के हरण को हरने अपना कोई कल तो आने दो बस तुम पर मेरी निष्ठा है मेरा संपूर्ण चिंतन मनन है कालिख के सौदगर, सुदर्शन चक्र के हों, ये मेरा आवाहन है।
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