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@thewriterVDS
"कबीर" प्रेम पियाला जो पिए, सिस दक्षिणा देय । लोभी शीश न दे सके, नाम प्रेम का लेय । भावार्थ: जिसको ईश्वर प्रेम और भक्ति का प्रेम पाना है उसे अपना शीशकाम, क्रोध, भय, इच्छा को त्यागना होगा। लालची इंसान अपना शीशकाम, क्रोध, भय, इच्छा तो त्याग नहीं सकता लेकिन प्रेम पाने की उम्मीद रखता है। . ©@thewriterVDS #कबीर #प्रेम #जो #पिए #दक्षिणा #लोभ #शीश #नाम #ईश्वर #Chalachal
Manjul
ज़िन्दगी एक जाम हैं पिये जा पिये जा.. सुबह हो या शाम हो पिये जा पिये जा.. ले हाथ में जाम, भर घुट पिये जा पिये जा ज़िन्दगी जिये जा.. ज़िन्दगी एक जाम हैं पिये जा जिये जा..... ©Manjul Sarkar #जिंदगी #जाम #पिए #सुबह #शाम #हिंदी #हिंदी_कविता #हिंदीनोजोटो #Nojoto #nojohindi
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read moregopal Bajag
पहला नशा 🌹 बाजग ब्रदर्स 🌷 जाने कभी गुलाब लगती हे जाने कभी शबाब लगती हे तेरी आखें ही हमें बहारों का ख्बाब लगती हे में पिए रहु या न पिए रहु, लड़खड़ाकर ही चलता हु क्योकि तेरी गली कि हवा ही मुझे शराब लगती हे #शायरी @gopal_bajag
शायरी @gopal_bajag
read moreMangal Pathak
🌹🌻🌺🌹🥀🌺🌻 जाने कभी गुलाब लगती है जाने कभी शबाब लगती है तेरी आखें ही हमें बहारों का ख्बाब लगती है मैं पिए रहु या न पिए रहु, लड़खड़ाकर ही चलता हु क्योकि तेरी गली कि हवा ही मुझे शराब लगती है....! 🌹🌻🌺🌹🥀🌺🌻
shobharam gujjar
🌹🌻🌺🌹🥀🌺🌻 जाने कभी गुलाब लगती हे जाने कभी शबाब लगती हे तेरी आखें ही हमें बहारों का ख्बाब लगती हे में पिए रहु या न पिए रहु, लड़खड़ाकर ही चलता हु क्योकि तेरी गली कि हवा ही मुझे शराब लगती हे 🌹🌻🌺🌹🥀🌺🌻 तेरे संग यारा gujjar
gujjar
read moreSonu Gautam
जाने कभी गुलाब लगती हे जाने कभी शबाब लगती हे तेरी आखें ही हमें बहारों का ख्बाब लगती हे में पिए रहु या न पिए रहु, लड़खड़ाकर ही चलता हु क्योकि तेरी गली कि हवा ही मुझे शराब लगती हे सोनू गौतम
Yuvraj Singh
जाने कभी गुलाब लगती है, जाने कभी शबाब लगती है, तेरी आँखें ही बहारों का ख्वाब लगती है , मैं पिए रहूँ या न पिए रहूँ लड़खड़ाकर ही चलता हूँ क्योंकि तेरी गली की हवा ही मुझे शराब लगती है।
Deepak Parsoya
🌹🌻🌺🌹🥀🌺🌻 जाने कभी गुलाब लगती हे जाने कभी शबाब लगती हे तेरी आखें ही हमें बहारों का ख्बाब लगती हे में पिए रहु या न पिए रहु, लड़खड़ाकर ही चलता हु क्योकि तेरी गली कि हवा ही मुझे शराब लगती हे 🌹🌻🌺🌹🥀🌺🌻 #####
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read moreNikhardeepak420
जाने कभी गुलाब लगती हे जाने कभी शबाब लगती हे तेरी आखें ही हमें बहारों का ख्बाब लगती हे में पिए रहु या न पिए रहु, लड़खड़ाकर ही चलता हु क्योकि तेरी गली कि हवा ही मुझे शराब लगती हे| @nikhardeepak420
Nikhardeepak420
जाने कभी गुलाब लगती हे जाने कभी शबाब लगती हे तेरी आखें ही हमें बहारों का ख्बाब लगती हे में पिए रहु या न पिए रहु, लड़खड़ाकर ही चलता हु क्योकि तेरी गली कि हवा ही मुझे शराब लगती हे| @nikhardeepak420