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Yadav ji
#रुतबा 😏तो #_खामोशियों🤫 का होता है #साहिब, #अल्फाजो 🗣️का क्या है ❓वो तो #मुकर 😑जाते है #हालात देखकर !! ©Yadav ji ✍✍ #mukhota
sareef_londa_x1
#रुतबा 😏तो #_खामोशियों🤫 का होता है #साहिब, #अल्फाजो 🗣️का क्या है ❓वो तो #मुकर 😑जाते है #हालात देखकर !!
Somya Tiwari (Poetic_Girl_Somu)
#Pehlealfaaz आ लिख दू कुछ तेरे बारे में, मुझे पता है कि तू रोज़ ढूंढता है खुद को मेरे #अल्फाजो में मत लगाओ बोली अपने अल्फाजो की हमने लिखना शुरु किया तो तुम नीलाम हों जाओगे, एक उम्र कटी दो अल्फाजों मैं एक आश में एक काश में #Pehlealfaaz
diksha singh
हा सीखा है मैंने, बदलते अल्फाजो से ! हा सीखा है मैने, कुछ बिगड़े हालातो से... बदल रहे है रिश्तो की कायनात... अब अपने भी तो अपने नहीं... कुछ पल के अच्छे कुछ पल मे बदल गए | लोगो का प्यार ना जाने क्यों सिमट गए| हा सीखा है मैने, कुछ लोगो की बातो से | हा सीखा है मैने, कुछ बिगड़े हालातो से.... अनकहे सपनो को सोचती दिन रात... कुछसपने भी तो अपने नहीं... जरूरते लोगो की पहचान बता गए | ना जाने कितने इस दिल को दुखा गए | हा सीखा है मैने, बदलते अल्फाजो से | हा सीखा है मैने, कुछ बिगड़े हालातो से........ #my stories
Author Sanjay Kaushik (YouTuber)
मेरे अल्फाजो और आवाज से तू चाहे कर तौबा मगर जब हम ना होंगे तो आंखों से बहते तूफान को, ना रोक पाओगे इन्ही अल्फाजो को पढोगे एक दिन और मेरे लिखे हुए नग्में फिर गाओगे । ---Sanjay Kaushik #mereALFAAZ
Rohit Salvi
कुछ नही बस सोच रहा हु, शायर जो हु, अल्फाजो को दिल से नोच रहा हु, कुछ नही बस सोच रहा हु, कलम को हाथ मे लिए, अल्फाजो को खोज रहा हु, पता नही कहा खो से गए है., उन्ही को ढूंढ रहा हु, कुछ नही बस सोच रहा हु...
chandu kumbhar
खुदगर्जी का जमाना है.... यहा हर मोड़ पे खुदगर्ज मिलते है..... जो कल को साथ थे वो आज परया करते है... दिलो में भरी है .... तलब खुदगर्जी की... ...लगाई है आग....इस खुले आसमान में .... जहर भरे एक...बादल को.... सुनो सावधान रहना यहा दिल लुटे जाते है ... बड़े ही सफ़ाईदार झुठ से.... @chandu... #अल्फाजो के नए रास्ते का एक पुराना मुसाफ़िर😔.... #chandukumbhar....#love #sad guys if you like my lines so plz follow for more......,😍🎼🙏🙏
#chandukumbhar....#Love #SAD guys if you like my lines so plz follow for more......,😍🎼🙏🙏 #अल्फाजो
read moreDilip Makwana
अहसास क्या होते है सिर्फ शब्दो मे सुने थे ! मगर एहसासों का अहसास जिसने करवाया वो अहसास हो तुम..... तुम्हे महसूस करने के लिए तुम्हारी आवाज जो बेशक कोयल सी मधुर होगी की जरूरत ही नही पड़ी मुझे, क्योंकि तुम्हारे चांद से चेहरे की कुछ खूबसूरत तस्वीरों ने तुम्हारी खूबसूरती की एक किताब छोड़ रखी थी मेरे दिल मे ! उस किताब के हर पन्ने का अल्फाज जैसे बडी वादियों में सफेद पहाड़ी के बीच गिरते झरने की कुछ बूंदों का उड़ती हवा के झरोखे के साथ चेहरे पर गिरना लगता था !! इस किताब पर हक जताना मेंरे दायरों से काफी परे था मगर चंद पन्नो से चंद अल्फाजो को पढ़ पाना ही मेरे नसीब में था.....मगर इतने ही अल्फाज काफी थे तुमसे करीब होने के...बहुत करीब होने के लिए !! एक खूबसूरत प्राकृतिक दृश्य से तुम्हारी खूबसूरती की तुलना करना शायद मेरी गुस्ताखी थी क्योंकि उस प्राकृतिक नजारे का तुम्हारे मुकाबले निरंतर बौना होना...मुझे देखा नही जा रहा था !! कभी कभी पूर्णिमा की रात में, चांद की हल्की सी रौशनी में,छत पर अकेला बैठ कर...सुन्न से पड़े मौहल्ले में....जहाँ सिर्फ पेड़ों के कुछ पत्तो के हिलने की आवाज महज मेरे कानों में स्पष्टत: आ रही थी और वही कुछ पक्षियों के चहचहाने की....... वहां उस नजारे में सिर्फ मैं ,मेरा सुन्न पड़ा मौहल्ला,पूर्णिमा की रात, हल्की सी चांदनी,पत्तो की आवाज,पक्षियों की चहचाहट और मेरी ""प्यारी सी कल्पना"""...... वहाँ खुली आँखों से कल्पना करना शायद मेरी ज़िंदगी के सबसे खूबसूरत लम्हो में से एक था !! "तुम्हारे अश्को से जब कुछ अश्रु भौहें को स्पर्श करते हुए गालों से चिपक कर सूखते होंगे तो मैं सफेद वादियों में दो पहाड़ी के बीच झरने से बह रहे पानी को महसूस कर लेता था ! ऐसी ही होगी उसकी अश्रुधारा.. ठीक इस खूबसूरत झरने की तरह !! "तुम जब चलती होगी तो तुम्हारे पैरों में बंधी पायल से निकली चन्न-चन्न की आवाज ठीक वैसी ही होगी जैसे किसी नन्ही सी जान का जन्म होते ही उसके मुख से पहली ही दफा निकली "खूबसूरत किलकारियां" जो पूरे प्राँगण में महक भर देती हो ! कल्पना ही कल्पना में जब रात मेरा साथ दे रही थी मगर स्पष्ट देख पा रहा था कि कही न कही से चाँद मुझे एकनजर से घूर रहा है ......पूछ रहा हो जैसे " कौन है वो जिस कारण तुम मुझे ही फीका महसूस कर रहे हो " मेने भी कह दिया " अच्छा है छुपी हुई है वो , वरना पूरी कायनात जुट जाएगी उसे तेरी जगह बिठाने को" !! तुम बोलती होगी तो कैसे बोलती होगी ? बड़ा उत्सुक हुए जा रहा था हर बार.....सोचता था कितने खुशनसीब होंगे वो अल्फाज जो तुम्हारी जिव्हा और होंठो को निहारते....निहारते निकलते होंगे ! कितनी खुशनसीब होगी वो मेहन्दी जो तुम्हारी हथेली पर सज कर उत्सुक हो रही होगी , और कितने खुशनसीब होंगे तुम्हारे वो हाथ जो किसी न किसी बहाने तुम्हारे गालों को चूमते होंगे !! कोसो दूर था मगर बहुत करीब आ गया था तुम्हारे, तुम्हे पाने के लिए बढ़ती रौशनी मेरा हौसला बढ़ाए जा रही थी ! मैं तुमसे कह भी देता कि "इस चाँद की रौशनी हमेशा के लिए मेरी हो" "पूरी ज़िंदगी इसी रौशनी के सामने बैठा गुजारूं" "सोच रहा था...ज़िन्दगी भर के लिए तुम्हारे अश्को को,तुम्हारे अल्फाजो को,तुम्हारे हाथों को छुट्टी पर भेज दु और ज़िन्दगी भर के लिए मैं मजदूर बन जाऊं तुम्हे निहारने के लिए" ! मगर ये सब आसान कहा था कह भी नही सकता था...."आत्मविश्वास "? आत्मविश्वास की कमी नही थी मुझमे मगर डर सा लग रहा था कि कही बहुत दूर न हो जाऊं तुमसे !! वो सब खो दूंगा जो महसूस करता हूँ ! जो सब गवा दूंगा जो सोचा भी नही हूं ! सोचता हूँ... कैसे बनाया होगा खुदा ने तुम्हे !! शायद नूर के बने तालाब में डुबोकर बाहर निकाला होगा ! खुदा की कलाकृति पर नाज है मुझे...यकीन नही हो रहा है, कोई कीसी को ऐसा कैसे बना सकता है ? यकीनन ऐसा बनाया है इसलिए तो खुदा कहते है तुझे !! मगर सुन लो खुदा.....तुम्हारे दी हुई इक इक खूबसूरती को संभाल रखा है मेरी उसने...... जितनी कशमकश खुदा ने तुझे बनाने में की है उतनी ही तूने उसे संभालने में की है ! इसलिए किसी शायर का एक शेर याद आ गया तुम्हारे लिए "मैं मानता हूँ तुम खुदा नही हो" "मगर खुदा से कम भी तो नही हो" तुम वो खूबसूरत पुष्प हो जिसके इर्द-गिर्द मेरे जैसे अनगिनत भँवरे गुनगुनाते फिरते है मगर खिलना,महकना तेरी फितरत है !! दिलीप मकवाना
mr. shayar
अल्फाज़ हैं मगर, अल्फाज है मगर इन अल्फाजो मे कुछ ख्वाब नज़र आते है तू दूर है मुझसे फिर भी इनमे तेरे अहसास नज़र आते है इस रुक्सत भरी जिंदगी से बेपरवाह है हम इसलिए तो रोज अल्फाजो से खेलते नज़र आते है
Amar Singh
मेरे अल्फाजो की नहीं जज्बातो की कद्र करना क्योंकि जज्बात मनुष्य के ह्र्दय के वास्तविक भाव होते है,जबकि अक्सर अल्फाजो पर दिखावे और मक्कारी की झूठी परत चढी रहती है। अमर' अरमान' सत्य वचन
सत्य वचन
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