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मोहम्मद मुमताज़ हसन
चरागे -मोहब्बत जलाते चलो सबको गले लगाते चलो मंदिर न मस्जिद में मिलती है ये मोहब्बत दिलों में बचाते चलो इंसानियत ही तहज़ीब हमारी है गीत एकता के सुनाते चलो रहे हैं सदा मिलकर ही रहेंगे पैग़ाम अमन का सुनाते चलो हिंदू मुस्लिम दो आंखे हैं देश की इन चिरागों से रौशनी लुटाते चलो ** "एकता का पैगाम" #सुप्रीम कोर्ट#अयोध्या विवाद#फैसला
#सुप्रीम कोर्टअयोध्या विवादफैसला
read moreगौरव दीक्षित(लव)
*पत्थर और पौधे मै भेद तो समझिये* *"जनाब"* *कौन सड़क पर पड़ा है तो* *कौन खेतों में खड़ा है,,,* कृषि कानून ,सुप्रीम कोर्ट फैसला *|('}_* *|(_/\\__G@ur@v ______✍🥀* *🌚!! शुभ रात्रि !!🌚* *🚩!! जय सियाराम !!🚩* ©गौरव दीक्षित(लव) कृषि कानून ,सुप्रीम कोर्ट फैसला *
कृषि कानून ,सुप्रीम कोर्ट फैसला * #शायरी
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बहुचर्चित ज्ञान या बी मामले में वाराणसी के जिला जज के निर्णय ने स्पष्ट कर दिया है कि अब यह पर कारण लंबी कानूनी प्रक्रिया का सामना करेगा यह निर्णय अपेक्षा के अनुरूप ही है क्योंकि यह रितेश अक्षत दिखाता है कि ज्ञानी अभी परिसर में मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाई गई थी जिला जज ने केवल यह पाया कि यहां मामला सुनवाई योग्य है बल्कि यह भी स्पष्ट किया कि इस विवाद में 1991 का पूजा स्थल संबंधित कानून लागू नहीं होता है ध्यान रहे कि ऐसे ही सुप्रीम कोर्ट ने तब कहा था जब वह इस आशय की याचिका पेश की गई थी पूजा स्थल कानून के चलते हुए मामले की किसी अदालत में सुनवाई नहीं हो सकती तब सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया था कि उक्त कानून यह पता करने पर रोक नहीं लगा ताकि किसी उपासक स्थल का धार्मिक स्वरूप क्या है ©Ek villain #ज्ञानवापी पर निर्णय सुप्रीम कोर्ट का #Teachersday
#ज्ञानवापी पर निर्णय सुप्रीम कोर्ट का #Teachersday #Society
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उपराष्ट्रपति जगदीश धनखड़ ने तो बहुत ही नियोजित प्रश्न उठाया उपराष्ट्रपति का यह कथन स्वार्थ उचित है कि स्वर समिति से पारित संविधान संशोधन कानून सुप्रीम कोर्ट द्वारा खारिज किए जाने के बाद उस पर संसद में जरा भी बहस क्यों नहीं हुई संसद को उसे दोबारा पास करके पुनर्विचार याचिका के तौर पर सुप्रीम कोर्ट भेजना चाहिए था कॉलेजियम व्यवस्था सिर्फ भारत में ही क्यों है इसी के इस खामियों का और अपारदर्शी होने का पता चलता है वैसे भी सुप्रीम कोर्ट अनेक बार ऐसी टिप्पणियां कर चुका है और फैसले दे चुका है जो उसके स्तर में नहीं है ©Ek villain #writer कोलेजियम व्यवस्था में सुधार हो सुप्रीम कोर्ट
Ek villain
ठंड के मौसम में शायद ही कोई घर हो जहां बथुआ के अलग-अलग व्यंजन ना बनते हो रोचक यह है कि गत दिनों इसका प्रशांत सुप्रीम कोर्ट में भी छिड़ गया जीएम सरसों पर सुनवाई हो रही थी उसी दौरान खत पर बाहर का जिक्र होने लगा बात हुई कि खत पर हटाने के लिए कीटनाशकों के छिड़काव से मुख्य फसल पर असर ना हो फिर बात अच्छे और बुरे खत पत्रकारों पर पहुंची तब माननीय न्यायाधीश को बथुआ की याद आई वह सहज ही साथी जज से कहने लगी कि आजकल बथुआ का सीजन है ©Ek villain सुप्रीम कोर्ट में भी उठा बथुआ के ऊपर मुद्दा
सुप्रीम कोर्ट में भी उठा बथुआ के ऊपर मुद्दा #Society
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देश के सर्वोच्च न्यायालय ने कक्षा 10वीं और 12वीं के बोर्ड परीक्षा ऑफलाइन करवाने वाली याचिका को खारिज कर बच्चों के भविष्य के हित में निर्णय लिया है जिसको स्कूली शिक्षा जगत में स्वागत योग्य निर्णय माना जा रहा है सुप्रीम कोर्ट का यह कहना है कि इस प्रकार की याचिकाएं बच्चों में झूठी उम्मीद जगाती है भ्रम का वितरण बनाकर छात्रों को बोर्ड परीक्षा की तैयारी में बाधा बनाती है न्याय संगत है और ऐसा देखा भी जाता है कि बच्चे पढ़ना छोड़ कर गलतफहमी का शिकार हो जाते हैं जबकि महामारी प्रति भी धीरे-धीरे सभी राज्यों द्वारा हटाए जा रहे हैं कुछ राज्यों ने 100% क्षमता के साथ स्कूलों को चलाने की भी अनुमति प्रदान कर दी है ऐसे में ऑनलाइन परीक्षा करवाने की मांग जायज नहीं ठहराया जा सकता जब बोर्ड परीक्षा ऑफलाइन करवाई जाती है तब छात्र अधिक गंभीरता से तैयारी करते हैं ©Ek villain #ऑफलाइन परीक्षा का सही निर्णय सुप्रीम कोर्ट के द्वारा #Nofear
rajeshkumar
वाह रे केरल!! वाह रे भारत!! जपो अपने साक्षरता की माला। डूब मरो अब भारत के पाखंडियों, महिलाओं से क्यों प्रतिवंधित है सबरीमाला। जातियों में बांट-बांटकर तुम सब, फैलाया था तुमने वर्ग-विभेद। इसके बाद भी तुम रुके नहीं, घर-घर फैला दिया लिंग-विभेद। नारी को देवी की उपमा देने वाले, लक्ष्मी,दुर्गा,काली को पूजने वाले। "भगवान अयप्पा"के माँ की नाम बता दो, "सबरीमाला" में महिलाओं को रोकने वाले। अगर"भगवान अयप्पा"की माँ ब्रह्मचर्य होती, "भगवान अयप्पा" का कभी अस्तित्व न होता। अब तो बदल जाओ भारत के पाखंडियों, तेरे पाखण्ड से ही यहां बलात्कार है होता। मेरे प्रश्नो का अब उत्तर दो पाखंडियों, नौ दिनों तक किसको तुम पूजते हो। मिटटी के मूरत आगे क्यों झुकते हो, सचमुच की देवी को क्यों घूरते हो। पाखंडियों ने अब जाल फैलाया है, मुद्दों की चर्चा से राह भटकाया है। जाति और लिंग का खेल खेलकर , पाखंडियों ने रिस्तों में दाग लगाया है। सावधान हो जाओ भारत के लोगों, " राजेश कुमार "ने ये सन्देश फैलाया है। पाखंडियों की ये करतूत देख-देखकर, आज पूरा का पूरा विश्व शर्माया है। --Tr.Rajesh kumar Semari(dew),karghar Rohtas sasaram सबरीमाला
सबरीमाला
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हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने नाबालिग लड़कियों को भी मेडिकल ट्रीटमेंट ऑफ प्रेगनेंसी एमटीपी एक्ट 2021 के प्रधान का लाभ दिया है इसके तहत गर्भपात करने वाली माया बालिक लड़कियों की पहचान उजागर करने से डॉक्टर को छूट प्रदान की गई है यानी अगर कोई नाबालिक घर बात कराने के लिए आती है तो डॉक्टर को स्थानीय पुलिस के सामने उस लड़की की पहचान उजागर करने की जरूरत नहीं है दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने एमटीपी एक्ट 2021 के तहत 20 से 24 हफ्ते के बीच नाबालिक अविवाहित और लव इन रिलेशनशिप में रहने वाली महिलाओं को भी गर्भपात का अधिकार दिया इससे पहले ही अधिकार केवल विवाहित महिलाओं को ही प्राप्त था गौरतलब है कि भारत में पहली बार वर्ष 1971 में गर्भपात कानून पारित किया गया था जिसे जिसे मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेगनेंसी यानी एमटीपी एक्ट 1971 नाम दिया गया था उस वक्त दुनिया के प्रगतिशील देशों में भी ऐसा कानून नहीं था इसमें वर्ष 2021 में संशोधन किया गया है जिसमें गर्भपात की समय सीमा 20 हफ्ते से बढ़ाकर 24 हफ्ते कर दी गई है मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेगनेंसी संशोधन एक्ट 2021 के अनुसार गर्भपात महिलाएं 24 हफ्ते तक गर्भपात कर सकती हैं ©Ek villain #नाबालिक लड़कियों के हित में फैसला लिया सुप्रीम कोर्ट ने #hands