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LAKHAN

अमिया की चोरी पार्ट-3 #ज़िन्दगी

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अमिया की चोरी पार्ट-6 #MusicalMemories #ज़िन्दगी

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अमिया की चोरी पार्ट-1 #MusicalMemories #ज़िन्दगी

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अमिया की चोरी पार्ट-4 #MusicalMemories

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अमिया की चोरी पार्ट-7 #MusicalMemories #ज़िन्दगी

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अमिया की चोरी पार्ट-5 #MusicalMemories #ज़िन्दगी

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अमिया की चोरी पार्ट-2 #MusicalMemories #ज़िन्दगी

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@$m!....

टिकोरा -अमिया बरफ़ -आइसक्रीम #YourQuoteAndMine Collaborating with Akhilesh Singh

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फिर से बच्चा बनने को जी करता है।
हर पल याद आता बचपन प्यारा....
वो जीना चाहूं मै फिर से दुबारा....
ना धूप का डर था, ना सर्दियों से डरते हम।
हर पल करते मस्ती, मस्त रहते थे हम।
कभी खो-खो, कभी बैडमिंटन, 
कभी कैरम, कभी लूडो,,,,,,
सखियों संग करते गुड्डे-गुड़ियों की शादी का खेल....
बात बात पर रूठ कर फिर से मिल जाना...
आसान था ये, लड़ना झगड़ना और मिलना मिलाना।
एक पल में .....
अंगूठे को दांतों से छू कर कट्टी हो जाना,,,,,,
फिर अगले ही पल मे....
हाथं की उंगली मिला कर फिर से मिल जाना,
ये था बचपन हमारा सुहाना।
वापस यही जीने को जी करता है,
हां,,, फिर से आज बच्चा बनने को जी करता है।
 टिकोरा -अमिया 
बरफ़ -आइसक्रीम 
    #YourQuoteAndMine
Collaborating with Akhilesh Singh

Poetry दिल से..!

शहर गांव आया मैं तो चार पंक्तिया लिख गई,पेश है साब,स्नेह दीजियेगा। "दहकती धूप में जैसे जरा सी छांव मिल जाये, मैं जब भी शहर से आऊं तो मेरा ग #Love #poerty #नज़्म #कविता #nojotopoetry #nojotohindi #शायरी #nojotoshayri

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रजनीश "स्वच्छंद"

चलो लौट जाएं।। चलो, तुमसे साझा कुछ राज़ करते हैं। कल की ठिठोलियाँ फिर आज करते हैं। कहाँ वो अमियाँ, वो क्यारी, वो खेत हरे, अकेले में खुद को #Poetry #Quotes #Life #bachpan

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चलो लौट जाएं।।

चलो, तुमसे साझा कुछ राज़ करते हैं।
कल की ठिठोलियाँ फिर आज करते हैं।

कहाँ वो अमियाँ, वो क्यारी, वो खेत हरे,
अकेले में खुद को ही दगाबाज़ कहते हैं।

क्या मज़हब था अपना, था वो धर्म क्या,
बेमतलब सारे, अब जिनपे नाज़ करते हैं।

जो तेरा टिफिन था, था मेरा टिफिन भी,
हवन तुम, अलहदा हम नमाज़ करते हैं।

गेंद मेरी, तेरा था बल्ला, रहा खेल एक,
गेरुआ हरा हमें अब रंग साज़ करते हैं।

सेवईयां तेरी, थी खीर मेरी, शककरभरी,
अपना निवाला अब हमे ये बाज़ करते हैं।

चलो लौट जाएं, उसी दुनिया मे हम तुम,
कुछ बातें मिल दोनों नज़रंदाज़ करते हैं।

©रजनीश "स्वछंद" चलो लौट जाएं।।

चलो, तुमसे साझा कुछ राज़ करते हैं।
कल की ठिठोलियाँ फिर आज करते हैं।

कहाँ वो अमियाँ, वो क्यारी, वो खेत हरे,
अकेले में खुद को
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