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Poet Shivam Singh Sisodiya
इंद्र द्वारा स्तुति ऊँ नमो गोवर्धनोद्धरणाय गोविन्दाय गोकुलनिवासाय गोपालाय गोपालपतये गोपीजनभर्त्रे गिरिजोद्धर्त्रे करूणानिधये जगद्विधये जगन्मंगलाय जगन्निवासाय जगन्मोहनाय कोटिमन्मथमन्मथाय वृषभानुसुतावराय श्रीनन्दराजकुलप्रदीपाय श्रीकृष्णाय परिपूर्णतमाय त्वसंख्यब्रह्माण्डपतये गोलोकधामधिषणाधिपतये स्वयं भगवते सबलाय नमस्ते नमस्ते नमस्ते । (गर्ग संहिता, गिरिराजखण्ड) गोवर्धन धारण लीला के बाद (इंद्र द्वारा भगवान की स्तुति) ऊँ नमो गोवर्धनोद्धरणाय गोविन्दाय गोकुलनिवासाय गोपालाय गोपालपतये गोपीजनभर्त्रे गिर
गोवर्धन धारण लीला के बाद (इंद्र द्वारा भगवान की स्तुति) ऊँ नमो गोवर्धनोद्धरणाय गोविन्दाय गोकुलनिवासाय गोपालाय गोपालपतये गोपीजनभर्त्रे गिर
read moreSanjay Sharma Saras
एक छंद बाँसुरी की तान छेड़े किशन कन्हाई जब बरसाने गोकुल अजब छटा छाई है, रोम रोम पुलकित आंनद-विभोर करे देखो वृषभानु-सुता कान्ह पे रिझाई है। ब
एक छंद बाँसुरी की तान छेड़े किशन कन्हाई जब बरसाने गोकुल अजब छटा छाई है, रोम रोम पुलकित आंनद-विभोर करे देखो वृषभानु-सुता कान्ह पे रिझाई है। ब #कविता #nojotophoto
read moreसंस्कृत लेखिका तरुणा शर्मा तरु
राधा रानी के 28 नाम के जप मात्र से जीवन की सभी व्याधि नष्ट हो जाती है, राधे राधे 🙏 . . राधा रासेश्वरी रम्या कृष्णमन्त्राधिदेवता। सर्वाद्या #Trending #vrindavan #भक्ति #bankebihari #Radhe #barsana #femalerealvoice #कवितावाचक #tarukikalam #radhaasthmi
read moreDURGESH AWASTHI OFFICIAL
वेदों में राधा का वर्णन पवित्र भक्ति- रूप में है । वेदों में राधा का वर्णन पवित्र भक्ति- रूप में है । 👇 इदं ह्यन्वोजसा सुतं राधानां पते | पिबा त्वस्य गिर्वण : ।। (ऋग्वेद ३/५ १/ १ ० ) अर्थात् :- हे ! राधापति श्रीकृष्ण ! यह सोम ओज के द्वारा निष्ठ्यूत किया ( निचोड़ा )गया है । वेद मन्त्र भी तुम्हें जपते हैं, उनके द्वारा सोमरस पान करो। यहाँ राधापति के रूप में कृष्ण ही हैं न कि इन्द्र । _________________________________________ विभक्तारं हवामहे वसोश्चित्रस्य राधस : सवितारं नृचक्षसं (ऋग्वेद १ /२ २/ ७ सब के हृदय में विराजमान सर्वज्ञाता दृष्टा ! जो राधा को गोपियों में से ले गए वह सबको जन्म देने वाले प्रभु हमारी रक्षा करें।👇 त्वं नो अस्या उषसो व्युष्टौ त्वं सूरं उदिते बोधि गोपा: जन्मेव नित्यं तनयं जुषस्व स्तोमं मे अग्ने तन्वा सुजात।। (ऋग्वेद -१५/३/२) ________________________________________ अर्थात् :- गोपों में रहने वाले तुम इस उषा काल के पश्चात् सूर्य उदय काल में हमको जाग्रत करें । जन्म के समय नित्य तुम विस्तारित होकर प्रेम पूर्वक स्तुतियों का सेवन करते हो , तुम अग्नि के समान सर्वत्र उत्पन्न हो । 👇 त्वं नृ चक्षा वृषभानु पूर्वी : कृष्णाषु अग्ने अरुषो विभाहि । वसो नेषि च पर्षि चात्यंह:कृधी नो राय उशिजो यविष्ठ ।। (ऋग्वेद - ३/१५/३ ) अर्थात् तुम मनुष्यों को देखो हे वृषभानु ! पूर्व काल में कृष्ण जी अग्नि के सदृश् गमन करने वाले हैं । ये सर्वत्र दिखाई देते हैं , और ये अग्नि भी हमारे लिए धन उत्पन्न करे इस दोनों मन्त्रों में श्री राधा के पिता वृषभानु गोप का उल्लेख किया गया है । जो अन्य सभी प्रकार के सन्देहों को भी निर्मूल कर देता है ,क्योंकि वृषभानु गोप ही राधा के पिता हैं। 👇 यस्या रेणुं पादयोर्विश्वभर्ता धरते मूर्धिन प्रेमयुक्त : -(अथर्व वेदीय राधिकोपनिषद ) १- यथा " राधा प्रिया विष्णो : (पद्म पुराण ) २-राधा वामांश सम्भूता महालक्ष्मीर्प्रकीर्तिता (नारद पुराण ) ३-तत्रापि राधिका शाश्वत (आदि पुराण ) ४-रुक्मणी द्वारवत्याम तु राधा वृन्दावन वने । 👇 (मत्स्य पुराण १३. ३७ ) ५-(साध्नोति साधयति सकलान् कामान् यया राधा प्रकीर्तिता: ) जिसके द्वारा सम्पूर्ण कामनाऐं सिद्ध की जाती हैं। (देवी भागवत पुराण ) और राधोपनिषद में श्री राधा जी के २८ नामों का उल्लेख है। जिनमें गोपी ,रमा तथा "श्री "राधा के लिए ही सबसे अधिक प्रयुक्त हुए हैं। ६-कुंचकुंकुमगंधाढयं मूर्ध्ना वोढुम गदाभृत : (श्रीमदभागवत ) हमें राधा के चरण कमलों की रज चाहिए जिसकी रोली श्रीकृष्ण के पैरों से संपृक्त है (क्योंकि राधा उनके चरण अपने ऊपर रखतीं हैं ) यहाँ "श्री " शब्द राधा के लिए ही प्रयुक्त हुआ है । महालक्ष्मी के लिए नहीं। क्योंकि द्वारिका की रानियाँ तो महालक्ष्मी की ही वंशवेल हैं। ऐसी पुराण कारों की मान्यता है वह महालक्ष्मी के चरण रज के लिए उतावली क्यों रहेंगी ? रेमे रमेशो व्रजसुन्दरीभिर्यथार्भक : स्वप्रतिबिम्ब विभाति " -(श्रीमदभागवतम १०/३३/१ ६ कृष्ण रमा के संग रास करते हैं। --जो कभी भी वासना मूलक नहीं था । यहाँ रमा राधा के लिए ही आया है। रमा का मतलब लक्ष्मी भी होता है लेकिन यहाँ इसका रास प्रयोजन नहीं है। लक्ष्मीपति रास नहीं करते हैं। भागवतपुराण के अनुसार रास तो लीलापुरुष कृष्ण ही करते हैं।👇 आक्षिप्तचित्ता : प्रमदा रमापतेस्तास्ता विचेष्टा सहृदय तादात्म्य -(श्रीमदभागवतम १०/३०/२ ) जब श्री कृष्ण महारास के मध्य अप्रकट(दृष्टि ओझल ) या ,अगोचर ) हो गए तो गोपियाँ विलाप करते हुए मोहभाव को प्राप्त हुईं। वे रमापति (रमा के पति ) के रास का अनुकरण करने लगीं । यहाँ रमा लक्ष्मीपति विष्णु हैं। वस्तुत यहाँ भागवतपुराण कार ने श्रृंगारिकता के माध्यम से कृष्ण के पावन चरित्र को ही प्रकट किया है।। ©Surbhi Gau Seva Sanstan वेदों में राधा का वर्णन पवित्र भक्ति- रूप में है । वेदों में राधा का वर्णन पवित्र भक्ति- रूप में है । 👇 इदं ह्यन्वोजसा सुतं राधानां पते | प
वेदों में राधा का वर्णन पवित्र भक्ति- रूप में है । वेदों में राधा का वर्णन पवित्र भक्ति- रूप में है । 👇 इदं ह्यन्वोजसा सुतं राधानां पते | प #विचार
read moreAnita Saini
मोहन से जब मिलन हुआ तो वृषभानु दुलारी के भाग जागे बिछड़ी कर भी सदा संग रही राधे युगों से श्यामनाम के आगे पवित्र प्रेम की इससे अद्भुत परिणीति क्या होगी कोई बता दे वियोग सहा शाप के कारण, कान्हा की बंसी पुकारे केवल राधे-राधे मोहन से जब मिलन हुआ तो वृषभानु दुलारी के भाग जागे बिछड़ी कर भी सदा संग रही राधे युगों से श्यामनाम के आगे पवित्र प्रेम की इससे अद्भुत परिणीति
मोहन से जब मिलन हुआ तो वृषभानु दुलारी के भाग जागे बिछड़ी कर भी सदा संग रही राधे युगों से श्यामनाम के आगे पवित्र प्रेम की इससे अद्भुत परिणीति #yqbaba #YourQuoteAndMine #yqrestzone #collabwithrestzone #rzpictureprompt #rzpicprompt4367 #anitasainiannu
read moreAnubhav Dwivedi
कृष्ण तो है तैयार मगर , क्या राज़ी उनकी राधा है ? Full poetry in caption ⬇️ कृष्ण खड़े वृषभानु के द्वारे राह निहारे राधा की , राधा भी कपाट के पीछे स्मरण कर रही कान्हा की , लोक - लाज के भय के कारण प्रेम मिलन नहीं हो प
कृष्ण खड़े वृषभानु के द्वारे राह निहारे राधा की , राधा भी कपाट के पीछे स्मरण कर रही कान्हा की , लोक - लाज के भय के कारण प्रेम मिलन नहीं हो प #Radha #Krishna #Hindi #yqbaba #yqdidi #RadhaKrishna #janmashtami
read moreAnubhav Dwivedi
कृष्ण तो है तैयार मगर , क्या राज़ी उनकी राधा है ? Full poetry in caption ⬇️ कृष्ण खड़े वृषभानु के द्वारे राह निहारे राधा की , राधा भी कपाट के पीछे स्मरण कर रही कान्हा की , लोक - लाज के भय के कारण प्रेम मिलन नहीं हो प
कृष्ण खड़े वृषभानु के द्वारे राह निहारे राधा की , राधा भी कपाट के पीछे स्मरण कर रही कान्हा की , लोक - लाज के भय के कारण प्रेम मिलन नहीं हो प #Radha #Krishna #Hindi #yqbaba #yqdidi #RadhaKrishna #janmashtami
read moreVishw Shanti Sanatan Seva Trust
राधा मेरी स्वामिनी मैं राधे को दास जन्म-जन्म , मोहे दीजिए श्री राधाचरण को वास । सब द्वारा को छोड़ के मैं आयो तुमरे द्वार , अहो वृषभानु की ला #लव
read moreVishw Shanti Sanatan Seva Trust
राधा मेरी स्वामिनी मैं राधे को दास जन्म-जन्म , मोहे दीजिए श्री राधाचरण को वास । सब द्वारा को छोड़ के मैं आयो तुमरे द्वार , अहो वृषभानु की ला #शायरी
read moreVishw Shanti Sanatan Seva Trust
राधा मेरी स्वामिनी मैं राधे को दास जन्म-जन्म , मोहे दीजिए श्री राधाचरण को वास । सब द्वारा को छोड़ के मैं आयो तुमरे द्वार , अहो वृषभानु की ला #विचार
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