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अरमान
यूँ आंखों को मटका कर क्या कहना चाह रही हो, हमको सुकून दे रही या बहका रही हो... #सुकून #मटका #बहका #Nojoto
Sandeep L Guru
बुन्दे बुन्दे पाणि से मटका बड़ता है थीक उसी तरह आदमी आपने कितबो से शब्द जोडकर विद्वान बनते हैं Sandeep L Guru बन्दे बन्दे पाणि से मटका बड़ता है
बन्दे बन्दे पाणि से मटका बड़ता है #विचार
read moreMukesh Kumbhkar
"मिट्टी का मटका ओर परिवार की कीमत" सिर्फ बनाने वाले को पता होती है "तोड़ने वाले को नही क्रोध के समय थोड़ा रुक जाये" और "गलती के समय थोड़ा झुक जाये" दुनिया की सब समस्याये हल हो जायेगी" मिट्टी का मटका ओर परिवार की कीमत सिर्फ बनाने वाले को पता होती है
मिट्टी का मटका ओर परिवार की कीमत सिर्फ बनाने वाले को पता होती है
read moreRajesh Raana
कौवा अब प्यासा ही रह जाता है , पानी से ज्यादा अब कंकड़ हो गए है । अब सब प्यासे रहते है #कौवा , #प्यास , #पानी , #कंकर , #पत्थर , #मटका #Nojoto #Nojotohindi #Hindi #Hindinojoto
अब सब प्यासे रहते है #कौवा , #प्यास , #पानी , #कंकर , #पत्थर , #मटका #nojotohindi #Hindi #hindinojoto
read moreRitik Verma the Swan
मिट्टी का मटका और परिवार की क़ीमत सिर्फ बनाने वाले को पता होती है. ©Ritik Verma the Swan मिट्टी का मटका और परिवार की क़ीमत सिर्फ बनाने वाले को पता होती है. #2021Wishes
मिट्टी का मटका और परिवार की क़ीमत सिर्फ बनाने वाले को पता होती है. #2021Wishes
read moreVallika Poet
मिट्टी का मटका और परिवार की कीमत सिर्फ बनाने वाले को पता होती है तोड़ने वाले को नहीं। मिट्टी का मटका और परिवार की कीमत सिर्फ बनाने वाले को पता होती है तोड़ने वाले को नहीं।
मिट्टी का मटका और परिवार की कीमत सिर्फ बनाने वाले को पता होती है तोड़ने वाले को नहीं।
read moreAkay sharma
मिट्टी का मटका और परिवार की कीमत बनाने वाले को पता होती है , तोडने वाले को नही । अच्छे संस्कार किसी माॅल से नही मिलते , अच्छे माहौल से #nojotovideo
read moreManjeet Sharma 'Meera'
#हाइकु कविताएँ विषय : बूंद 💧 प्रेम सुराही ममता जल भरी दो बूंद काफी। स्वाति नक्षत्र
read moreमुखौटा a hidden feelings
लिख कर कविता चार, बड़े गर्व से मैने कहा यार, तेरे लिए मैं, क्या-क्या लिख जाता हूँ l ऐसे थोड़े ही, सस्ते में प्यार निभाता हूँ l आँख दिखा, कमर मटका बड़ी लज़्ज़त से जवाव आता है l इन सब में तेरी कविता कौन है, ये सारे मेरे है, मैं हूँ इसमें, बता अब क्यों तू मौन है l शांत वातावरण, अशांत मन हो गया, कहा तो सच था उसने, मैं ऐं-बें ही झूठा शायर हो गया l ©मुखौटा a hidden feelings लिख कर कविता चार, बड़े गर्व से मैने कहा यार, तेरे लिए मैं, क्या-क्या लिख जाता हूँ l ऐसे थोड़े ही, सस्ते में प्यार निभाता हूँ l आँख दिखा, क
लिख कर कविता चार, बड़े गर्व से मैने कहा यार, तेरे लिए मैं, क्या-क्या लिख जाता हूँ l ऐसे थोड़े ही, सस्ते में प्यार निभाता हूँ l आँख दिखा, क #HindiDiwas2020
read moreRV Chittrangad Mishra
आर वी चित्रांगद के कलम से चींटा की मिस चींटी के संग,जिस दिन हुई सगाई। चींटीजी के आंगन में थी,गूंज उठी शहनाई। घोड़े पर बैठे चींटाजी, बनकर दूल्हे राजा। आगे चलतीं लाल चींटियां,बजा रहीं थीं बाजा। दीमक की टोली थी संग में,फूंक रहीं रमतूला। खटमल भाई नाच रहे थे,मटका-मटका कूल्हा। दुरकुचियों का दल था मद में,मस्ताता जाता था। पैर थिरकते थे ढोलक पर,अंग-अंग गाता था। घमरे, इल्ली और केंचुएं,थे कतार में पीछे। मद में थे संगीत मधुर के,चलते आंखें मींचे। जैसे ही चींटी सजधज कर,ले वरमाला आई। दूल्हे चींटे ने दहेज में,महंगी कार मंगाई। यह सुनकर चींटी के दादा,गुस्से में चिल्लाए। 'शरम न आई जो दहेज में,कार मांगने आए। धन दहेज की मांग हुआ,करती है इंसानों में। हम जीवों को तो यह विष-सी,चुभती है कानों में।' मिस चींटी बोली चींटा से,'लोभी हो तुम धन के। नहीं ब्याह सकती मैं तुमको,कभी नहीं तन-मन से। सभी बाराती बंधु-बांधवों,को वापिस ले जाओ। इंसानों के किसी वंश में,अपना ब्याह रचाओ चींटा की मिस चींटी के संग, जिस दिन हुई सगाई। चींटीजी के आंगन में थी, गूंज उठी शहनाई। घोड़े पर बैठे चींटाजी, बनकर दूल्हे राजा। आगे चलतीं लाल
चींटा की मिस चींटी के संग, जिस दिन हुई सगाई। चींटीजी के आंगन में थी, गूंज उठी शहनाई। घोड़े पर बैठे चींटाजी, बनकर दूल्हे राजा। आगे चलतीं लाल
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