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Kartik Pratap
जब रात ढले लिखना हो कोई गीत तब मत लिखना अपने दिलदार को लिख देना कोई नज़्म जिसमे इंसान, इंसान ही नज़र आए लिख देना अपनी सारी पर्तें खंगाल कर कुछ अटरम-सटरम बिखेर देना खुद को उस गीत में इस तरह कि बस जैसे लिखा जा रहा हो दुनिया का आखिरी गीत #NojotoQuote आखिरी गीत #गीत
आखिरी गीत #गीत
read moreकवि आर डी उपाध्याय
चाह कर भी मुझे तुम भुला पाओगी । जैसे कान्हा बिन राधा जी रही। वैसे मैं जी रहा हु तुम्हारे बिना।। जैसे बिन बाती के मोम जल रहा। वैसे मैं जल रहा हु तुम्हारे बिना।। तुम किसी और से दिल लगा पाओगी। चाह कर भी मुझे तुम भुला पाओगी।। गीत
गीत
read moreकवि आर डी उपाध्याय
हम रंग में ही घुल ना पाये। दो रंग कभी ना बन पाये। हम आँखों मे घुलना चाहे। हम अश्क यहाँ बनना चाहे।। सुख दुख में हरपल साथ रहे। रोने हँसने पर साथ बहे।। हर पीर में साथ निभाएंगे। खुशियों पर तो मुस्कानयेंगे।। हम दवा यहाँ बनना चाहे। हम अश्क यहाँ बनना चाहे।। जीवन को दर्द बना दे जो। खुद ही को फर्द बना दे जो।। वो प्रेम नही करना मुझको।। मुझको बेदर्द बना दे जो।। हम दुआ यहां बनना चाहे। हम अश्क यहाँ बनना चाहे।। गीत
गीत
read moreकवि आर डी उपाध्याय
ये तो इस मुल्क का चमन बेच देंगे। लाशो का ये तो कफ़न बेच देंगे।। सत्ता की खातिर ये कुछ भी करेंगे।। जरूरत पड़ेगी वतन बेच देंगे।। भारत का फिर से सौदा करेंगे। अगर आ गए तो टुकड़े करेंगे।। गांधी नाम का लेकर सहारा। सत्ता के ये बने है आवारा। समंदर की ये लहर बेच देंगे। जरूरत पड़ी तो वतन बेच देंगे।। गीत
गीत
read moreकवि आर डी उपाध्याय
आवारा हु या किसी का प्यार हु। पागल हु या किसी का इंतजार हु।। दुनिया की निगाहों में कुछ भी हु। किसी की निगाहों का श्रृंगार हु।। किसी का प्यार हूँ हा मैं प्यार हूँ।। गीत
गीत
read moreकवि आर डी उपाध्याय
चाह कर भी मुझे तुम भुला पाओगी । जैसे कान्हा बिन राधा जी रही। वैसे मैं जी रहा हु तुम्हारे बिना।। जैसे बिन बाती के मोम जल रहा। वैसे मैं जल रहा हु तुम्हारे बिना।। तुम किसी और से दिल लगा पाओगी। चाह कर भी मुझे तुम भुला पाओगी।। शाम से भी हसीन सुबह हो गयी। प्यार में तो कही कुछ कमी हो गयी।। ये बन्धन दिलो का टूटने लगा। साथ तेरा जो मुझसे छूटने लगा। छोड़ कर तुम मुझे अब कहाँ जाओगी। चाह कर तुम मुझे भूला पाओगी।। गीत
गीत
read moreकवि आर डी उपाध्याय
ये जुल्फें ये आँखें ये होठों की लाली ! खुदा नें है बख्शा या तूने चुरा ली!! दहकता ये जौवन ..ये झूमे बदन है ! ना दिल में तपन है ना माथे शिकन है !! सागर मे खिलता गुलाबी कमल ज्यों ; चहरे पे रौनक वो दीवानापन है !! ये नाक की नथनी ये कानों की बाली ! खुदा नें है बख्शा या तू नें चुरा ली !! सांसों से तेरी ये महका चमन है ! नजाकत निगाहों में एक आवरण है ! सितारे ये पूछें जमीं में उतर कर ; परी है या कोई कली गुलबदन है !! ये आहें ये सांसें ये बातें निराली ! खुदा नें है बख्शा या तूने चुरा ली।। गीत
गीत #कविता
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मन ये मेरा बावरा है, ढूँढता तुझे हर जगह है, सोता नहीं ये रोतो में अब तो, बस तेरी यादो में खोता है, कोशिशे बहुत मैं करती हूँ प्यार से कभी तो कभी झगड़ती हूँ, मन ये मेरा बावरा है ढूँढ़ता तुझे हर जगह है। मानाये न माने ये मेरी बात , करता है रहता बस तुझको याद, तूझको चाहे ये पाना अब भी, समझे न कोई ये हालत , मन ये मेरा बावरा है ढूँढता तुझे हर जगह है। भूल गया ये वो सरे दर्द बन के जो तूने इसे दिए थे "हमदर्द" मन्नतें हज़ार एक पाने की तुझको करता है रहता उठे जब भी हाथ, मन ये मेरा बावरा है ढूँढ़ता तुझे हर जगह है । #गीत
कवि आर डी उपाध्याय
कुछ मिला ही नही जिंदगी में मुझे एक दिलासा ही मेरे सँग रह गया।। देखा था ख्वाब बरसो पहले कभी। ख्वाब ही बस मेरे अब सँग रह गया।। मंजिलो के मिरे रास्ते थे कठिन। चाह कर भी नही पा सका आज तक।। थक के रुक गया मन से हारा हु मैं। हौसलो पे ही मैं टिका रहा अब तक।। मन के विस्वास का अब सँग रह गया। एक दिलासा ही मेरे सँग रह गया।। हमको जो भी मिला सब सपना मिला। कोई भी तो ना मुझे अपना मिला।। हर कदम पे ही काँटे बिछाए गए। भूलकर कोई एक फूल भी न मिला।। नाम ही बस मेंरा अब सँग रह गया। एक दिलासा ही मेरे सँग रह गया।। गीत
गीत
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