Find the Best मिथिला Shayari, Status, Quotes from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about मिथिला पंचांग 2020-21, आजु मिथिला नगरिया निहाल सखिया lyrics, ललित नारायण मिथिला यूनिवर्सिटी, आजु मिथिला नगरिया, मिथिला पालकर,
Shweta Mairav
मिथिला की मैथिली सुनयना सुता सीता जनक नंदिनी जानकी विदेह की वैदेही वसुधा कुमारी वसुंधरा भौमी, भूमिजा, धरा की धैर्य मंगल देव की बहन मंगल करनी उर्मिला, मांडवी, श्रुतकृति की सहेली भद्र काली शहस्त्र रावण मर्दनी हम सबकी सीता दीदी राम की सिया राघव की मैथिली रघुनंदन की सीते विदुषी, योद्धा, आयुर्वेद की ज्ञाता कोटि गुणों की खान को प्रणाम पवित्रता की पराकाष्ठा स्वाभिमान की प्रतिमूर्ति श्री सीता को बारंबार प्रणाम ©Shweta Mairav #सीता #सीतानावमी #सिया #सीताराम #जानकी #mairav #mairavkidiary #बिहार
Bhagwan Ji Jha
Nai Puchu Monak Baat, Hum Aaiyo Aahi Sa Pream Karai Chi... Chi Hum Bahut Dur Aaha Sa, Taiyo Aahi Humesa Mon Parai Chi... Nai Puchu Monak Baat, Hum Aaiyo Aahi Sa Pream Karai Chi... Chi Hum Bahut Dur Aaha Sa, Paruntu Aahi Humesa Mon Parai Chi... By Bhagwan Ji Jha आहाँ हमरा एत्तेक प्रतारित केने छी,तखनो हम आहाँ के दुख कियाक नई देख सकै छी।#मिथिला #मिथिलांचल #मैथिली
Nai Puchu Monak Baat, Hum Aaiyo Aahi Sa Pream Karai Chi... Chi Hum Bahut Dur Aaha Sa, Paruntu Aahi Humesa Mon Parai Chi... By Bhagwan Ji Jha आहाँ हमरा एत्तेक प्रतारित केने छी,तखनो हम आहाँ के दुख कियाक नई देख सकै छी।#मिथिला #मिथिलांचल #मैथिली #YourQuoteAndMine
read moreAnupama Jha
अइछ मखान, मिथिला के धरोहर मिथिले के रहबाक चाही। नाम,पहचान सब एकर मिथिले स होबक चाही। महिमा पाग, मखान के बुझत नहि क्यो आन! मिथिला छोड़ि कत होइत छै कोजगरा कहु कहु GI करै वाला श्रीमान? ©अनुपमा झा अइछ मखान, मिथिला के धरोहर मिथिले के रहबाक चाही। नाम,पहचान सब एकर मिथिले स होबक चाही। महिमा पाग, मखान के बुझत नहि क्यो आन! मिथिला छोड़ि कत होइत छै कोजगरा कहु कहु GI करै वाला श्रीमान?
अइछ मखान, मिथिला के धरोहर मिथिले के रहबाक चाही। नाम,पहचान सब एकर मिथिले स होबक चाही। महिमा पाग, मखान के बुझत नहि क्यो आन! मिथिला छोड़ि कत होइत छै कोजगरा कहु कहु GI करै वाला श्रीमान? #मैथिली #मखाना #stopstealingmithilakamakhan
read moreAnupama Jha
मिथिला मेरी जन्मभूमि मैथिली मेरी मातृभाषा लिपि अपनी इसकी देती इसकी संस्कृति की परिभाषा बनी रहे इसकी अस्मिता गाते रहे गीत विद्यापति के यही मेरी अभिलाषा.... अनुपमा झा #मातृभाषा#yqbaba#yqdidi #मैथिली#मिथिला
Nadbrahm
मिथिला इतिहास के एक बड़े हिंस्से में अपने उत्कर्ष पतन के अनगिनत किस्सों को समेटे है। वैदिक काल मे जो क्षेत्र मानव विकाश के लिए विमर्श , संवाद व विद्या साधना की भूमि रही है। ज्ञान का प्रभाव ऐसा की दुनियां के समस्त विद्वान अपने ज्ञानी होने के सामाजिक प्रमाण हेतु जनक सभा मे आकर अपनी विद्वता सिद्ध करते थे। वैदिक उपनिषद के तत्व ज्ञान का प्रवाह ऐसा की वहाँ का राजा स्वयं को राज पद , संपदा व सामाजिक मान अपमान से मुक्त यहाँ तक कि इस भौतिक देह की सीमाओं से भी मुक्त था। इसी ज्ञान के आधार पर मिथिला के सभी सम्राट विदेह कहलाते थे बिना देह अर्थात भौतिक सीमाओं से परे ज्ञान पुंज। उसी धरती पर कणाद, गौतम,अष्टावक्र जैसे तत्व ज्ञानी का ज्योति फैला। संख्या, मीमांसा के सिद्धि की ये धरती भी काल क्रम में अपने पराभव को नही रोक पाई। काल चक्र में माता जानकी की ये भूमि विप्पनता, अशिक्षा व दरिद्रता का दंश झेलने लगी। राजनीतिक वेदी पर इस क्षेत्र का विखंडन भी भारत व नेपाल के हिस्से में हो गया। इस अंतहीन यात्रा में ज्ञान भले लोप हुआ पर लोक कलाएं आज भी अपने मिथिला के अस्तित्व का गीत सब को सुनाती है। भित्ति चित्र व अहिपन ( अल्पना ) से बढ़ते हुए आज मिथिला पैंटिग उसी मिथिला की खास संस्कृति के किस्से सुनाती है। यह पैंटिग हर पर्व त्योहारों में मिट्टी पर बनी, आँगन में बनी, मिट्टी के घर को लेब कर उस के दीवारों को सजाया नव जीव आवाहन की प्रक्रिया में भी तांत्रिक पैंटिग बन कोहबर( नव विवाहिता के लिए विशेष कमरा) में नव दंपति में लिए उत्तम ऊर्जा का संवाहक बानी । आज मिथिला से बाहर फैसन का भी रूप ले चुकी हमारी संस्कृति की ये अंतहीन कहानी है। हाँ मिथिला की बाते युगों से पुरानी है। #मिथिला #root #culture_and_civilisation #untoldstory ©BK Mishra मिथिला इतिहास के एक बड़े हिंस्से में अपने उत्कर्ष पतन के अनगिनत किस्सों को समेटे है। वैदिक काल मे जो क्षेत्र मानव विकाश के लिए विमर्श , संवाद व विद्या साधना की भूमि रही है। ज्ञान का प्रभाव ऐसा की दुनियां के समस्त विद्वान अपने ज्ञानी होने के सामाजिक प्रमाण हेतु जनक सभा मे आकर अपनी विद्वता सिद्ध करते थे। वैदिक उपनिषद के तत्व ज्ञान का प्रवाह ऐसा की वहाँ का राजा स्वयं को राज पद , संपदा व सामाजिक मान अपमान से मुक्त यहाँ तक कि इस भौतिक देह की सीमाओं से भी मुक्त था। इसी ज्ञान के आधार पर मिथिला के सभी स
मिथिला इतिहास के एक बड़े हिंस्से में अपने उत्कर्ष पतन के अनगिनत किस्सों को समेटे है। वैदिक काल मे जो क्षेत्र मानव विकाश के लिए विमर्श , संवाद व विद्या साधना की भूमि रही है। ज्ञान का प्रभाव ऐसा की दुनियां के समस्त विद्वान अपने ज्ञानी होने के सामाजिक प्रमाण हेतु जनक सभा मे आकर अपनी विद्वता सिद्ध करते थे। वैदिक उपनिषद के तत्व ज्ञान का प्रवाह ऐसा की वहाँ का राजा स्वयं को राज पद , संपदा व सामाजिक मान अपमान से मुक्त यहाँ तक कि इस भौतिक देह की सीमाओं से भी मुक्त था। इसी ज्ञान के आधार पर मिथिला के सभी स #untoldstory #अनुभव #root #culture_and_civilisation
read moreChunna jha
ashish
" जय मिथिला " क्षण - क्षण पर सुखद सनेष हम छी मिथिला, भारत हमर देस। जय जानकी, जय सलहेश भिन्न भिन्न जाति, भिन भिन्न भेष। जय मिथिला जय मैथिल प्रदेश।। बाड़ी, गाछी, पोखैर, पान साग, आम, माछ, मखान। सब कोई अप्पन, नै कोई आन होली, छैठ संगे रमजान। जय हे मिथिला, मैथिल महान।। घरे- घरे मरबा, मचान बारिए- झारिये, तिलकोर आ पान। ई थिक राजा जनकक धाम मंडन, अयाची सन बिद्वान। मिथिलाक माटिक याह पहचान।। मधुर बोली, निक संस्कार उत्तम अइछ पाहुन सत्कार। भोज में पकवानक प्रकार, सौंसे गाम नोत- हकार। ई थिक मिथिलाक व्यवहार।। रेडी सुनब, टरेेन चढ़ब धिया- पुता कऽ बाहर पठैब। हिन्दी, अंग्रेज़ी सब किछु पढायब मुदा घर में मैथिली ये बाजब। जय मिथिला, सब मैथिली गायब।। ✍️ashish_vats #sunrays #मिथिला #मैथिली #संस्कृति
अतुल कुमार मिश्रा
हे भगवान कहाँ छी आहाँ मिथिला डुईब रहल अछि, आब सहल नैय जा रहल अछी, आहाँ जता हेब ओतें साँ करूँ ना विचार, अपन मिथिला कें करूँ ना बाढ़ साँ उबार, आबो सुईन लिया ना हमर पुकार क दिया ना आबो बाढ़ साँ उबाईर हे भगवान कहाँ छी आहाँ