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Mahima Jain
•| ग़ज़ल |• " आख़िर कैसे " खुद में ही मैं उलझी हूं, ना जाने सुलझाऊं कैसे, अपना हाल - ए - दिल किसी को बतलाऊं कैसे। एक तू ही तो था जिसने हंसना सिखाया था, तेरी ही खातिर इन आंखों को रुलाऊं कैसे। तूने तो एक पल में ही पराया कर दिया, मैं तेरे साथ बीते हुए पल भुलाऊं कैसे। मेरी आंखों में दिखता है अब भी तेरा प्यार, तू ही बता इसे दुनिया से छुपाऊं कैसे। दिल की "महिमा" वो ही जाने, जिसने दिल लगाया है, मेरा तो सब कुछ टूट गया, मैं ये रोग लगाऊं कैसे।। •| ग़ज़ल |• "आख़िर कैसे" खुद में ही मैं उलझी हूं, ना जाने सुलझाऊं कैसे, अपना हाल - ए - दिल किसी को बतलाऊं कैसे। एक तू ही तो था जिसने हंसना सिखाया था, तेरी ही खातिर इन आंखों को रुलाऊं कैसे।
•| ग़ज़ल |• "आख़िर कैसे" खुद में ही मैं उलझी हूं, ना जाने सुलझाऊं कैसे, अपना हाल - ए - दिल किसी को बतलाऊं कैसे। एक तू ही तो था जिसने हंसना सिखाया था, तेरी ही खातिर इन आंखों को रुलाऊं कैसे। #yqrestzone #yqgazal #rzमहफ़िल #ग़ज़ल_ए_माही #rzमहिका #rzमहफ़िल5
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"ऑनलाइन क्लास के दौरान बच्चों की मस्ती" ऑनलाइन क्लास के दौरान होती है बच्चों की मस्ती देख देख मैडम की हालत हो जाती है खस्ती। कोई करता है वीडियो अटकने का बहाना, किसी को तो क्लास के वक़्त ही याद आता है खाना। कोई ऑडियो वीडियो बन्द कर लेता है फिल्मों के मज़े, जितने भी बजे हो क्लास, उठते है उतने ही बजे। एग्जाम टाइम में भी होती है चीटिंग खुल के, खूब होती है मस्ती भी सारी टेंशन भूल के। ऑडियो खुल जाए तो होता है बहुत शोर, इतने मज़े आते है कोई भी ना होता बोर। थोड़े दिन की बात हैं, मस्ती कर लो जी भर के, याद आयेंगे ये दिन, फिर ना आएंगे कभी लौट के।। "ऑनलाइन क्लास के दौरान बच्चों की मस्ती" ऑनलाइन क्लास के दौरान होती है बच्चों की मस्ती देख देख मैडम की हालत हो जाती है खस्ती। कोई करता है वीडियो अटकने का बहाना, किसी को तो क्लास के वक़्त ही याद आता है खाना।
"ऑनलाइन क्लास के दौरान बच्चों की मस्ती" ऑनलाइन क्लास के दौरान होती है बच्चों की मस्ती देख देख मैडम की हालत हो जाती है खस्ती। कोई करता है वीडियो अटकने का बहाना, किसी को तो क्लास के वक़्त ही याद आता है खाना। #yqdidi #yqrestzone #onlineclasses #rzमहफ़िल #rzमहफ़िल4 #maahikikavita #rzमहिका
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"मां के झुमकों का प्रतिउत्तर" १२ दिसंबर २०२० प्रिय सत्यभामा, जान कर खुशी हुई कि आज भी हम तुम्हें याद हूं। मुझे भी वो दिन अच्छे से याद है, जब तुम्हारे पति हमें लेने हमारे घर आए थे। हमें डर था पता नहीं हमें किसको सौंपा जाएगा? हमारा नया घर कैसा होगा? क्या हमारी देखभाल होगी या नहीं? किन्तु जब तुमने हमें पहली बार देखा, तुम्हारा चेहरा इतना चमक गया था कि उसकी चमक से हमारी चमक भी फीकी पड़ गई थी। तुमने हमें बहुत प्यार से रखा और हमने भी तो हर अवसर पर तुम्हारा मान बढ़ाया है। अब जैसे तुमने बताया कि तुम हमें अपनी बेटी को सौंपना चाहती हो, तो इसमें हमें तुमसे भी ज़्यादा खुशी होगी। हमें बिल्कुल बुरा नहीं लगा बल्कि तुम्हें एक बात बताऊं? ये बात अबतक हमारे और तुम्हारी बेटी के बीच का राज़ थी। जब भी तुम कहीं बाहर जाती थी तो वो हमें निकल कर पहन पहन कर देखती और खूब खुश होती थी। अब जब तुम हमें उस दे रही हो तो हमें तुमसे कोई गिला शिकवा नहीं है। हम तो खुश हैं कि हम नई पीढ़ी की भी पसंद हैं। हम भी तुम्हें यकीन दिलाते हैं कि हमेशा उसका भी शोभा बढ़ाएंगे। आशा है ये कार्य जल्द ही सम्पन्न हो। तब तक अपना ख्याल रखना। तुम्हें और तुम्हारी बेटी को ढेर सारा स्नेह। तुम्हारे प्रिय झुमके। "मां के झुमकों का प्रतिउत्तर" १२ दिसंबर २०२० प्रिय सत्यभामा, जान कर खुशी हुई कि आज भी हम तुम्हें याद हूं। मुझे भी वो दिन अच्छे से याद है, जब तुम्हारे पति हमें लेने हमारे घर आए थे। हमें डर था पता नहीं हमें किसको सौंपा जाएगा? हमारा नया घर कैसा होगा? क्या हमारी देखभाल होगी या नहीं? किन्तु जब तुमने हमें पहली बार देखा, तुम्हारा चेहरा इतना चमक गया था कि उसकी चमक से हमारी चमक भी फीकी पड़ गई थी। तुमने हमें बहुत प्यार से रखा और हमने भी तो हर अवसर पर तुम्हारा मान बढ़ाया है। अब जैसे तुमने बताया कि तुम हम
"मां के झुमकों का प्रतिउत्तर" १२ दिसंबर २०२० प्रिय सत्यभामा, जान कर खुशी हुई कि आज भी हम तुम्हें याद हूं। मुझे भी वो दिन अच्छे से याद है, जब तुम्हारे पति हमें लेने हमारे घर आए थे। हमें डर था पता नहीं हमें किसको सौंपा जाएगा? हमारा नया घर कैसा होगा? क्या हमारी देखभाल होगी या नहीं? किन्तु जब तुमने हमें पहली बार देखा, तुम्हारा चेहरा इतना चमक गया था कि उसकी चमक से हमारी चमक भी फीकी पड़ गई थी। तुमने हमें बहुत प्यार से रखा और हमने भी तो हर अवसर पर तुम्हारा मान बढ़ाया है। अब जैसे तुमने बताया कि तुम हम #letters #yqdidi #yqrestzone #rzमहफ़िल #rzमहफ़िल3 #rzमहिका #rzमहफिल
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~ ग़ज़ल ~ •| ओ नादान परिंदे घर आजा |• परिंदा उड़ा कुछ हासिल करने, मुश्किलों से टकराकर मुस्कुराया था, धूप कड़ी थी, बादल भी बरसे, तूफ़ानों से लड़कर ही उसने मुकाम बनाया था। उड़ा दूर तक नील गगन में, आज़ादी का स्वाद भी चखा, चमक दुनिया की चकाचौंध ने, उसका मन भरमाया था। हासिल को और हासिल करने उंची उड़ान वो भर के उड़ा, देख मसखरे की नौटंकी, परिंदा भी ललचाया था। सपनों को फिर टूटते देखा, आसमां में भी फिर जेल देखा, झूठी दुनिया की खोखली बुनियाद देख, पहली बार वो घबराया था। देर नहीं अभी शाम है बाकी, सब ठीक होगा ये आस है बाकी, महिमा पुकारे, लौट आ ए परिंदे, मैंने पहले भी तुझे बुलाया था।। ~ ग़ज़ल ~ •| ओ नादान परिंदे घर आजा |• परिंदा उड़ा कुछ हासिल करने, मुश्किलों से टकराकर मुस्कुराया था, धूप कड़ी थी, बादल भी बरसे, तूफ़ानों से लड़कर ही उसने मुकाम बनाया था। उड़ा दूर तक नील गगन में, आज़ादी का स्वाद भी चखा, चमक दुनिया की चकाचौंध ने, उसका मन भरमाया था।
~ ग़ज़ल ~ •| ओ नादान परिंदे घर आजा |• परिंदा उड़ा कुछ हासिल करने, मुश्किलों से टकराकर मुस्कुराया था, धूप कड़ी थी, बादल भी बरसे, तूफ़ानों से लड़कर ही उसने मुकाम बनाया था। उड़ा दूर तक नील गगन में, आज़ादी का स्वाद भी चखा, चमक दुनिया की चकाचौंध ने, उसका मन भरमाया था। #yqbaba #yqdidi #yqrestzone #rzमहफ़िल #rzमहफ़िल2 #ग़ज़ल_ए_माही #rzमहिका
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हंसता है जो ऊपर से, वो अंतर्मन में घुटता है, कह दे किसी को तो सब कहते हैं, अवसाद तो सबको होता है। बीमारी है ये सिर्फ एक, फैलने से जिसको रोकना है, हो भी गई तो कोई नहीं, मिलकर इलाज ढूंढ़ना है।। •| अवसाद एक सामाजिक समस्या |• रात दिन का होश नहीं था, ना थी किसी की फ़िक्र ना जाने किस दर्द में थी डूबी, काश किसी को तो होती ख़बर। अपने हर दर्द का हिसाब कर लिया उसने एक रात को, सब छोड़ उसने चुना मौत के साथ को।। हंसता है जो ऊपर से, वो अंतर्मन में घुटता है, कह दे किसी को तो सब कहते हैं, अवसाद तो सबको होता है।
•| अवसाद एक सामाजिक समस्या |• रात दिन का होश नहीं था, ना थी किसी की फ़िक्र ना जाने किस दर्द में थी डूबी, काश किसी को तो होती ख़बर। अपने हर दर्द का हिसाब कर लिया उसने एक रात को, सब छोड़ उसने चुना मौत के साथ को।। हंसता है जो ऊपर से, वो अंतर्मन में घुटता है, कह दे किसी को तो सब कहते हैं, अवसाद तो सबको होता है। #YourQuoteAndMine #yqrestzone #rzhindi #rzमहफ़िल #rzमहफ़िल1 #rzमहिका
read moreAbid
अपने देश मे हर कोई बेबस है और लाचार है कौन सुने इनकी फरियादें किसको इनसे प्यार है क्यों बनते है बार बार ये राजनीति का शिकार है क्या दुख मे जीना मरना इनका मौलिक अधिकार है #जस्तुजूएइश्क़ अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस #rzमहफ़िल #rzमहफ़िल1 #restzone #yqrestzone #YourQuoteAndMine
#जस्तुजूएइश्क़ अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस #rzमहफ़िल #rzमहफ़िल1 #restzone #yqrestzone #YourQuoteAndMine
read moreAsha Giri
नारी शोषण मैं नारी हूँ,समेटे स्वयं में संपूर्ण प्रकृति की संचारिणी हूँ मैं नहीं अबला,मैं सहनशील,सुलझी मानवता की स्वामिनी हूँ। मुझ पर ही कर अत्याचार कैसे होगा,इस पृथ्वी पर जीवन निर्वाह, कुछ तो लाज रखो अपने मनुष्यत्व की हे!पुरुष करो अपना निजक्रोध प्रवाह।। #rzमहफ़िल #rzमहफ़िल1 #restzone #yqrestzone
#rzमहफ़िल #rzमहफ़िल1 #restzone #yqrestzone
read moreWriter1
अंकपत्र में प्राप्त अंकों के आधार पर योग्यता का आंकलन करना अनुचित है। #अनुशीर्षक में पढ़ें #rzमहफ़िल #rzमहफ़िल4 #restzone #yqrestzone #rzजज़्बाती_दिल Anant Bijay अंकपत्र में प्राप्त अंकों के आधार पर योग्यता का आंकलन करना अनुचित है।
#rzमहफ़िल #rzमहफ़िल4 #restzone #yqrestzone #rzजज़्बाती_दिल Anant Bijay अंकपत्र में प्राप्त अंकों के आधार पर योग्यता का आंकलन करना अनुचित है। #अनुशीर्षक
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पत्र का शीर्षक: 'साइकिल का आभार' #अनुशीर्षक में पढ़ें #rzमहफ़िल #rzमहफ़िल3 #restzone #yqrestzone #rzजज़्बाती_दिल Anant Bijay मेरे प्रिय साथी मेरे प्रिय अनंत,
#rzमहफ़िल #rzमहफ़िल3 #restzone #yqrestzone #rzजज़्बाती_दिल Anant Bijay मेरे प्रिय साथी मेरे प्रिय अनंत, #अनुशीर्षक
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आस की किरणों में तैरता हुआ, हर दिन निकलता है, मंजिल की ओर, स्वप्न नए बुनता है, जीने की उम्मीद बंधाता हैं, पंछियों के शोर से, कोयल की कूक से, तितलियों के रंगों से, पंछियों के पंखों से, हलऔर कुदाली से, गांव की सुंदर सुकुमारियों से, उत्साह से भरा , हर दिन निकलता है। #rzमहफ़िल #rzमहफ़िल2 #restzone #yqrestzone #rzजज़्बाती_दिल दिन नया निकलता है, स्वप्न नए नित बुनता है।
#rzमहफ़िल #rzमहफ़िल2 #restzone #yqrestzone #rzजज़्बाती_दिल दिन नया निकलता है, स्वप्न नए नित बुनता है।
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