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Abhiii
दो पल की मुलाक़ात में हमनें ज़िंदगी भर के ख़्वाब सजा लिए कितनें नासमझ नादान थे हम जो बहती हवाओं से दिल लगा लिए ©RUabhi Shyari poetry#Silence #Quote #shyari #poitics #Life #alone
यशवंत कुमार
कोरोनो बड़ी बला नहीं है आपदा के इस भयानक दौर में जिनको ईश्वर पे विश्वास है वो धर्म-कर्म में ध्यान लगाएँ, जो नास्तिक हैं, आस्था से ज्यादा विज्ञान को मानते हैं, केवल वो ही हॉस्पिटल जाएँ, मंदिर,मस्जिद के नाम पर लड़ने वाले; मंदिर, मस्जिद में जायें स्वस्थ होकर आएँ, विज्ञान के समर्थक हास्पिटलों का लुत्फ़ उठायें, ऑक्सीजन लगाएँ और मर जाएँ,!! सच कहूँ तो मुझे किसी का मौका पाकर रंग बदलना अच्छा नहीं लगता,! मुँह में राम-राम और बगल में छुरी छिपाकर चलना अच्छा नहीं लगता,! मरते लोगों के चित्कारों के बीच; नाचना, गाना, उछलना अच्छा नहीं लगता,! जलते हुए दिलों पर पानी डालकर ऊपर से नमक मलना अच्छा नहीं लगता,! कोरोनो बड़ी बला नहीं है, इससे ज्यादा खतरा तो रंग बदलने वाले गिरगिटों से हैं,! लाशों पर राज करने की नीयत रखने वाले झूठे और मक्कार नासपीटों से है,! कुर्सी की खातिर जिन्होंने आस्था को भी नोच खाया, उन धर्मभक्षी चिटों से है,! गर्मी पाकर जो नहीं उबलते, जिंदा शरीर में सड़ते खून के उन बदबूदार छीटों से है,!! #dirtypolitics #poitics #indianpolitics
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read moreMiss lekhini
बड़े मेहमान के लिये शहर सजाया जा रहा है पर सच तो यह है कि सच को छुपाया जा रहा है गरीबो की बस्ती के आगे दीवारे बनाई जा रही है लगता है कुछ दिनों के लिए अमीरी दिखाए जा रही है जुठ की बुनियाद कभी फैलने नही देती पँखो को मगर लम्बी उड़ान तय करने , सच की बुनियाद को मिटाया जा रहा है #india #poitics
राजेश गुप्ता'बादल'
राजनीति के इस झोल में असल मुद्दों से ही भटक गये, कितनों की है पोल खुली तो कितने चहरे जो लटक गये। मुद्दा-ए-गुफ्तगू तो रोटी कपड़ा और रोजगार था, खेल गये सियासत सियासतदां आंसुओं को गटक गये। वो जो सड़कों पर मचा रहे उत्पात छातियां पीट पीट, पूछा जो बजह ए कोहराम अल्फ़ाज़ सारे अटक गये। फैला के खौफ मजहबी , अपने लिए बहार देखते हैं, सामना जो हुआ सबाल से अवाम के नामुराद मटक गये। डरना है तो वो डरें जो घर मेरे बैठा घुसपैठिया, आखिर वो क्यूं डरें जिसके जाने कितने पुरखे चटक गये। अचरज नहीं मुझे मुझको है यकीं इन गफ़लतों के दौर में, जितने मिले हमराह मुझे उतने उल्फतो में पटक गये। गर आजाद भारत में 'बादल' आजाद तेरी आवाज़ तो क्या, बोल जो तोड़ने लगे अमन दिल को मेरे तो खटक गये। #writer #writersofindia #writerscommunity #writers #writerskiduniya #writersnetwork #writerslife #shayeri #poitics #pollution
mukul pal
रंगों के मुद्दे से राजनीति रंगीन हो गयी कभी भगवा तो कभी ग्रीन हो गयी बाकी मुद्दों की असामयिक मौत से मां भारती भी ग़मगीन हो गयी मुकुल पाल #हिन्दुमुस्लिम #poitics #polarisation #cheappolitics #hindumuslims #economy
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