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पूनम रावत

Andy Mann

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Andy Mann

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Andy Mann

शब्दवेडा किशोर

# मैं..
चेहरे बदलने का हुनर मुझमें नहीं
दर्द दिल में हो तो भी
मैं खुलकर हसँने का हुनर रखता हूँ
मैं तो वो आईना हुँ ज्यों
सामनेवाला जैसा हैं वैसे ही मैं बात करू....
टूटकर बिखरने का और चलते चलते थम जाने का
हुनर मुझमें नहीं
मैं तो वो तारा हूँ ज्यों दुनिया भीड़ में
अकेला होकर भी खुद ही खुद में इक अनोखा तुफ़ान बनकर
हर परिस्थिती में डटकर खड़ा रहूँ....
एक बार मिल के छोड़ जाने का हुनर मुझमें नहीं
मैं तो वो हमराही हूँ ज्यों खुद तो
श्रापीत जोकर की जिंदगी जीने का मन में पक्का सोचकर और
हर बार सिर्फ़ दुसरों के खुशीयों के बारे में ही
सोचकर ऊन खुशीयों के लिए जिता रहूँ....
तुफान से डर जाने का हुनर मुझमैं नहीं
मैं तो वो दरियाँ हुँ ज्यों हर हाल में
अपनी ही इक अलग सी मज़धार
बनाकर बहता ही रहूँ
मैं....
दुनियाँ की भीड़ में भी
हमेशा अकेलेपन का बोझ लिए
चलनेवाला
जीवन के ताश़ का जोकर....
@शब्दभेदी किशोर

©शब्दवेडा किशोर #मैं_अनबूझ_पहेली

शब्दवेडा किशोर

#मैं....एक खुली किताब
हर तरफ इश्क हो चले ऐसा वो जमाना ढूंढ लेता हुँ
तेरे गम मे भी नायाब खजाना ढूंढ लेता हूँ
तुम तो लम्हा लम्हा मुझे रोज भुलाती होगी
मैं तुझे याद करने बहाना ढूंढ लेता हूँ........
नए आशिक मिलते हैं इस नए जमाने मे
लेकीन मैं तो जिन्दगी की छोटी दरारों से
भी इश्क पुराना ढूंढ लेता हूँ........
रोज मिटता हैं और बनता भी रोज ये इश्क ऐसा 
किसी के पीछे का पागल आशिक
मैं ऐसा दीवाना ढूंढ लेता हूँ........
हैं यादों कि किताब सी ये
शब्दभेदी किशोर की दुनिया
सबकी नजरों में ज्यों चढ़ जाए
वो अफसाना मैं ढूंढ लेता हूँ........
@शब्दभेदी किशोर

©शब्दवेडा किशोर #मैं_अनबूझ_पहेली

शब्दवेडा किशोर

#मैं..अनबुझ पहेली
वर्षों से ढूंढ़ रहा हुँ मैं उन शब्दों को
जिसके स्पर्श मात्र से ही मिलती हैं सांत्वना
जैसे कोई अपनेपन में पीठ को थपथपा जाता हैं 
जैसे कोई हाथ आगे बढ़कर
कंधे पर उठाये हुए बोझ को थाम लेता हैं 
जीवन के अंधियारे में जैसे कोई आकर धीरे से कह जाता हैं कि 
तुम्हारे साथ मैं हूँ ना
जैसे कोई आंखें निश्छल होकर देखें और वहां कोई प्रश्न न हो
@शब्दभेदी किशोर

©शब्दवेडा किशोर #मैं_अनबूझ_पहेली

शब्दवेडा किशोर

#एक बारिश...
एक बारिश मन के अंदर होती ज्यों भीगा देती हैं मन को और कभी अपने अस्तित्व का बहुत कुछ स्वरूप बहा ले जाती है...
कभी छोड़ जाती है बहुत कुछ...
ऐसी बूंदे ज्यों दिखती नहीं,बहतीं भी नहीं
बस थमी रहती हैं..
कभी पलकों पर तो कभी आँखों में डूबी डूबी सी
कभी पलकों पर..तैरती रहती है..
एक बारिश..
@शब्दभेदी किशोर

©शब्दवेडा किशोर #मैं_अनबूझ_पहेली

शब्दवेडा किशोर

#भीड़भरी इस दुनियाँ का मैं अकेला राही..
मुझे आपने तसल्ली से पढ़ा होता तो
समझ मेंं आ जाते हम....
मेरे जिन्द़गी के कुछ पन्ने
आपने बिना पढ़े ही
पलट दिए हैं.......
@शब्दभेदी किशोर

©शब्दवेडा किशोर #मैं_अनबूझ_पहेली

शब्दवेडा किशोर

#मैं..
अपने ही अधरों से प्रतिदिन सबकी पीर सुनाता हूँ
शब्दों के ताने बाने में खुद को अक्सर उलझाकर रखता हूँ 
मौन नहीं मैं रह सकता जग के हालातों पर
सबकुछ करके भेंट आपसे मैं भी तो कुछ पाता हूँ 
प्रेमल संबंधो को मन से आजीवन निर्वाह किया हैं मैंने
उनके बिन जीना मरना तक आधा अधूरा पाता हूँ 
ऊँचे कद हो जाए अपने भी ज्यों मैं चरण गीत रचता जाऊं
फकीर मन को जब जो भाए रस्ते रस्ते मैं गाता हूँ 
न मैं हूँ सौदागर कोई न हाट बाजार का ज्ञान मुझे
सुख दुख सारे बांट बांट के हँसता और हँसाता हूँ 
मर जाऊँगा कफन कोई तो कोई अर्थी मेरी सजाएगा
अग्रिम ये भुगतान हैं मेरा सबका कर्ज चुकाता हूँ 
मेरे पास अगर कुछ हैं तो मात्र स्नेहिल उद्गार हैं मेरे
इसीलिए अपने मन के गीत को दोनों ही हाथ लुटाता हूँ..
मैं...दुनिया की भीड़ में अकेलेपण में जीनेवाला इक श्रापीत जोकर हुँ..

@शब्दभेदी किशोर

©शब्दवेडा किशोर #मैं_अनबूझ_पहेली
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