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jo_dil_kahe
तुम मेरे हिस्से में उतने ही आये जितनी एक हथेली के हिस्से मे आती है बारिश! ©jodlikahe _k #तुम #मेरे #हिस्से #में #उतने #ही #आये #जितनी #एक #हथेली के हिस्से मे आती है बारिश!
Mr KAILASH
#इतना_मत अकड #पगली जितना #तेरी अकेली का #वज़न है.. #उतने रूपिए की #Gold_Flake तो रोज़ अपने #दोस्तों को #पिला_दिया करते है.. ©MUKESH PARIHAR #changetheworld
Sanjay kamat
#जब तक मन को मस्त और तन को स्वस्त रखने की तरिके ना शिख लो ज़िन्दगी व्यर्थ है #उतने ही शांती का अनुभव करेंगे ज़ितने अपने मन और तन पवित्र रखेंगे
N Kumar
जो जितने भोले दिखते थे, वो उतने ही खोटे निकले! जितने जिनके कद ऊँचे थे, दिल से उतने छोटे निकले! मासूम से लगने वाले चेहरे जो हमको बेहद प्यारे थे, ओढ़ के जो फिरते थे मुख पर, वो तो सिर्फ मुखौटे निकले... #mukhoute
Hukam Prajapat
जितने जख्म तुमने आशिक़ी में खाए ना उतने तो हमनें जिन्दगी में पाए हैं । और जितने दर्द तुमने रोकर दिखाये उतने तो हमनें हस कर छुपाये हैं meri jindgi😂my rrial story
meri jindgi😂my rrial story #Shayari
read morerajan raj
वो जितने अंधेरे लाएंगे मैं उतने उजाले लाऊंगा वो जितनी रात बढ़ाएंगे, मैं उतने सूरज उगाऊंगा
Ashutosh Singh(aashu)
Trust me हम दिल में जितना दर्द समेटे बैठे है, उतने में कितने आशियां उजड़ जाते है। हमारे जीवन में उतने अंधेरे है, जितने में कई दिन रात हो जाया करते है।। हम प्रेम का वो मकाम हासिल कर चुके है, जिसे पाने में कइयों के हिस्सक छूट जाया करते है। हमने तबाही के वो मंजर देखे है हुज़ूर, जिससे निकलने में लोगो के उम्र कट जाया करते है।। मोहब्बत करना तो एक आम बात है जनाब,, हमने निभाए है वो कस्मे जिसे निभाने मे लोगो के ताउम्र लग जाते है। हमारा इश्क़ बचपना सा लगता है ज़माने को,, इसे बेपरवाह करने में जनाब सालों लग जाया करते है।। #बेपरवाह इश्क़
#बेपरवाह इश्क़
read moreAvneesh Kumar Chauhan
जितने हमने हाथ थामे उतने पीठ पीछे घाव मिले| जितने हमने एहसान किए उतने हमें आस्तीन के सांप मिले| ए कलियुगी दुनिया तेरे दस्तूर से हम कितने अनजान थे, जितने हमने फूल बांटे उतने कांटे मिले| लोग इस खेल में कितने माहिर और हम कितने अनाड़ी, जितने हमने रहम किए उतने हमें इल्जाम मिले| वो रंग बदलते हैं ज़रुरत के हिसाब से, चेहरे रखते हैं मौकों के हिसाब से, जितने हम कश्ती बने उतने हमे छेद मिले| Composed by Self Hindi Shayari
Hindi Shayari
read moreSureli
#OpenPoetry वो रास्ते जहाँ से मैं रोज गुज़रती हूँ, वो क्यों अचानक एक दिन अनजान लगते है, क्यों कई बार अपने ही लोग मेहमान लगते है, क्यों भरी भीड़ में बाज़ार सुनसान लगते है, क्यों नींद आते हुए भी हम सारी रात जगते है, जो पन्ने छूट गये उन्हें क्यों पलटते है, जो रास्ते भटक गए उन्हें क्यों खोजते है, क्यों सबको लगता है कि हम बड़े हो गए, पर सच तो यह है कि हम आज भी बच्चे है, सौ बाते दिल में दवाए बैठे है, किसी से कुछ नही कहते है, दिन में कई बार इस तरह के सवाल आते है, कभी खुद से तो कभी उनसे झुठ कहते है, दिल से तो हम आज भी सच्चे है, चाहे तुम कहो या न कहो हम खुद के लिए तो आज भी अच्छे है, बदलते मौसमो के साथ उम्र ढल राही है, कभी मध्यम सी हवा कभी आंधिया चल री है, डर लगता है कि उमाँगो की लौ कही बुझ न जाये, में इन सवालों में कही उलझ न जाऊं, पर यह बातें में किसे बताऊ, सबको लगता है कि हम बड़े हो गए है, पर आज भी हम उतने ही मासूम ओर उतने ही सच्चे है, और हम आज भी बच्चे है #OpenPoetry