Nojoto: Largest Storytelling Platform

Best कुटिया Shayari, Status, Quotes, Stories

Find the Best कुटिया Shayari, Status, Quotes from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about कुटिया है, तेरा चूहा करे कमाल गजानन मेरी कुटिया में lyrics, पत्तों की बनी कुटिया, लेगा चकरा पंडा की कुटिया, कुटिया के पद दंगल,

  • 8 Followers
  • 62 Stories

अदनासा-

विडियो सौजन्य एवं हार्दिक आभार💐🌹🙏😊🇮🇳🇮🇳https://www.instagram.com/reel/C4rlJnGPmmN/?igsh=M21hNHFoMm05M3Fv #हिंदी #घर #कुटिया #प्रकृति_प्रेम #प्रकृति #प्राकृतिक #स्वर्ग #Instagram #अदनासा #समाज

read more

Pahadi Shayar Jd

Ankur Mishra

रख पास तेरे ये महल दुमहले
मुझे मेरी कुटिया हि प्यारी है
दौलत शौहरत माना पास तेरे 
है
मगर चैन कि नींद को फिर भी तू 
तरसे है
मैं मेरी कुटिया में ज़मीन पे सोता हूँ
फिर भी चैन कि नींद आती है
तू दौलत को जोड़े दिन रात
फिर भी
बेचैन है
मेरी माँ के कदमों में ही 
मेरा सारा खजाना है
मैं क्यों फिर भागू
दौलत कि चमक के पिछे #कुटिया

#reading

Kh_Nazim

लंकेश #तड़प कुछ इस कदर थी उसे देखने की बदला भेश हो गए #साधु हम भी , पता न था उसकी #कुटिया का तब हाथ फैला कर हो गए #भिखारी हम भी रास्ता #जंगल वन से गुजरता गया दण्डकवन से #जानकी का कुछ संदेह ऐसा मिला हो गया मेघ बिजली सा मन मेरा #कविता #जनक #जासूस #स्वर्ण #मुक्ति #चोला #विश्वामित्र #khnazim #पीतवासा

read more
लंकेश
तड़प कुछ इस कदर थी उसे देखने की
बदला भेश हो गए साधु हम भी ,
पता न था उसकी कुटिया का
तब हाथ फैला कर हो गए भिखारी हम भी
रास्ता जंगल वन से गुजरता गया
दण्डकवन से जानकी का कुछ संदेह ऐसा मिला
हो गया मेघ बिजली सा मन मेरा
देखा विश्वामित्र प्रिय मैने 
 तब पाया मुक्ति का साधन 
विवश हो के मैं रोने लगा,
जनक पुत्री मैं हरने लगा 
जो संत का चोला ओढ़ था 
अब मैं उसे उससे छलने लगा
मेघ रथ पे ले गया,
स्वर्ण वाटिका ....
सम्मान से रखा अंत तक 
अपने पीतवासा के आने तक
मुक्ति का साधन मिला मुझे मेरे घर से
जासूस जो निकाला दिया अपने ग्रह से
वो जा मिला मेरे मित्र से
हो गया मुक्त मैं अपने आराध्य से । लंकेश
#तड़प कुछ इस कदर थी उसे देखने की
बदला भेश हो गए #साधु हम भी ,
पता न था उसकी #कुटिया का
तब हाथ फैला कर हो गए #भिखारी हम भी
रास्ता #जंगल वन से गुजरता गया
दण्डकवन से #जानकी का कुछ संदेह ऐसा मिला
हो गया मेघ बिजली सा मन मेरा

Anil Siwach

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 12 ।।श्री हरिः।। 9 - सेवा का प्रभाव 'या खुदा, अब आगे को रास्ता भी नहीं है।' सवार घोड़े से कूद पड़ा। प्यास के मारे कण्ठ सूख रहा था। गौर मुख भी अरुण हो गया था। पसीने की बूदें नहीं थी, प्रवाह था। उसके जरी के रेशमी वस्त्र गीले हो गये थे। ज्येष्ठ की प्रचण्ड दोपहरी में जरी एवं आभूषणों की चमक नेत्रों में चकाचौंध उत्पन्न कर रही थी। वे उष्ण हो गये थे और कष्ट दे रहे थे। भाला उसने पेड़ में टिकाया, तरकश एवं म्यान खोल दी। कवच जलने लगा था और उसे उतार देना आवश्यक हो गया

read more
|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 12

।।श्री हरिः।।
9 - सेवा का प्रभाव

'या खुदा, अब आगे को रास्ता भी नहीं है।' सवार घोड़े से कूद पड़ा। प्यास के मारे कण्ठ सूख रहा था। गौर मुख भी अरुण हो गया था। पसीने की बूदें नहीं थी, प्रवाह था। उसके जरी के रेशमी वस्त्र गीले हो गये थे। ज्येष्ठ की प्रचण्ड दोपहरी में जरी एवं आभूषणों की चमक नेत्रों में चकाचौंध उत्पन्न कर रही थी। वे उष्ण हो गये थे और कष्ट दे रहे थे। भाला उसने पेड़ में टिकाया, तरकश एवं म्यान खोल दी। कवच जलने लगा था और उसे उतार देना आवश्यक हो गया

तेज बहादुर मौर्य

💐💐💐पिताजी का 19वीं परिनिर्वाण दिवसपर विशेष💐💐💐

पिता जी का परिनिर्वाण दिनांक 11/07/1999 में दिन रविवार सुबह के 7 बजे हुआ था।
पिता जी के इस परिनिर्वाण दिवस के अवसर पर कुछ मन में उपजे भाव एवं विचार जो मुझे हमेसा झकझोर दिया करते हैं।मैं जब भी सबके बीच में या अकेले खुशी के क्षण में रहता हूँ तो एकबार आपकी याद आती हैं कि काश आज आप भी इस खुशी के पल का साक्षी होते तो क्या बात होती।सचमुच में हमसभी भाग्यशाली हैं जो कि आप जैसे पिता मिले।जब आप इस बगिया को छोड़कर गए तो उस समय परिवार में 7 से 8 बच्चे पढ़ने वाले थे और आय का स्रोत बहुत ही कम पर सबके सहयोग(दो बहनों और बड़े भइया) के द्वारा हमसभी भाईयों और साथ ही साथ भांजे-भांजी का पठन-पाठन लगातार जारी रहा ।जीवन में उतार चढ़ाव आया लेकिन इस करवा में सहयोगी दल की संख्या बढ़ती चली गई।कुछ वर्षों के बाद इसी बगिया से कली खिलकर देश के विभिन्न क्षेत्रों में अपना सुगंध बिखेरने लगे हैं।आपके द्वारा परिवार रूपी पेड़ उपज रहा है लेकिन छोटी छोटी मगर मोटी बातों के द्वारा इस बगिया के कुछ शाखाएं लचक रही हैं मगर हमे पूर्ण विश्वास है कि कभी भी इस बगिया से अलग नही होंगी।जीवन है उतार चढ़ाव आता रहता है।मुझे मलाल इस बात का है कि आज आप होते तो कुछ और होता।आप बहुत ही सात्विक विचारों के थे।आप हमेसा विनोदप्रिय बातों के द्वारा लोगो को प्रसन्न कर दिया करते थे।आप के जाने के बाद गाँव और क्षेत्र के लोग भले ही किसी जाति धर्म के हो वे बहुत याद करते थे।आपका उस टाइम एक नाती था जिसका नाम ऋषि (वर्तमान नाम विकाश) था उसको आप हमेसा प्रतिदिन टॉफी या विस्कीट दिया करते थे।और जब आप इस दुनिया से चल बसे तो उसे पता नही था क्योंकि उस टाइम शायद वो 1 साल का था।और वो अपनी मम्मी को लेकर जिद्द करते हुए पिताजी की कुटिया में जाकर नाना नाना बुलाकर टॉफी विस्कीट मांग कर सबको रुला देता था।ये प्रक्रिया शायद वो आपका नाती 10 दिन तक लगातार करता रहा कभी कभी तो वो अकेले जाकर नाना बुलाकर कुटिया में झांक झाँक कर रोया करता था। वो भावनात्मक पल जब भी सामने आता है तो आंखों में उदासी के आसू आ जाते हैं।जब आप परिवार को छोड़कर हमेसा के लिए गए तो उस समय पारिवारिक स्थिति बहुत ही दयनीय थी।बड़े भइया जी ने दोनों दीदियों के सहयोग से परिवार रूपी बगिया के माली बनकर सींचना शुरू किया और सबको मार्गदर्शन करते हुए सर्वांगिण विकाश करने में शतप्रतिशत योगदान दिया। जिसका परिणाम आज देखने को मिलना शुरू हो गया है और भविष्य में भी इस बगिया के फूल देश के विभिन्न क्षेत्रों में अच्छे अच्छे पदों पर सेवा करते दिखेंगे।मैं बहुत मिस करता हूँ पिता जी आपको को।पिता जी के पुण्यतिथि पर कोटि कोटि नमन।आप हमेसा हम सभी के सासों, नसों ,खून  और हृदय में जीवित है।आप मेरे लिए हमेसा के लिए प्रेणास्रोत रहेंगे।

   आपका सबसे 
     छोटा बेटा---
  तेज बहादुर मौर्य
MA(Eng),M.Ed.(BHU),PGDHE(pursuing),CCC,NET, CTET, UP TET,

जय पिता जी ।
पिता जी अमर रहे।
👏👏👏👏👏
💐💐💐💐💐
😭😭😭😭😭
👏👏👏👏👏

Majlas Khan

एक था बाबा

read more
एक सच्ची मेरे बचपन की घटना , शायद पहले बी मन्नैं इसका जिकर करया था ...

गाम कै लागदी कुटिया मैं एक बाबाजी थे अर उनका एक बेरा ना कित तै आया बचपन तै अनाथ मंदबुद्धि सा एक भक्त था ... उसका नाम बाबाजी बूशा बोल्या करदे ... बूशा तड़के चार बजे उठकै कुटिया की साफ सफाई करे करदा ,
अर बाबाजी साड्डे चार बजे उठ कै शंख फुक्या करदा ... फेर पूजा पाठ करदा ... गाम आल्यां का अलार्म बी था यो , गाम के भक्त भक्तनियां तड़के तड़क सत्संग सुणन खात्तर कुटिया मैं जाते , अर श्रद्धानुसार चढ़वा बी चढ़ाया करदे ...

एक तड़के बाबाजी उठ्या ... नहा धोकै कुटिया मैं बड़या ... शंख गायब , चारों कान्नी टोह लिया कोनी पाया , बाबा का पारा हाई हो ग्या , बिजनस खतरे मैं देख कै ... रुक्का मारकै बोल्या  " ओooo बूशे साले हरामी शंख कित है , जल्दी तै टोह कै दे नातै तेरे चूतड़़ां मैं तै कड्ढुंगा ...

गाम का मलुका अम्ली औढ़िए कुटिया के बरांडे मैं पंखे तलै सोवै था , या सुणकै बोल्या :- बाबाजी काड्ढण की के लोड़ है औढ़िए फू़ंक दिया कर ... दबारा गुम होण की टैन्सन बी खत्म हो जागी ... 😎😎😎🤔 एक था बाबा

Anil Siwach

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 11 ।।श्री हरिः।। 4 - आस्तिक 'भगवान भी दुर्बल की पुकार नहीं सुनते!' नेत्रों से झर-झर आँसू गिर रहे थे। हिचकियाँ बंध गयी थी। वह साधु के चरणों पर मस्तक रखकर फूट-फूट कर रो रहा था। 'भगवान् सुनते तो है; लेकिन हम उन्हें पुकारते कहाँ हैं।' साधु ने स्नेहभरे स्वर में कहा। विपत्ति में भी भगवान को हम स्मरण नहीं कर पाते, पुकार नहीं पाते, कितना पतन है हमारे हृदय का।'

read more
|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 11

।।श्री हरिः।।
4 - आस्तिक

'भगवान भी दुर्बल की पुकार नहीं सुनते!' नेत्रों से झर-झर आँसू गिर रहे थे। हिचकियाँ बंध गयी थी। वह साधु के चरणों पर मस्तक रखकर फूट-फूट कर रो रहा था।
'भगवान् सुनते तो है; लेकिन हम उन्हें पुकारते कहाँ हैं।' साधु ने स्नेहभरे स्वर में कहा। विपत्ति में भी भगवान को हम स्मरण नहीं कर पाते, पुकार नहीं पाते, कितना पतन है हमारे हृदय का।'

Anil Siwach

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 11 ।।श्री हरिः।। 2 - भगवान की पूजा एक साधारण कृषक है रामदास। जब शुक्र तारा क्षितिज पर ऊपर उठता है, वह अपने बैलों को खली-भूसा देने उठ पड़ता है। हल यदि सूर्य निकलने से पहले खेत पर न पहुँच जाय तो किसान खेती कर चुका। दोपहर ढल जाने पर वह खेत से घर लौट पाता है। बीच में थोड़े-से भुने जौ या चने और एक लोटा गुड़ का शर्बत - यही उसका जलपान है। जाड़े के दिन सबसे अच्छे होते हैं। उन दिनों जलपान में हरी मटर उबाल कर नमक डाल कर घर से आ जाती है खेतपर और गन्ने का ताजा रस आ जा

read more
|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 11

।।श्री हरिः।।
2 - भगवान की पूजा


एक साधारण कृषक है रामदास। जब शुक्र तारा क्षितिज पर ऊपर उठता है, वह अपने बैलों को खली-भूसा देने उठ पड़ता है। हल यदि सूर्य निकलने से पहले खेत पर न पहुँच जाय तो किसान खेती कर चुका। दोपहर ढल जाने पर वह खेत से घर लौट पाता है। बीच में थोड़े-से भुने जौ या चने और एक लोटा गुड़ का शर्बत - यही उसका जलपान है। जाड़े के दिन सबसे अच्छे होते हैं। उन दिनों जलपान में हरी मटर उबाल कर नमक डाल कर घर से आ जाती है खेतपर और गन्ने का ताजा रस आ जा

Anil Siwach

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 9 || श्री हरि: || 11 - जिज्ञासु 'प्रकृति भी भूल करती है।' अपने आप डाक्टर हडसन कह रहे थे। उन्होंने साबुन से हाथ धोये और आपरेशन-ड्रेस बदलने लगे। 'जड़ नहीं जड़ तो कभी भूल नहीं करता। उसमें भूल करने की योग्यता ही कहां होती है। मशीन तो निश्चित ही कार्य करेगी।' आज जिस शव का डाक्टर ने आपरेशन किया था, उसने एक नयी समस्या खड़ी कर दी। बात यह थी कि जिस किसी का भी वह शव हो इतना तो निश्चित ही था कि उसने अपनी लगभग साठ वर्ष की आयु पूर्ण की है और उसका शरीर सिद्ध करता है कि

read more
|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 9

|| श्री हरि: ||
11 - जिज्ञासु

'प्रकृति भी भूल करती है।' अपने आप डाक्टर हडसन कह रहे थे। उन्होंने साबुन से हाथ धोये और आपरेशन-ड्रेस बदलने लगे। 'जड़ नहीं जड़ तो कभी भूल नहीं करता। उसमें भूल करने की योग्यता ही कहां होती है। मशीन तो निश्चित ही कार्य करेगी।'

आज जिस शव का डाक्टर ने आपरेशन किया था, उसने एक नयी समस्या खड़ी कर दी। बात यह थी कि जिस किसी का भी वह शव हो इतना तो निश्चित ही था कि उसने अपनी लगभग साठ वर्ष की आयु पूर्ण की है और उसका शरीर सिद्ध करता है कि
loader
Home
Explore
Events
Notification
Profile