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Gumnam Shayar Mahboob
*प्रेमिका अपने प्रेमी से* तूझसे इश्क़ है इतना की खुद को संभाल नहीं सकती इश्क़ का रंग भी किसी दूसरे पर डाल नहीं सकती तेरे एक बार कहने पर मैं घर से भाग जाती लेकिन मैं अपने बाप की पगड़ी सरेआम उछाल नहीं सकती #प्रेमी_प्रेमिका #इश्क़ #संभाल #बाप #पगड़ी #उछाल #गुमनाम_शायर_महबूब #gumnam_shayar_mahboob
Abundance
#उछाल " #Nojoto Gold दो औरतें सड़क पर बात कर रही थी "सोना " ओर" चांदी "की कीमत में काफी उछाल आ गया मै पास से गुजर रही थी मैने बोला #Nojoto Gold ले लीजिये काफी सस्ता है ले (हॅसने की बात नहीं है फिर क्यूँ हँसा ).......... ©Mallika #Winter
Silent Shayar
आँखों में आँखें डाल कर अच्छा नहीं किया। दिल ले गए निकाल कर अच्छा नहीं किया। तेरी तस्वीर के ही सहारे जी लेते उम्र भर, नाम हमारा यूं उछाल कर अच्छा नहीं किया॥ ©Rizwan Ahamad Faizi आँखों में #आँखें डाल कर #अच्छा नहीं किया। #दिल ले गए निकाल कर अच्छा नहीं किया। तेरी #तस्वीर के ही सहारे जी लेते #उम्र भर, #नाम हमारा यूं #उछाल कर अच्छा #नहीं किया॥ #Feeling #Beautiful_Eyes
Abhishek Dubey
सब फैसले होते नहीं सिक्के उछाल के..... सब फैसले होते नहीं सिक्के उछाल के यह दिल के मामले हैं जरा सोच विचार के
सुरज काकडा
कभी उँगली उठाकर दिखा रहा था वो गुरुर अपना, अब मिट्टी उछाल उछाल के रो रहा है वो । #Nervous
Jiten rawat
" सावन मे तुझे प्रेयसी कुछ याद दिलाने आया हूँ " Read in Caption.. तेरी बाहों में आज फिर से सिमटने आया हूँ, जो याद नही तुझे,मगर मुझे याद है वो सब कुछ, तुम बारिश की बूंदों से भीगती थी मेरे संग, उसी बूंदों से भीगोने आया हूँ। जो याद नही है तुझे सावन में प्रेयसी वो याद दिलाने आया हूँ। आँगन में तेरे बारिश के तेज धार में
तेरी बाहों में आज फिर से सिमटने आया हूँ, जो याद नही तुझे,मगर मुझे याद है वो सब कुछ, तुम बारिश की बूंदों से भीगती थी मेरे संग, उसी बूंदों से भीगोने आया हूँ। जो याद नही है तुझे सावन में प्रेयसी वो याद दिलाने आया हूँ। आँगन में तेरे बारिश के तेज धार में #Poetry #पानी #NojotoWriter #nojotopoem #हरियाली #अठखेलियां #JitenRawat #बारिश_की_बूंदें #खेत_खलिहान #हरी_चूड़ी #कागज़_की_कश्ती #बारिश_टिप_टिप
read moreQUAZI MUEEZ HASHMI
➖ हँसी का राज़ ➖ अपने ऊपर आने वाली मुसीबतों की पगड़ी सरेआम बाज़ार में यूँ उछाल देता हूँ मैं, घर से निकलने से पहले ही सदक़ा निकाल देता हूँ मैं। मुसीबतों को ज़हन से निकाल कर, अपने ही अंदाज़ से हैरानी में डाल देता हूँ मैं, मेरे साथ ख़ुदा है सोच कर ऐ मुईज़, हँसी में सब कुछ टाल देता हूँ मैं। - काज़ी मुईज़ हाशमी ➖ हँसी का राज़ ➖ अपने ऊपर आने वाली मुसीबतों की पगड़ी सरेआम बाज़ार में यूँ उछाल देता हूँ मैं, घर से निकलने से पहले ही सदक़ा निकाल देता हूँ मैं। मुसीबतों को ज़हन से निकाल कर, अपने ही अंदाज़ से हैरानी में डाल देता हूँ मैं,
➖ हँसी का राज़ ➖ अपने ऊपर आने वाली मुसीबतों की पगड़ी सरेआम बाज़ार में यूँ उछाल देता हूँ मैं, घर से निकलने से पहले ही सदक़ा निकाल देता हूँ मैं। मुसीबतों को ज़हन से निकाल कर, अपने ही अंदाज़ से हैरानी में डाल देता हूँ मैं, #Poetry #Quotes #Youtube #Thoughts #Whatsapp #Instagram #Facebook #Stories #मेरे #Twitter #writersofindia #wordporn #writeaway #writersofinstagram #quoteoftheday #quotestagram #wordswag #wordsofwisdom #writersofig #inspirationalquotes #qotd #instawriters #igwriters #igwritersclub #yqbaba #hindipoetry #hindishayari #शायरी #yqdidi #urdushayri #yqbabaquotes #ख़ुदा #सोच #साथ #urduquotes #Nojotonew #टाल #quazimueezhashmi #hashmi__ji #मुईज़
read moreMuhammad Imran Farooqui
इस ज़िन्दगी को मौत के क़दमों में डाल के लो आ गया में शाह की पगड़ी उछाल के .. तामीर कर रहा हूँ में खामोशियों का घर आवाज़ के मकान की ईंटे निकाल के .. वो खुल्द हो ज़मीन हो या के हो कोहकाफ़ चर्चे हैं हर जगह पे तुम्हारे जमाल के .. उसको भंवर को खौफ दिखाना फ़िज़ूल हे जो आ रहा हो सात समंदर खंगाल के .. कल शब् टपक रहे थे मुहब्बत के बाग़ में इक हिज्र के गुलाब से क़तरे विसाल के .. ये कौन रख गया हे मेरे अर्ज़-ए-फिक्र पर सूरज का जिस्म मोम के सांचे में ढाल के .. हे ज़िन्दगी का ऐसी अदालत में केस दर्ज होता हे फैसला जहां सिक्का उछाल के .. प्यासा ही आ गया तेरा "इमरान" आज फिर अपने लबों की आंच से दरिया उबाल के .. ...इमरान फारुकी... Rayees Ahmad A.. J (sHâYàRï) 🗨🗯📜📙 Daljeet Singh Aks Rajput Haksh Pandey
Rayees Ahmad A.. J (sHâYàRï) 🗨🗯📜📙 Daljeet Singh Aks Rajput Haksh Pandey
read moreShivam Mishra
रंगमंच सच्चे दिल से निकली बातें अक्सर अनगिनत दिलों तक जाती हैँ नदियों निकले चाहे कितने ऊँचे पर्वत से आखिर मे जाकर सागर से मिल जाती हैँ सच्चे दिल से निकली बातें अक्सर अनगिनत दिलों तक जाती हैँ अक्सर मिलते हैँ लोग हमे पहले चुप चुप रहते थे अब कहते हैँ बोलो बोलो याद तुम्हारी आती है आखिर मे जाकर सागर से मिल जाती हैँ जब जब उगता है सूर्य नमन होता है चहुँओर जब होती है तपती दोपहर तब याद शाम की आती है आखिर मे जाकर सागर से मिल जाती हैँ जब तक उछाल है सागर मे लहरें करती है उलट फेर जब होती है उछाल खत्म तो खुद शांत किनारों से मिलने आती हैँ आखिर मे जाकर सागर से मिल जाती हैँ ये वेग ये उद्वेग ये आवेश जीवन क्षण भर का है रंगमंच होता है अनंत मौन जब मृत्यु जीवन को विराम लगाती है आखिर मे जाकर सागर से मिल जाती हैँ हो ज़ाते सब अभाव और प्रभाव खत्म बस विचार की पूँजी ज़िन्दा रह जाती है आखिर मे जाकर सागर से मिल जाती हैँ ©शिवम मिश्र
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