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Abdus Samad
#OpenPoetry अल्लाह आपको लम्बे लम्बे बालों वाली नीली नीली आँखों वाली गुलाबी गुलाबी होंठों वाली पतली पतली कमर वाली ख़ूबसूरत सी मासूम सी शरमीली सी शरीफ सी (बकरी अता फरमाए) क़ुरबानी के लिए। ऐडवान्स ईद मुबारक 😛😛😛 happy Ed ul zuha
happy Ed ul zuha #OpenPoetry
read moreLata Sharma सखी
बचपन का पहला प्यार बचपन में प्यार तो गुड़ियों से हुआ था हाँ मेरा पहला प्यार बार्बी डॉल थी, रजं बिरंगे कपड़े पहनी पतली पतली, पाना चाहती मैं वो बार्बी डॉल थी, मन को जितना वो लुभाती थी, जेब से उतना ही वो मेरे दूर थी। एकटक देखा करती थी उनको, साधारण गुड़ियों की तो भरमार थी। हां अजब सा था वो प्यार उनके लिए, कभी माँ, कभी सखी बना देता था, खुद को कुछ भी न आता हो मगर, गुड़ियों को बहुत पढ़ा देता था। छोटे छोटे कपड़े उनके लिए अपने हाथों से रोज सिलती थी, सुई चुभे या ब्लेड से हाथ कटता तो खून झट से पी लेती थी। और तो और जाड़ों में स्वेटर, मोजे, टोपी, दस्ताने बनाती थी। अक्सर माँ डांटने लगती ऊन लेने पर, मगर फिर बुनाई सिखाती थी, गुड़ियों के प्यार में ओ सखी तू लंबे समय तक छोटी सखी ही रह गई, कब गुजरा बचपनन कब जवानी , गुड़ियों के प्यार में सखी दीवानी भई। ©सखी #बचपन #प्यार #गुड़िया #सखी
@ankita
अपने प्यार से जुड़ी हर चीज़ पसंद आती हैं बस माँ बहन को छोड़ कर उससे जुड़ी लड़की पसंद नहीं आती चाहे वो जितनी सुंदर हो पर मुझे चुड़ेल ही है समझ आती जाने क्यों मेरे प्यार पर हैं डोरे डालती और मेरा खून हैं जलाती वैसे ही बहुत पतली और पतली हो जाती अरे नागिन क्यो नहीं तू हमारे जिन्दगी से हैं जाती क्यों हमारे बीच की हड्डी तुम बन जाती Ankita yese hi hota h na jab koi app ke pyaar pae dore h dalta
yese hi hota h na jab koi app ke pyaar pae dore h dalta
read moreखामोशी और दस्तक
दिसम्बर की वो सर्द रात थी ....archu के घर के आस पास लोगो का हुजूम लगने लगा था ....कुछ छुप कर ...कुछ घर के सामने इंतज़ार कर रहे थे उसकी रिहाई का मानो archu की नही उनकी रिहाई होने वाली हैं .....चेहरो पर ख़ुशी ..आँखों में चमक थी सभी के ....एक जश्न का माहौल बनने लगा था ....सभी की नज़रे घर पर गड़ी थी ..कब कोई हलचल हो कोई ख़बर मिले ..वक्त बीतता जा रहा था ...रात से आधी रात हो चुकी थी ...आधी रात से तीसरा पहर.ठंड अपना कहर ढा रही थी और लोग पतली पतली चादर ओढ़े कांपते ठिठुरते वहीं जमा थे कोई वापस नही जाना चा
दिसम्बर की वो सर्द रात थी ....archu के घर के आस पास लोगो का हुजूम लगने लगा था ....कुछ छुप कर ...कुछ घर के सामने इंतज़ार कर रहे थे उसकी रिहाई का मानो archu की नही उनकी रिहाई होने वाली हैं .....चेहरो पर ख़ुशी ..आँखों में चमक थी सभी के ....एक जश्न का माहौल बनने लगा था ....सभी की नज़रे घर पर गड़ी थी ..कब कोई हलचल हो कोई ख़बर मिले ..वक्त बीतता जा रहा था ...रात से आधी रात हो चुकी थी ...आधी रात से तीसरा पहर.ठंड अपना कहर ढा रही थी और लोग पतली पतली चादर ओढ़े कांपते ठिठुरते वहीं जमा थे कोई वापस नही जाना चा #Life #Stories #हिन्दी
read moreAnil Siwach
।।श्री हरिः।। 44 - नित्य मिलन श्याम आज बहुत प्रसन्न है। यह आनन्दकन्द - इसके समीप पहुँचते ही दुसरों का विषाद-खिन्न मुख खिल उठता है। जहाँ जाता है, हर्ष-आह्लाद की वर्षा करता चलता है; किन्तु आज तो लगता है जैसे पूर्णिमा के दिन महासमुद्र में ज्वार उठ रहा हो। मैया ने शृंगार कर दिया है। सिर पर तैल-स्निग्ध घुंघराली काली सघन मृदुल अलकें थोड़ी समेट कर उनमें मोतियों की माला लपेट दी है और तीन मयूरपिच्छ लगा दिये हैं। भालपर गोरोचन की खोर के मध्य कुंकुम का तिलक है। कुटिल धनुषाकार सघन भौंहों के नीचे अंजन-रंजि
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