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pramod malakar
किन शब्दों से मैं तुम्हें सवारूं +++++++++++++++++++++ तुम्हें किस नाम से मैं पुकारू , किन शब्दों से तुम्हें प्यार से मारूं। तुम्हें जहर कहूं या अमृत का प्याला , खुद को खुद हो तुम मारने वाला । सनातन धर्म आत्मा है तड़पती धरती का , शायद तुम ही अंत हो सनातन संस्कृति का । तुम पर पत्थर से प्रहार करूं या फूल से मारूं , किन शब्दों से मैं तुम्हें सवारुं । तुम्हें किस नाम से मैं पुकारूं , किन शब्दों से मैं तुम्हें प्यार से मारूं । किन शब्दों से मैं तुम्हें सवारूं ।। ***************************** प्रमोद मालाकार की कलम से ************************** ©pramod malakar #किन शब्दों से मैं तुम्हें प्यार से मारूं।
"ANUPAM"
#किन-ख्यालों-में-गुम-हो #मेरी-नजर-से-देखो, #हर-तरफ-तुम-ही-तुम-हो #फिज़ाओं-में-महक़ी-है, #तुम्हारी---खुशबू, #हर-साँस-में-ज़िन्दगी-तुम-हो #ये-वादियाँ-कह-रही-हैं-हँसकर, #तुम्हीं-से-है-मोहब्बत, #मोहब्बत-से-तुम ही तुम-हो....🌹🌹 ©Ramesh Chandra Anupam #ख्याल
OMG INDIA WORLD
💞👈 #किन-ख्यालों-में-गुम-हो #मेरी-नजर-से-देखो, #हर-तरफ-तुम-ही-तुम-हो #फिज़ाओं-में-महक़ी-है, #तुम्हारी---खुशबू, #हर-साँस-में-ज़िन्दगी-तुम-हो #ये-वादियाँ-कह-रही-हैं-हँसकर, #तुम्हीं-से-है-मोहब्बत, #मोहब्बत-से-तुम ही तुम-हो..........!🌹🌹 ©OMG INDIA WORLD #OMGINDIAWORLD 💞👈 #किन-ख्यालों-में-गुम-हो #मेरी-नजर-से-देखो, #हर-तरफ-तुम-ही-तुम-हो #फिज़ाओं-में-महक़ी-है, #तुम्हारी---खुशबू, #हर-साँस-में-ज़िन्दगी-तुम-हो
Ashish Sharma
तेरे अपने तेरी किरणों को तरसते हैं यहां, तू ये किन गलियों में किन लोगों के साथ रोशन हुआ। -तहज़ीब हाफी #आशिया
कृष्ण कुमार अग्रहरि सरल
इस विश्व कमल की मृदुल धरा पर सब तेरी संचित माया है अंतरिक्ष हो या नीलगगन सब तेरी अदृश्य काया है सर्वत्र विद्यमान होकर भी तू किस भांति अचंभित करता है अपना सब कुछ न्योछावर कर फिर भी तू क्यों चुप रहता है अमल ज्योति स्वर्णिम तेज किन रत्नों से श्रृंगार करूं संकुचित विवेक मेरा मन में एक किन शब्दों से व्याख्यान करूं
read moreanpoetryclub
लैला के लिए मजनू को मारना हैं । हीर के लिए रांझे को मारना हैं ।। सुना हैं अभी कई आशिक बचे हैं शहर में ।। जरा बताओ किन किन को मारना हैं ।। #नोजोटोहिंदी #नोजोटो#nojoto#shayari dattu mandade nita rokade Doijad Shivshankar Ramkishan prem ujagare jai Shree Kumar
#नोजोटोहिंदी #नोजोटोnojoto#Shayari dattu mandade nita rokade Doijad Shivshankar Ramkishan prem ujagare jai Shree Kumar #शायरी
read morePratibha Tiwari(smile)🙂
तेरा इंतज़ार ❣तेरा इंतजार करना होगा हालांकि तूने बताया है, पर उस इंतेज़ार की समय सीमा क्या होगी अब तक दोनों को ना समझ आया है। वक्त का ही खेल रहा ये वक्त ने ही उलझाया है, वरना हसना तो हम दोनों ने चाहा था जानें क्यों रुलाया है। बड़ा कठिन सफ़र था , काफ़ी रास्ता पार किया हमनें फिर भी कितना छूट गया, मंजिल की ख्वाहिश में ना जानें किन किन रास्तों से ये सिर टकराया है। हालात ही सितामगार बनें,जो दोनों को हमदर्दी दिखाते थे वे ही आज लाचार बनें, कुछ यूं चली नसीब की कलम की दोनों की जिंदगी के किस्मत के पन्ने दागदार होकर आज तार तार हुए।✍ ___Smile 💚💛💙❤💜♥ #तेरा इंतजार #nojoto हिंदी #nojoto न्यूज ♥💜❤💙💛💚
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read moreDakshina Devi Gajurel
एउटा मौका उ संग माग्थे ================ आज धेरै दिन भयो आमा, देब्रे पाटो दुखेको काहाकता दुखछ बेसरी - थाहा छइन पोहोरसालपनि एस्तो भएको थियोे। तर........! यतिसारौ पारेन दुखेको वेदनाले किनकि तिमि थिएउँनित आमा वीरको वारेमा छरेको तोरि पहिलात मैले टिपेर ल्याएको अनि किटको कराइमा तिमिले गदगद पकाएको स्वाद अझै आलोनै छ आमा वीरेलेेे पिसाएर ल्याएको त्यही तोरीको तेलले चपचिल्लेइ मालिस गरि दिएकी थिएँउ जिउभरि अंगेनाको छेउमा बसेर तिम्रा न्यानो हातले। कतै केहि लागेको पो हो कि ? आतिदै कति धाएउ धामि र जोखाना अचम्म लाग्द थियो तिम्रो माया देखि घर धन्दा सवेइ सकि इष्ट मित्र सवेइलाइ राखि कसरि गरदथिए्उ आमा एकछिन पनि न थाकि शुकवारे गइ रकति र भूडि हपतेइ खुवाउथैउ परपरि भूटि पईसा त आमा निकै नि पाउथेउ जागिर आखिर तिमि पनि गरथेउ सुन लाउने रहर कहिलेइ पोखिन्उ जै गर्ने मन छ गरदेइ जाउ छौरि संस्कार अर्ति कतिधेरै गरि सुटुक्क आफू किन गएउँ एसरि कर्तव्य मेरो गर्नुपर्ने थियो छाति तिम्रो दुखत सुमसुम्याउने अधिकार खौत दिएउ? एक्लै कतेइ नजाने तिमी त्यो घरलाई छोडी कसरि गएउ.!!! देब्रे पाटो दुख्यो, आसुँने झरो सम्झना तिम्रो कति धेरै आयो निदाउन खोज्दा छटपट भयो तस्विर आमा तिम्रोने आयो एकान्तमा सिरानी भिज्यो तोरीको तेलत आजपनि आयो काखको तातो हातको। न्यानो कता विलायो याद जब आउछ तस्वीर तिम्रो छाउँछ मुगुको रोग भित्र पालेर कसरि हासेर आमा, कसरि बसेउ? कहिल्यै केहिनभएझै निरोगी वनेर बिहानीपख दाहिने छाति दुःखत बाडुली मलाइ लागेन खोइ किन आमा? आमा कि आमा मपनि हुन्थे दुखको छाति मायाले चुम्थे के भन्ने थिए एकैपल्ट सुन्थे तोरि होइन तिलतेल लगाई मालिस म गर्थे मुखले तिमी लाई म स्वास दिनथै काललाई सायद विन्तनै गरथै एउटा मौका उसंग माग्थे आमा लाई अहिले नलौइजा भन्थे आखिर इच्छा जाहिर गर्दै, सायद तिमिलाई मईले फर्काएर ल्याउँथे दुखको पाटोमा तिम्रो स्पर्श पाउँथे सूपचौसुर हालि पकाएको पुबा तिम्रो हातले म आज खान्थे टाउको तिम्रो काखमा राखि ढुक्कले म कति निधाँउथे चोरि अम्लो समाति जाँ गएपनि संगेइ जान्थे, अरूले आरिस गर्ने गरि मैले माया कतिधेरै पाउथे एउटा मौका उ संग माग्थे । 2 दक्षिणा देवी गजुरेल, ठेलामारा । तेजपुर (असम) ====================== एउटा मौका उ संग माग्थे ================ आज धेरै दिन भयो आमा, देब्रे पाटो दुखेको काहाकता दुखछ बेसरी - थाहा छइन पोहोरसालपनि एस्तो भएको थियोे। तर........! यतिसारौ पारेन दुखेको वेदनाले किनकि तिमि थिएउँनित आमा वीरको वारेमा छरेको तोरि
एउटा मौका उ संग माग्थे ================ आज धेरै दिन भयो आमा, देब्रे पाटो दुखेको काहाकता दुखछ बेसरी - थाहा छइन पोहोरसालपनि एस्तो भएको थियोे। तर........! यतिसारौ पारेन दुखेको वेदनाले किनकि तिमि थिएउँनित आमा वीरको वारेमा छरेको तोरि #कविता
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