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अदनासा-
अदनासा-
कण-कण से मेरी उत्पत्ति हुई मैं केवल कण हूं , पुनः कण-कण में ही यह देह घुल-मिल जाएगा । बावला है वह मनुष्य जो कहे भगवान कहाँ है ? क्या कण में मानव में निस्संदेह भगवान देखेगा ? ©अदनासा- #हिंदी #मैं… #देह #कणकण #पुनः #घुलमिल #निसंदेह #भगवान #Instagram #अदनासा
parineeta
पता नहीं कहाँ हो...... कैसे ढूँढू तुम्हे...... रास्ता है मुश्किल, कैसे बताऊँ तुम्हे...... तुम पास होकर भी सामने नहीं आते..... साथ होकर भी हम राज़ नहीं पाते.... मुश्किल है, पर आधारित है..... टिका हुआ है, तुमपर.....। जब भी तुम आओगे पुनः ......।। #पुनः
Sultan Mohit Bajpai
हम पुनः नही मिलने वाले हम मृदा पुष्प है इस धरती पर पुनः नही खिलने वाले हम वारिद है इस नदिया में निरवधि पुनरपि बहने वाले हम पुनः नही मिलने वाले #पुनः #NojotoHindi #NojotoMystory #EmotionalHindiQuotestatic #Author #Quotes #Kalakaksh #Kavishala #shayari #poetry
Trishila Salve
*आयुष्याची एक संध्याकाळ अशी असावी* आयुष्याची एक संध्याकाळ, अशीही असावी... पुनः पहिल्याच रात्रीसारखी, तुझी मिठी मला पडावी... तुझ्या हळूवार पवित्र स्पर्शाने ,माझा रोम रोम खुलावा... तुझ्याच हाताने माझा ,श्रुंगार पुनः सजावा... सर्वांसमक्ष तू माझ्यावर, चुंबने वर्षावी... बेभान होवून मजला, उरी कवटाळून धरावी... आवेग ओसरल्यावर तुझा, मिठी तू सैल करावी... विस्कटलेली माझी टिकली, तू अश्रूभरीत नयनांनी पुनः लावावी... मोठ्या हिमतीने मला,नवरीसारखी सजवून... तुझ्याच हाताने ,सरणावर ठेवावी... आयुष्यात एक,संध्याकाळ अशीच यावी... माझी प्राणज्योत तुझ्या, अंतरीच सामावून जावी... त्रिशिला साळवे ९९२२३६३६२८ कविता जीवनाची कवयित्री त्रिशिला साळवे#
कविता जीवनाची कवयित्री त्रिशिला साळवे# #poem
read moreनवीन बहुगुणा(शून्य)
(हौसलों ने डरना नही सीखा है- इशरो) जब भारत एक शोर में चीखा है, होशलो ने डरना नही सीखा है, जब भारत माँ की जय होती है, तभी स्वतः रणवीरों की विजय होती है, मंजिल तक पहुंचने का सफर नही आसान था, जब अंतिरक्ष में भारत की मेहनत के आगे बेबस या अश्मान था, वीरो ने अपनी मेहनत से वो काम किया है,रुके जरूर है मगर झुके नही, ऐसा नाम किया है, भारत की जीत के नायक इशरो के वैज्ञानिकों की मेहनत रंग जरूर लाएगी,जल्द ही जीत देश के अंतरिक्ष वीरो को पास आएगी,कदमो में वो डगमगाहट नही है आवाज़ बुलंद है कोई घबराहट नही है,सफलता ने थोड़ा सा साथ छोड़ा है, मगर सच्ची है हमारे अंतरिक्ष वीरो की मेहनत उन्होंने अपनी जीत के रास्ते को पुनः चंद्रमा की तरफ मोड़ा है,भारत के अंतरिक्ष वीरो की पुनः प्रतीक्षा करता चद्रमा है,जब दुनिया देखेगी दम भारत के अंतरिक्ष वीरो का तिरंगे से अंतरिक्ष को रमा है,ये अंतरिक्ष वीरो की आंखों में अंशुओ के रूप में वो बहती धारा है,जँहा भारत के अंतरिक्ष वीरों ने अंतरिक्ष मे भारत के वैज्ञानिक शिखर को संवारा है,दुश्मनों खुस होता है जब भारत अपने सफर पर नही पहुंचता है मगर उन्हें मालूम नही भारत ने कभी ये साहस नही छोड़ा है, पाकिस्तान तू बुड्वक गधा है,भारत तेज तर्रार चेतक जैसा घोड़ा है,भारत ने विश्व को अपनी ताकत दिखाई है, अंतरिक्ष मे एक नई पहचान बनाई है, गर्व है हमे अपने अंतरिक्ष वीरों पर जिनके सहास में बल है, भारत अंतरिक्ष में एक नई शक्ति के रूप में है जिसे देखता आने वाला कल है,जय हिंद जय माँ भारती🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏❤❤❤❤❤❤🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳 (होशलो ने डरना नही सीखा) इशरो🇮🇳❤🙏🇮🇳❤🙏
(होशलो ने डरना नही सीखा) इशरो🇮🇳❤🙏🇮🇳❤🙏
read moreBabul Gurucool
अरे ओ असफलताओ से हार मान लेने वाले ? तू पुनः पलकें उठा के तो देख, रास्ते खाली धरी पड़ी है कि तू मंजिलों को पुनः याद करके तो देख, डूबती कश्तियों में भी पुनः एक उम्मीद की किरण झलकती नजर आ रही है कि तू पुनः होंसले बुलंद करके तो देख | #NojotoHindi #HindiQuote #life #hope
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read moreLokendra Thakur
कृष्ण कन्हैया कहलाने को मुख में ब्रहमांड बसाने को सुदामाओ को सखा बनाने को दधि,माखन मिश्री खाने को गौ माता को मान दिलाने को वो मुरली की तान सुनाने को बोलो कान्हा क्या तुम पुनः आओगे ? कालिया, कंसो पर विजय करने को पुनः धर्म की जय जय करने को असत्य के भेदो को खोलने को अन्याय विरूद्ध हर क्षण बोलने को शिशुपालो के अपशब्द रोकने को बोलो कान्हा क्या तुम पुनः आओगे? शांति प्रस्तावों को लाने को द्रोपदियो की लाज बचाने को अर्जुन को युग धर्म बताने को विराट स्वरुप दिखाने को सुदर्शन चक्र चलाने को बोलो कान्हा क्या तुम पुनः आओगे? राधा के बिन तरसने को मीरा के मन में बसने को सुर की आंखे बनने को गीता का बखान करने को भारत को पुनः महान करने को बोलो कान्हा क्या तुम पुनः आओगे ? (लोकेंद्र की कलम से) #लोकेंद्र की कलम से
Ashish Kumar Satyarthi
मुबारक हो, हमारा समाज बदल रहा है | जंगल से निकल कर समाज बनाया, अब पुनः जंगल की ओर चल रहा है | मुबारक हो, हमारा समाज बदल रहा है | होमोसैपियन्स से मनुष्य बना था, अब पुनः जानवरों में ढल रहा है | मुबारक हो, हमारा समाज बदल रहा है | पहले जानवरों को नोंचता था, खाने के वास्ते, अब नन्ही बच्चियों को भी तल रहा है | मुबारक हो, हमारा समाज बदल रहा है | ✍️आशीष कुमार सत्यार्थी हमारा समाज बदल रहा है
हमारा समाज बदल रहा है
read moreLaxmikant Pandey
*💮🚩 शुभ विचार 🚩💮* *पुनर्वित्तम्पुनर्मित्रं पुनर्भार्या पुनर्मही* *एतत्सर्वं पुनर्लभ्यं न शरीरं पुनः पुनः* *अर्थात्* ...... *आप दौलत, मित्र, पत्नी और राज्य गवाकर वापस पा सकते है* *लेकिन यदि आप अपनी काया गवा देते है तो वापस नहीं मिलेगी.* *💥 सुप्रभात 💥* *🚩🚩जय श्री राम🚩🚩*