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Divyanshu Goyal
प्यार नही है तुमसे ए नाजनीन बस एक लगाव है तुमसे बाते करने का। तुम्हारे साथ वक्त गुजरने का तुम्हारी उलझनों को सुलझाने का। #नाजनीन
Ayush kumar gautam
हमें भी उस नाजनीन के साथ झूलने का शौक चढ़ गया है बातचीत से तो महरूम है दिल फिर भी अपनी जिद पर अड़ गया है बारिश की फुहारों उसे नहाता क्या देख लिया प्यार मोहब्बत से समझाते हैं दिल बडा़ जिद्दी है कमबख्त उसके खातिर हमसे ही लड़ गया है नाजनीन-सुंदरी आयुष कुमार गौतम हमें भी उस नाजनीन...........
हमें भी उस नाजनीन...........
read moreDinesh Sahu
यह कलयुग हैं साहेब, इसमें श्रीराम की मर्यादा और संस्कार नहीं चलते.... इसमें तो सिर्फ़ श्रीकृष्ण के दाँव पेच चलते हैं। #महाराष्ट्र महाभारत #महाराष्ट्र महाभारत
#महाराष्ट्र महाभारत
read moreGautam_Anand
रिश्तों के इस महाभारत में खड़ा हुआ फिर पार्थ है कृष्ण बांच रहे हैं गीता उनको रग-रग में जिनके स्वार्थ है अट्टाहास करता है दुर्योधन अपनी कपटी चालों पर किंकर्तव्यविमूढ़ पड़ा है अर्जुन, रिश्तों का यही यथार्थ है चक्रव्यूह की रचना कर दी नारायण के ही सहयोग से ढूंढ रहा है अभिमन्यु भी इस गीता का क्या शब्दार्थ है दुर्योधन के बने सारथी जो धर्मध्वजा के वाहक थे नैतिकता का ढोंग किये हैं अद्भुत यह पुरुषार्थ है सुई की नोक बराबर भूमि देना दुर्योधन को स्वीकार्य नहीं सत्ता शक्ति जिसने लूटी वह दुर्योधन भी निःस्वार्थ है रिश्तों के महाभारत
रिश्तों के महाभारत #कविता
read moreParasram Arora
प्रतिबंधित हैँ यहां "महाभारत " की पठनीयता क्योंकि कई बार उठ जाते हैँ कुछ सटीक से प्रश्न अंधे धृतराष्ट ने सौ पुत्रो को जन्म दे दिया और गान्धारी क़े गर्भ से एक भी पुत्री को बाहर न ला सका कदाचित इस वैचारिकता को अनुकरणीय और न्यायसंगत तो कभी नहीं कहा जा सकता महाभारत की प्रासंगिकता......
महाभारत की प्रासंगिकता......
read moreYusuf Dehlvi
जितना गिरता हूँ, उतनी संभलने की ताक़त आती हैं। जिंदगी रण भूमि हैं, ये शूर वीरो को ही आजमाती हैं। देख काफ़िला मुश्किल का मेरी शक्ति बढ़ती जाती हैं। ज़िन्दगी की महाभारत लश्कर से नही हौसले से जीती जाती हैं। यूँ ही नही मिलती विजय, रणनीति तैयार की जाती हैं। सफलता की भूमि आँसुओ से नही लहूँ से सींचि जाती हैं। दुःख - दर्द एक परीक्षा हैं, हिम्मत क्यूँ घबराती हैं। किस्मत जितना आज़माती हैं, उससे दुगना देकर जाती हैं। यूसुफ देहलवी ज़िन्दगी की महाभारत
ज़िन्दगी की महाभारत
read moreAnjali Jain
महाभारत हृदय धध काती है, रामायण पल - पल रुलाती है!! ##रामायण /महाभारत #03. 04.20
##रामायण /महाभारत 03. 04.20
read moreAnjali Jain
कितना सरल है घर - परिवार के झगड़ों का कारण एक स्त्री को मान लेना, अपनी कमजोरियों का इल्जाम एक स्त्री के माथे मढ़ देना? माना कि द्रोपदी ने दुर्योधन को बहुत ही अनुचित वचन कहे, बहुत अपमानित किया, ऎसा एक सुशिक्षित और सुसंस्कृत महारानी को शोभा नहीं देता, किंतु क्या इस बात से इंकार कर सकते हैं कि दुर्योधन की लालची गिद्ध दृष्टि इंद्र प्रस्थ पर पहले ही पड़ चुकी थी! अपमान की घटना से पूर्व ही! जिनकी महत्वाकांक्षाएँ प्रारंभ से ही गलत दिशा में भटक चुकी थी, उन पर नियंत्रण करने वाला कोई नहीं था बल्कि शकुनि और अंगराज तो उन्हें निरन्तर हाँक ही रहे थे! चौसर खेलने का निर्णय शकुनि पहले ही ले चुके थे अतः चौसर खेलकर षड्यंत्र पूर्वक इंद्र प्रस्थ हड़पना तो पहले ही निश्चित हो चुका था, किन्तु क्या युधिष्ठिर की कमजोर मनःस्थिति इसके लिए जिम्मेदार नहीं थी कि वे अपने भाइयों और पत्नी को दाँव पर लगा सके! क्या इसके लिए द्रोपदी उत्तरदायी थी? माना दुर्योधन के हृदय में प्रतिशोध की ज्वाला धधक रही थी वह अपने अपमान का बदला किसी भी तरह से लेता लेकिन पूरे महाभारत के युद्ध के लिए द्रोपदी को उत्तर दायी ठहराना अहंकारी व सामन्ती मनोवृत्ति का परिचायक है जो सचमुच निंदनीय है #द्रोपदी और महाभारत, भाग 1, 19.04.20
#द्रोपदी और महाभारत, भाग 1, 19.04.20
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