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kumar vishesh

बेचारे गिलहरी

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कहानी
बेचारी गिलहरी
एक गिलहरी हालात से टूटी थी
उसकी हर शाम रो रो के फूटी थी
एक पेड़ पर उसका आशियाना था
जो काफी पुराना था
जंगल में मंगल था
हरे भरे पेड़ों से उसकी हर रोज मुलाकात होती थी
बरसात तो साहब वहां रोज होती थी
कुदरत का कहर देखिए
अपने बच्चों के संग गिलहरी घूमने 
क्या निकली कि किसी
आसमां में बिजली चमकने लगी
बादलों से बूंदें टपकने लगी
धरा पर पानी इतना बिखर गया
हर खेत जंगल तालाब बन गया
गिलहरी की उम्मीद में भी सैलाब बन गया
अपने बच्चों की चिंता होने लगी
मन ही मन में रोने लगी
हे कुदरत तूने क्या कर दिया
धरा पर पानी रोज भरता है आज आंखों में भी पानी भर दिया
लोग कहते हैं कि तू पत्थर का है
आज तूने यह भी साबित कर दिया 
तभी एक बचपन की एक हकीकत सामने आई
हमने किसी की मदद की थी वो रंग लाई
एक बड़ा सा पेड़ सैलाब में बहता आ रहा था
गिलहरी तुम चिंता मत करो यह कहता आ रहा था
उसे देख गिलहरी की उम्मीद जागी
वो एक पेड़ से दूसरे पेड़ पर अपने बच्चों को लेकर भागी
अपने बच्चो को सैलाब से पार कर गई
खुद पानी की धार में बह गई
दोस्तो यह कहानी कैसी लगी
हमें सब की मदद करनी चाहिए बिहार में आई बाढ़
से जो मुसीबत लोगों पर आई है उसके लिए हमें
उनकी मदद करनी चाहिए बेचारे गिलहरी

Rohit Shivajirao Petare

गजल के शेर है के ....... #शायरी #nojotophoto

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 गजल के शेर है के .......

Sunny Lakhiwal

Pnkj Dixit

गिलहरी संगीत प्रकृति

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Maroof alam

मौत के करीब होते रहे/गजल #शायरी

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गजल

इस तरह ऐ जिंदगी तेरे रकीब होते रहे
वक़्त गुजरता रहा मौत के करीब होते रहे

कुछ यूँ खुदती रही खाई दरमियाँ इंसानो के
के गरीब ओर गरीब अमीर ओर अमीर होते रहे

इस तरह रखा ख्याल उन्होंने मेरे बाग का
दरख़्त जलते रहे और रफीक सोते रहे

मैं बनाता रहा वो उजाड़ता रहा घरौंदे मेरे
कुछ यूँ रान ऐ दरगाह बदनसीब होते रहे

मैने जब से मुहं देखकर बात कहना छोड़ दी
मेरे अपने दूर होते रहे गैर करीब होते रहे

मारुफ आलम मौत के करीब होते रहे/गजल

संजय श्रीवास्तव

गजल

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ग़ज़ल 
****************************************
सच है मुझे ,प्यार जताना न आया,
लाख चाहा तुमको ,भुलाना न आया

अश्क पी लेने का, जो हुनर था मुझमें,
बंद पलकों में उसको ,छुपाना न आया

कह देता अगर वो , रुक जाता यकीनन,
यार को ही तो मुझको,  मनाना न आया

जामे उल्फत की महफ़िल में आये हैं वो 
इश्क का दो घूँट जिसको,पिलाना न आया

इश्क की आग में,   जल रहा है वो देखो
उस सितमगर सनम को, बुझाना न आया

मुकम्मल ग़ज़ल की, ख्वाहिश है संजय
सब  आये यहां पर जाने जाना न आया

संजय श्रीवास्तव गजल

Monika Tigraniya

@गजल #OpenPoetry

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#OpenPoetry एक खाली कटोरा और चंद झूठे बर्तन
यही वसीयत छोड़ जाता है हर भिखारी अपने पीछे @गजल

Deep Shikha

#गजल

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एक मुक्म्मल कहानी ,हम बना हीं तो लेंगे
दूर दूसरों के भरम,हम कर हीं तो लेंगे
जिस राह में तुम रहबर न हो
उस राह को अपना सफर बना न सकेंगे।

दूर खुशियों के सारे अभिशाप होंगे
एक बार राह में तुम मिलो तो सही #गजल

Amit Verma (Ambar)

गजल #शायरी

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मिले मंजिल बहुत जल्दी सफर करना जरूरी है

गवां  बैठे हो जो रौनक  बसर  करना  जरूरी  है,


काट  लो  कुछ  शेष  है  इस  रात  का  साया

उजाले के लिए रवि का निकलना भी जरूरी है,


ये  मौसम  मेरी  सेहत  के  माफिक  नहीं

तपन अब सह नहीं सकता बरसात का होना जरूरी है,


ताले  लगे  हैं  जो  पुराने  आशियाने  में

मैं रहने आ गया हूं इनका अब खुलना जरूरी है,


जो  तोड़ते  इंसान  के  जज्बात  आये  है 

इन आकाओं की खातिर खुदा होना जरूरी है,


ये  मजहब की जो दूरी है इसे  साझा करो वर्मा

शियासत से अलग होकर गले मिलना जरूरी है

                     ( अमित वर्मा )

 गजल

कुमार "अँचल"

गजल

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गजल
सदा मंजिल की सफर किया,
कुछ पाने का यकीन तो हुआ।
मैं समाज में कुछ अच्छा किया,
सौं में कुछ लोक हीन भी कहा।
जिसको मैं समझाने तो गया,
वह मुझें ओर भगाने ही लगा ।
खुदा ने मुझे छोटा-सा बनाया,
ओर इंसान झुकानें ही लगा ।
मैं जब नौ दो ग्यारह हों गया ,
वह मेरा पीछे से आने लगा। गजल
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