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Atul Sharma
*✍🏻“सुविचार"*📝 🖊️*“18/5/2022”*📚 📘*“बुधवार”*💫 एक प्रश्न है मेरा आपसे कि सोचिए आप “बड़े” हो चुके है,“घर” से दूर जा चुके है, “पेट भरने” के लिए आपको प्रतिदिन “प्रयास” करना होगा, ऐसे समय यदि आपके जीवन में कोई “समस्या” आ जाए, तो आपकी “सूचना” उन तक कब पहुंचेगी और कब वो आपकी “सहायता” के लिए आ पाएंगे, ऐसे समय में सबसे महत्वपूर्ण “संबंधी” होता है आपका “पड़ोसी”, क्योंकि वही आपके सबसे निकट है, आप कभी जांच कर देख लिजिए कि आपके साथ उनके काफी “मतभेद” हो जाए लेकिन अपने “पड़ोसी” को ( दुःख) “पीड़ा” में देख सबसे पहले “सहायता” के लिए वही आता है, तो “पड़ोसियों” के साथ “संबंध” अच्छे बना कर रखिए, केवल “स्वार्थ” के लिए नहीं ये "शांति का भी आधार” है, यदि ये “संबंध” अच्छे रहेंगे तो न बात-बात पर “बेर” होगा न ही मतभेद, तो सदैव स्मरण रखिए अपने “पड़ोसियों” के साथ सदैव “अच्छे” और “मधुर संबंध” बनाएं *“अतुल शर्मा”*✍🏻 ©Atul Sharma *✍🏻“सुविचार"*📝 🖊️ *“18/5/2022”*📚 📘 *“बुधवार”*💫 #“समस्या” #“सूचना”
Atul Sharma
*✍🏻“सुविचार"*📝 🖊️*“14/5/2022”*📚 📘*“शनिवार”*💫 “जीवन” में सबसे “महत्वपूर्ण वस्तु” कौनसी है ? “घर”,“वाहन”,“स्वर्ण”,“धन”... यदि मैं आपको “सत्य” बताऊं तो “जीवन” में सबसे “महत्वपूर्ण वस्तु” कोई है ही नहीं, यदि कुछ “महत्वपूर्ण” है तो वो है “भाव”...जैसे “करूणा”,“मित्रता”,“मातृत्व”,“वात्सल्य”, और “अधिक महत्वपूर्ण” “प्रेम” अपने इस “जीवन” में यदि आप अपने इस समस्त “जीवन” को “वस्तुओं का खेल” बनाकर रख देंगे तो “जीवन” में “आनंद” नहीं रहेगा, अपने इस जीवन को “भावनाओं का घर” बनाइए, और महत्वपूर्ण बात यह भी है की “भावनाओं की कदर” भी कीजिए और एक दूसरे का “सम्मान” भी कीजिए, ये सदैव “प्रसन्न” एवं “आनंदित” रहेगा... *“अतुल शर्मा”*✍🏻 ©Atul Sharma *✍🏻“सुविचार"*📝 🖊️ *“14/5/2022”*📚 📘 *“शनिवार”*💫 #“जीवन” #“महत्वपूर्ण वस्तु”
*✍🏻“सुविचार"*📝 🖊️ *“14/5/2022”*📚 📘 *“शनिवार”*💫 #“जीवन” #“महत्वपूर्ण वस्तु” #Thoughts #“करूणा” #“प्रेम” #“सम्मान” #“आनंद” #“भाव” #“मित्रता” #“मातृत्व” #“भावनाओं
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📚 *“सुविचार"*📝 🖊️ *“2/5/2022”*🖋️ ✍🏻 *“सोमवार”*📘 कोई भी “वस्तु” अकेली “महत्वपूर्ण” नहीं होती है एक बात आपको “स्मरण” रखनी होगी, कोई भी “वस्तु” अकेली “महत्वहीन” होती है किसी के “साथ” से उसका “सम्मान” बढ़ता है,उसका “महत्व” बढता है और ये “मनुष्य” के लिए भी है यदि आप “आगे बढ़” रहे है और “अकेले बढ़” रहे है और आप कितने ही “आगे बढ़” जाए, तो आप जो “कुछ” भी कर लिजिए, आपको वो “प्रेम”, वो “सम्मान”, वो “संबंध” नहीं मिलेगा किसी को “साथ” लेकर चलिए आपका भी “मान” बढ़ेगा किसी को “स्थान” दिजिए आपका भी “सम्मान” बढ़ेगा जैसे “प्रेम” से “गुण” का मान बढ़ता है और “अच्छे व्यक्तित्व” से “अच्छे इंसान” का निर्माण होता है... *अतुल शर्मा*✍🏻 ©Atul Sharma 📚 *“सुविचार"*📝 🖊️ *“2/5/2022”*🖋️ ✍🏻 *“सोमवार”*📘 #“वस्तु” #“महत्वपूर्ण”
📚 *“सुविचार"*📝 🖊️ *“2/5/2022”*🖋️ ✍🏻 *“सोमवार”*📘 #“वस्तु” #“महत्वपूर्ण” #Thoughts #“अच्छे #“प्रेम” #“सम्मान” #“महत्वहीन”
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📚 *“सुविचार"*📝 🖊️ *“10/4/2022”*🖋️ ✍🏻 *“रविवार”*📙 देखिए “दृष्टिकोण” में यदि “प्रेम” रखोगे, “आदर” रखोगे तो बदले में आपको “प्रेम” और “सम्मान” अवश्य मिलेगा, अब देखिए कि “ईश्वर की मूर्ति” को “धूलकर” निकला “जल” “चरणामृत” कहलाता है कारण है “दृष्टिकोण” , अब “पत्थर” को “भगवान” समझकर “ठुकरा” दोगे, चयन आपका है किंतु यह चयन निर्भर करता है आपके “दृष्टिकोण” पर तो अपना “दृष्टिकोण” शुभ रखिएगा और अपने “दृष्टिकोण” में “प्रेम” अवश्य रखिएगा... *“अतुल शर्मा*✍🏻 *आप सभी को रामनवमी के पर्व एवं नवरात्रे समापन की हार्दिक शुभकामनाएं*🙏🏻🎊 🎉 💫 ©Atul Sharma 📚 *“सुविचार"*📝 🖊️ *“10/4/2022”*🖋️ ✍🏻 *“रविवार”*📙 #“दृष्टिकोण” #“आदर”
Atul Sharma
*✍🏻“सुविचार"*📝 🖊️ *“20/3/2022”*📚 📘 *“रविवार”*🌟 “धर्म” और “प्रेम”... दोनों एक ही “मुद्रा” के दो “पहलू” है यदि इनमें से एक भी निकल जाएगा, तो दुसरा शेष नहीं रहेगा, कभी सोचा है ऐसा क्यों ? इसके लिए पहले आपको समझना होगा कि “धर्म” क्या है ? “धर्म” वो जो इस “संसार” में प्रत्येक “प्राणी” को “सुख” और “शांति” से रहने की “प्रेरणा” देता है और इस “प्रेरणा” का आधार है “प्रेम”, “प्रेम” वो जो आपके भीतर किसी ओर के प्रति “करूणा” जगाता है,“सम्मान” को जगाता है अब यदि “प्रेम” चला गया तो सर्वप्रथम “नाश” होगा “सम्मान” और “करूणा” का, अब जहां पे न “प्रेम” है,न “सम्मान”,न “करूणा” है वहां “धर्म” कहा से “वास” करेगा,इसलिए जो भी “भावनाएँ” आपके भीतर प्रवेश कर रही है उन्हें करने दिजिए किन्तु चाहें कुछ भी हो जाए, इस “प्रेम” को कही मत जाने दिजिए, इस “प्रेम” को अपने “ह्रदय” में सदैव अपने “पास” रखिए, *“अतुल शर्मा”*✍🏻 ©Atul Sharma *✍🏻“सुविचार"*📝 🖊️ *“20/3/2022”*📚 📘 *“रविवार”*🌟 #“प्रेम” #“सम्मान”
Atul Sharma
*✍🏻“सुविचार"*📝 📓*“1/2/2022”*📚 🖋️*“मंगलवार”* 🌟 इस “जीवन” में कभी “प्रेम का उपयोग” अपने “स्वार्थ” के लिए नहीं होना चाहिए, क्योंकि अगर ये “प्रेम“ “मन में” है,“दिल” में है,“विचारों” में भी है तो यह “शुभ” भी है, यदि इस “प्रेम का उपयोग” किसी की “बुराई” में या किसी को “हानि” पहुंचाने में हो तो यह कदापि सही नहीं है, तो उस “प्रेम” का कोई “अस्तित्व” ही नहीं रहेगा, “प्रेम” में तो सिर्फ होता है “अपनापन”,“सम्मान”,“परवाह” और “थोड़ा सा समय” जो हमारे अपने हम से चाहते है और हम हमारे अपनो से चाहते है, *“अतुल शर्मा”*✍🏻 ©Atul Sharma *✍🏻“सुविचार"*📝 📓 *“1/2/2022”*📚 🖋️ *“मंगलवार”* 🌟 *#“प्रेम”* *#“मन”*
Atul Sharma
*✍🏻“सुविचार"*📝 📘 *“24/1/2022”*📚 🖋️ *“सोमवार”* 👧🏻 *एक “संतान” तो “परमात्मा” का ही “अंश” होती है* *इसलिए “पुत्र” “पुत्री” में भेद करना उचित नहीं* *किंतु तब भी “कुछ व्यक्ति” ऐसी “मूर्खता” कर बैठते है* *क्योंकि वे “कन्या” की “महिमा” से “अपरिचित” है* *कि “कन्या” का “सम्मान” करना प्रत्येक “व्यक्ति” का “धर्म” है* *क्योंकि “कन्या” “जीवनदायिनी” है* *एक “कन्या” “विवाह” के पश्चात “दो कुलों” को जोड़ती है वो जननी है* *और “जननी” तो केवल “सत्कार” के योग्य होती है “उपेक्षा” के नहीं* *उसका “तिरस्कार” नहीं किया जाता...* और पुत्री (कन्या) का सम्मान तो सदैव करना चाहिए, *अतुल शर्मा*✍🏻 ©Atul Sharma *✍🏻“सुविचार"*📝 📘 *“24/1/2022”*📚 🖋️ *“सोमवार”* 👧🏻 *#“कन्या”* *#“विवाह”*
Atul Sharma
*✍🏻“सुविचार"*📝 📘*“20/1/2022”*📚 🖋️*“गुरुवार”*🌟 हम सभी “प्रकाश के अनुगामी” है “सूर्य” से हमें “प्रकाश” मिलता है और “प्रकाश” के कारण ही हम सबकुछ “देख” पाते है, और इसी वजह से हम “सूर्य” को इतना मानते है, उसका “सम्मान” करते है,उनकी “पूजा” करते है, परन्तु क्या इस संसार में के सूर्य ही है जो “प्रकाश का स्त्रोत” है ? नहीं...जब “सूर्यास्त” होता है तब “चंद्रमा” “प्रकाश” देता है वो हमें “मार्ग” दिखाता है और जब “चंद्रमा” भी न हो तब क्या होता है ? तब हमारे “घरों को प्रकाश” से भर देता है एक “छोटा सा दीपक”, अर्थात “आकार” या “नाम” महत्वपूर्ण नहीं है, महत्वपूर्ण है “गुण” , आप भी इन “गुणों” को अपनाइए, “चंद्रमा” या “दीपक” की भांति, “सूर्य की अनुपस्थिति” में भी “प्रकाश” फैलाते जाइए और “सत्कर्म” करते जाइए... *अतुल शर्मा*✍🏻 ©Atul Sharma *✍🏻“सुविचार"*📝 📘 *“20/1/2022”*📚 🖋️ *“गुरुवार”* 🌟 *#“सूर्य से प्रकाश”* *#“प्रकाश के अनुगामी”*
Atul Sharma
*✍🏻“सुविचार"*📝 📘*“10/1/2022”*📚 🖋️*“सोमवार”* 🌟 देखिए हर “स्त्री” को “स्वर्ण आभूषण” नहीं चाहिए,“महंगे वस्त्र” नहीं चाहिए,उसे चाहिए आपसे “सम्मान” सबके सामने भी और “एकांत” में भी,उसे चाहिए आपका “समय”, आपका “समर्पण” और थोड़ा सा “प्रयास” कि आप उन्हें जता पाए कि आपके “जीवन” में उनका “स्थान” है और “बराबरी का भाव” है, और एक बात ये कि “संबंध” में दोनों ओर से “प्रेम” होना भी आवश्यक है, तभी आप कह पाएंगे “यत्र नार्यस्तु पूज्यंते रमंते तत्र देवता”... *अतुल शर्मा*✍🏻 ©Atul Sharma *✍🏻“सुविचार"*📝 📘*“10/1/2022”*📚 🖋️ *“सोमवार”* 🌟 *#“स्त्री”* *#“स्वर्ण आभूषण”*
Atul Sharma
*📚 *“सुविचार"*🖋️ 📘*“2/11/2021”*📝 🪔*“मंगलवार ”*✨ “धनतेरस” क्यो मनाई जाती है ? कहते है “भगवान धन्वंतरि” के “प्रकट” होने के उपलक्ष्य में ही “धनतेरस का त्योहार” मनाया जाता है, मान्यताओं के अनुसार “समुद्र मंथन” के दौरान जब “भगवान धन्वंतरि” प्रकट हुए थे, उस समय उनके “हाथों” में “अमृत कलश” था और उस दिन “कार्तिक मास” की “त्रयोदशी” थी, “कमाई की परिभाषा” सिर्फ “धन” से ही “तय” नहीं होती, “तजुर्बा”,“रिश्ते”,“प्रेम”,“सम्मान” और “सबक” ये सब “कमाई” के ही रूप हैं। और “जिंदगी” में सब “लोग”, “रिश्तेदार” और “दोस्त” बन कर नहीं आते,“कुछ लोग” “सबक” बन कर भी आते है ताकि आप हर किसी की “कदर” कर पाएं, *🖋️अतुल शर्मा* ©Atul Sharma *📚 *“सुविचार"*🖋️ 📘*“2/11/2021”*📝 🪔 *“मंगलवार ”*✨ #“धनतेरस” #“भगवान धन्वंतरि”
*📚 *“सुविचार"*🖋️ 📘*“2/11/2021”*📝 🪔 *“मंगलवार ”*✨ #“धनतेरस” #“भगवान धन्वंतरि” #Dhanteras #“प्रेम” #“सम्मान” #“समुद्र #“अमृत #“कार्तिक #“त्रयोदशी” #“रिश्ते” #“सबक”
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