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Atul Sharma
*✍🏻“सुविचार"*📝 🖊️*“20/5/2022”*📚 📘*“शुक्रवार”*💫 इस “जीवन” के हमारे दो “साथी” है एक “अंधकार” है और एक है “प्रकाश” अब यदि “अंधकार” में यदि हम “दीपक” प्रज्वलित करते है “प्रकाश” के लिए, तो “अंधकार” हमसे “रूष्ट” होकर चला जाता है अब यदि “अंधकार” को मनाने जाओ तो “प्रकाश” रूष्ट होकर हमसे दूर चला जाता है, ये वैसी “परिस्थिति” है कि जैसे हमारे दो “मित्र” है जिनकी आपस नहीं बनती, क्योंकि एक को “मनाने” या “प्रसन्न” करने जाओ तो दूसरा “रूष्ट” हो ही जाता है, ऐसे में आपको “समझदारी” दिखानी है कि कब किसका “साथ देना” है,कि कब किसके “साथ चलना” है, हो सके तो सबको साथ लेकर ही चलिए यदि किसी की “आपस” में नहीं बनती,तो उनमें “सामंजस्य” बिठा के “संसार की रीति निती” का “शस्त्र” चलाना है, यहीं तो “मनुष्य” जीवन है अब भला ये कैसे किया जाता है केवल “प्रेम” से,तो इसी प्रकार “प्रेमपूर्ण व्यवहार” से सभी को जोड़कर रखेंगे तो सभी “खुश” भी अवश्य रहेंगे... *अतुल शर्मा*✍🏻 ©Atul Sharma *✍🏻“सुविचार"*📝 🖊️ *“20/5/2022”*📚 📘 *“शुक्रवार”*✨ #“जीवन” #“दो साथी”
*✍🏻“सुविचार"*📝 🖊️ *“20/5/2022”*📚 📘 *“शुक्रवार”*✨ #“जीवन” #“दो साथी” #Thoughts #“प्रसन्नता” #“प्रकाश” #“परिस्थिति” #“अंधकार” #“प्रेमपूर्ण #“दीपक” #“समझदारी” #“सामंजस्य”
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*📚 *“सुविचार"*🖋️ 📘*“19/10/2021”*📝 ✨*“मंगलवार”*🌟 इस “संसार” में हर “वस्तु” के, हर “परिस्थिति” के,हर “भाव” के दो “पहलू” होते है, इसमें “बदलाव” आता है केवल “दृष्टिकोण” द्वारा, अब यदि कोई “व्यक्ति” है जो “पर्वत” पर खड़ा है तो उसे ये ही लगेगा कि जो ये “जल की धारा” है वो “समुद्र की ओर” बह रही है, दूसरा “व्यक्ति” जो “समुद्र” के पास खड़ा है उसे लगेगा कि ये धारा “समुद्र की ओर” आ रही है, बात यहा है “दृष्टिकोण” की, अब यहीं “समय के साथ” भी होता है कई बार “मनुष्य” जो है वो “चिंतित” रहता है,कि उसके पास समय बहुत कम है,उसमें वो कुछ कर नहीं सकता, “थोड़ा और समय” होता तो अच्छा होता, वो ऐसे भी सोच सकता है कि “कुछ ही सही" समय “श्रेष्ठ” तो है, अर्थात जो “बचा” है उसे “बचाया” भी जा सकता है, इसमें “जीवन” बसाया भी जा सकता है तो ये निर्भर करता है आप पर, तो “दृष्टिकोण” शुभ रखिए, *“अतुल शर्मा”🖋️📝* ©Atul Sharma *📚 *“सुविचार"*🖋️ 📘 *“19/10/2021”*📝 ✨ *“मंगलवार”*🌟 #“संसार” #“वस्तु”
*📚 *“सुविचार"*🖋️ 📘 *“19/10/2021”*📝 ✨ *“मंगलवार”*🌟 #“संसार” #“वस्तु” #“जीवन” #“श्रेष्ठ” #“दृष्टिकोण” #“समय” #“परिस्थिति” #“बदलाव”
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*📚“सुविचार"🖋️* *📝“21/9/2021”🌟* *📘“मंगलवार”✨* “परिस्थिति”... कभी ये “बनती” है तो कभी ये “बिगड़ती” है, कभी ये “परिस्थिति” हमारे अनुसार चलती है तो कभी हमें इस “परिस्थिति” के अनुसार चलना पड़ता है, किंतु जब भी ये परिस्थिति बिगड़ती है तो क्या किया जाए ये ही प्रश्न उठता है ? परिस्थिति यदि बिगड़ गयी तो उसमें हमनें जो “खो” दिया तो वो “खो” दिया लेकिन जो “शेष” उसे तो हम बचाकर रख सकते है, “परिस्थिति” को संभालकर रखने का “प्रयास” हम कर सकते है, किंतु इससे बड़ी समस्या है “अंहकार”, कब “प्रवेश” कर जाए “ज्ञात” ही नहीं होता,यह “अंहकार” आपको ज्ञात होने ही नहीं देता कि आपने कुछ “खोया” भी है, देखा जाए तो ये “सूर्य” ☀ भी अपना “प्रकाश” खोता है जब “अंधकार” आने लगता है, तो भला हम कौन है उसके समक्ष तो हम कुछ भी नहीं, इस “अहंकार का दमन” हमें करना ही होगा, “विश्वास” करना होगा कि “समस्त सृष्टि” में हम मात्र “एक कण” है, “विश्वास” करना होगा कि हम उतने अधिक बड़े नहीं है कि हम कभी कुछ खो ही न पाए, आपने जिस दिन ये ज्ञात कर लिया स्मरण रखिए कि आप उस दिन “अंहकार का दमन” करने लगे है तो उस “पथ” पर अग्रसर भी हो चुके है,... *🖋️अतुल शर्मा📝📚* ©Atul Sharma *📚“सुविचार"🖋️* *📝“21/9/2021”🌟* *📘“मंगलवार”✨* #“परिस्थिति” #“बिगड़ना”
Atul Sharma
*🪔“सुविचार"*🪔 🖊️*“10/9/2021”*🖋️ 📘✨*“ शुक्रवार”*✨📙 इस “जीवन” के हमारे दो “साथी” है एक “अंधकार” है और एक है “प्रकाश” अब यदि “अंधकार” में यदि हम “दीपक” प्रज्वलित करते है “प्रकाश” के लिए, तो “अंधकार” हमसे “रूष्ट” होकर चला जाता है अब यदि “अंधकार” को मनाने जाओ तो “प्रकाश” रूष्ट होकर हमसे दूर चला जाता है, ये वैसी “परिस्थिति” है कि जैसे हमारे दो “मित्र” है जिनकी आपस नहीं बनती, क्योंकि एक को “मनाने” या “प्रसन्न” करने जाओ तो दूसरा “रूष्ट” हो ही जाता है, ऐसे में आपको “समझदारी” दिखानी है कि कब किसका “साथ देना” है, कि कब किसके “साथ चलना” है, हो सके तो सबको साथ लेकर ही चलिए यदि किसी की “आपस” में नहीं बनती,तो उनमें “सामंजस्य” बिठा के “संसार की रीति निती” का “शस्त्र” चलाना है, यहीं तो “मनुष्य” जीवन है अब भला ये कैसे किया जाता है केवल “प्रेम” से, तो इसी प्रकार “ प्रेमपूर्ण व्यवहार” से सभी को जोड़कर रखेंगे तो सभी “खुश” भी अवश्य रहेंगे... ✨ *अतुल शर्मा🖋️📝* ©Atul Sharma *🪔“सुविचार"*🪔 🖊️ *“10/9/2021”*🖋️ 📘✨ *“ शुक्रवार”*✨📙 #“जीवन” #“दो साथी”
*🪔“सुविचार"*🪔 🖊️ *“10/9/2021”*🖋️ 📘✨ *“ शुक्रवार”*✨📙 #“जीवन” #“दो साथी” #GaneshChaturthi #“प्रसन्नता” #“प्रकाश” #“परिस्थिति” #“अंधकार” #“प्रेमपूर्ण #“दीपक” #“समझदारी” #“सामंजस्य”
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*✍🏻“सुविचार"*📝 ↔️*“8/5/2021”*↔️ 😷 *“शनिवार”*✨😷 “मनुष्य” में एक “विशेष प्रवृत्ति” होती है, “मूल्यांकन” करना, क्या “महंगा” है क्या “सस्ता” है? सोचिए आप किसी “मरुस्थल” में किसी कारणवश “फंस” गए हैं और “पानी की प्यास” से “तड़प” रहे हैं आप चाहते है कि कि किसी तरह आपको “जल” मिल जाए,तब आपके लिए क्या “महंगा” होगा ? तब तो आप इस “जल” के लिए अपने “जीवन” भर की “कमाई” देने को “तैयार” हो जाएंगे,तो इसलिए हमेशा याद रखें कि “जीवन” में “महंगी” या “सस्ती”, “वस्तु” नहीं...“परिस्थिति” होती है ये “सस्ता” ये “महंगा” “जीवन भर” चलता रहेगा,लेकिन जो आवश्यकता पड़ने पर “काम”आए उससे “अमूल्य” तो इस “संसार” में कुछ भी नहीं है... *“अतुल शर्मा😷🙏🏻🌳* *✍🏻“सुविचार"*📝 ↔️*“8/5/2021”*↔️ 😷 *“शनिवार”*✨😷 #“मनुष्य” #“मूल्यांकन”
Atul Sharma
*✍🏻“सुविचार"*📝 🌟*“23/4/2021”*🌟 🖋️ *“शुक्रवार”*✨🖊️ यदि “जीवन” में कोई “समस्या” है जिसको “बदलना” आपके “हाथ” में नहीं है तो उसे “स्वीकार करके” उसी के साथ चलना “सीख” लिजिए, अब यदि कोई “भाव” है,कोई “परिस्थिति” है, कोई “वस्तु” है,जो आपको “स्वीकार” ही नहीं है “स्वीकार” कर ही नहीं सकते, तो उसे “स्वयं से अलग” कर दे, इसे भी “सन्यास” ही कहते है, “जीवन” में “सुख-दुःख”,“हानि” हो या “लाभ” इन सब में “समान रूप” से “वास” करना “सन्यास” ही है यही “जीवन” का “आनंद” है... *🖊️“अतुल शर्मा🖋️📝✨* ©Atul Sharma *✍🏻“सुविचार"*📝 🌟*“23/4/2021”*🌟 🖋️ *“शुक्रवार”*✨🖊️ #“जीवन” #“समस्या”
*✍🏻“सुविचार"*📝 🌟*“23/4/2021”*🌟 🖋️ *“शुक्रवार”*✨🖊️ #“जीवन” #“समस्या” #Quotes #“आनंद” #“सीख” #“अस्वीकार” #“स्वीकार #“परिस्थिति” #“सन्यास”
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