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अदनासा-
progress26
लोगों को सपनों का महल चाहिए और मुझे वो सुनहरा बचपन चाहिए.. ✍🏻progress~ ©Pragati Soni #RailTrack #मेराबचपन #progress26
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read moreAnamika Nautiyal
बचपन की गलियाँ अब सड़कें बन गई है। ख़ाली मैदानों में इमारत में बन गई है। वह जो कभी बगीचा हुआ करता था हमारे खेलने का आज कंक्रीट का जंगल वहाँ खड़ा है। अब पहचान में नहीं आते लोग मेरे शहर के। सुना है भीड़ बहुत बढ़ गई है। सचमुच में पहचान नहीं आते लोग मेरे शहर के अब सच्चाई भी तो घट गई है। मेरा वह स्कूल जहाँ बचपन में मैं पढ़ा करती थी। अब बहुत बड़ा बन चुका है। स्कूल में आडू का पेड़ कट चुका है जिस पर झूल झूल हमने बचपन बिताया जिसने अपने फलों से हमारी भूख को मिटाया। वह बड़ा स्कूल जहाँ जाने के सपने मैं देखा करती थी। वह भी बहुत बदल चुका है इमारत भी दोगुनी हो चुकी हैं। बचपन की अब कुछ यादें ही शेष है यही तो मेरे जीवन में सबसे विशेष हैं। सचमुच 'अनाम' शहर बदल गया है वह अब और भी बड़ा शहर बन गया है। चलो तुम्हें मेरे शहर में लिए चलती हूं बचपन की गलियां अब सड़कें बन गई है। ख़ाली मैदानों में इमारत में बन गई है। वह जो कभी बगीचा हुआ करता था हमारे खेलने का आज कंक्रीट का जंगल वहां खड़ा है।
चलो तुम्हें मेरे शहर में लिए चलती हूं बचपन की गलियां अब सड़कें बन गई है। ख़ाली मैदानों में इमारत में बन गई है। वह जो कभी बगीचा हुआ करता था हमारे खेलने का आज कंक्रीट का जंगल वहां खड़ा है। #yqdidi #अनाम #मेराबचपन #मेरा_शहर #बचपन_के_वो_दिन #गढ़वालीगर्ल #बचपन_की_गलियां_यादें #कंक्रीट_का_जंगल
read moreAlok Tiwari ( KABIR)
"निगाहें आज भी ढूंढती है, उस मासूम से शक्स को.. बचपन में, सबने जिसे मेरा नाम दिया था।" #मेरा बचपन ©Alok Tiwari ( KABIR) #मेराबचपन #stay_home_stay_safe LR Motivation Life Coach dhyan mira diksha Himanshu Gupta Shakuntala Sharma
#मेराबचपन #stay_home_stay_safe LR Motivation Life Coach dhyan mira diksha Himanshu Gupta Shakuntala Sharma #ज़िन्दगी
read moreMOHAMMAD DANISH
मेरा गाँव और बचपन वक़्त के तक़ाज़े हैं जाने क्या क्या पीछे छोड़ आए बीते वक़्त उस शहर में कुछ दोस्त पुराने छोड़ आए गांव का पीपल पुराना आम की बगिया सुहानी तंग गलियों में अब हम अपना बचपना भी छोड़ आए गांव के बाहर, मां की चौकी और वो बाबा की मजार,करती है वो इंतिजार जहां बैठकर लगोंटियों संग बातें अधूरी हम छोड़ आए सुन खनखनाहट कनचों की,देख दौड़ते भागते बच्चों को, याद आता है वो लड़कपन भी जिसे गांव में ही सब छोड़ आए ©MOHAMMAD DANISH #गांव #मेराबचपन #window
#गांव #मेराबचपन #window #Life_experience
read moreAnkur Mishra..
वो भी क्या दिन हुआ करते थे जब हम भी बचपन में जिया करते थे, पिता के कंधे पर हम भी पूरा जहां घुमा करते थे, मां के हाथों का खाना अमृत सा हुआ करता था, भाई बहन का झगड़ा किसी प्यार से कम नहीं हुआ करता था, हम और चार दोस्त और उस आम के बगीचा में बिताया गया दिन क्या हुआ करते थे, मेरा भी बस एक तमन्ना हुआ करता था,लौट आए बचपन बस यही सोचा करता था। #बचपन की यादें# अंकुर मिश्रा।।। #मेराबचपन।।
मेराबचपन।।
read moreshweta singh
काश समय का पहिया घूम , फ़िर से वो बचपना जी लेती, मां की पल्लू पकड़ कर पीछे पीछे उनके दौड़ जाती,छोटी छोटी बातों पर रूठ जाती ,सबसे पहले तब रोटी मुझे वो खिलाती, पापा के नज़रों से डरी सहमी सी रहती,सुबह उठती तो मा की गोदी पाती, स्कूल ना जाने के बहाने बनाती, फ़िर भी वो मा के आंखों के डर, और उसके अंदरके प्यार से मुंह फुला कर चली ही जाती, सहेलियों के साथ मस्तियां करती, क्लास के बीच हमारी बातें होती, तब टीचर की डांट पड़ती, और हमें बाहर खड़े होने की सजा मिलती, पापा आते, मा भी आती, प्रिंसिपल से शिकायत होती,फ़िर भी हम मजे ही करते,भाई बहन से झगड़ा होता, रिमोट की खींचातानी हो या फ़िर एक पेंसिल की चोरी हो, जो जीत गया वो तो ख़ुश हो जाता, बाकी रो रो कर शिकायत की लाइन लगाते। वो भी क्या दिन थे, जब दादी के साथ कोहरे मे भी उनका झोला उठा कर बनारस के घाट पर जाते, गंगा मैया की पूजा कर के सदबुद्धी को पाते थे, ताई ताऊ, चाचा चाची और सभी भाई बहनों के साथ खुशियां गम सब हम तब एक साथ मनाते, गरमी की छुट्टियों में जब नानी घर को जाते सबसे बड़े भैया चाक और स्लेट पकड़ाते, ना चाहते हुए भी छुट्टी में भी पढ़ने को मिल जाता। मामा मौसी उनके बच्चों के साथ खूब खेल हम खेला करते, बुआ के गाव जाकर, बस, जीप की सवारी करते, वहां की सौंधी खुशबू में मिट्टी के घर बनाते, गुड़िया गुड्डा के खेल खेल कर पकवान खूब बनाते, आम, जामुन को ईंट मार कर खूब फल हम खाते, काश बचपन के सफ़र को एक बार फ़िर से जी लेते। #मेराबचपन
ShrimanTripathi
बचपन और जिम्मेदारी #मेराबचपन बिना खेल के बचपन बीता, चलने पर है भार उठाया,, ख़्वाबो का भंडार भरा था, कहाँ दब गए वो बेचारे,,, पढ़ने की एक उमर थी आयी तब से घर की पतवार सम्भाली,,,,, कुछ उमर बढ़ी कुछ ख़्वाब नए पिछले वाले सब चले गए,,,,,, ख्वाबों को सच करने को ले आया मैं बैग भरे,,,,,,,, हालातों के खंज़र राह में मेरी आ वो गड़े, ख़्वाब रह गए धरे के धरे....... #Merabachpan