Find the Best 7thpoem Shayari, Status, Quotes from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about
Prashant Kumar
वह एक गरीब परिवार था.... दुनिया को वह खुश तो नजर आता था, पर अंदर ही अंदर सिर्फ वही खुद को समझ पाता था। परिवार के लिए दो वक्त की रोटी तो ज़रूर कमाता था, पर इसके लिए वह इस कड़ी धूप से भी लड़ जाता था। पैरों में जख्म,दिलो में दर्द लिए, वह हर कामों को करता जाता था, फिर भी वह उस दो कौड़ी से, अपने परिवार को खुश रखना चाहता था। सुबह निकले कामों पर वो, शाम को हारे-थके घर आता था, फिर वही पैरों में जख्म..दिलों में दर्द, किसी को नजर नही आता था। दो पैसों को कमाने के लिए, वह पूरे दिन भूखे भी रह जाता था, वह उस गरीबी में भी, परिवार के सपनों को पूरा करना चाहता था। जब शाम को लौटे घर, वही मुस्कुराहट चेहरे पे दिखता था, वह एक गरीब था, फिर भी उसे कोई समझ नही पाता था। #7thpoem #poorpeople #prashant_kumar #pk_poetry
#7thpoem #poorpeople #prashant_kumar #pk_poetry
read moreRajat Agarwal (Melting Philosophy)
शीर्षक : अपनी शाम किसी और के नाम कर रहा हूँ , मैं तुझसे अब धीरे - धीरे दूर हो रहा हूँ । देखो ये जो शामें होती हैं ना, इनसे इश्कबाज़ लोगो को बहुत मोहब्बत होती है । तो उन्ही शामों के कुछ पलों को अपने ख़यालों में संजोकर मैंने ये कविता लिखी है । शीर्षक : अपनी शाम किसी और के नाम कर रहा हूँ , मैं तुझसे अब धीरे - धीरे दूर हो रहा हूँ । एक शाम वो भी थी जब मैं चाय बनाता था और सिसकिया तू लगाती थी , फिर तेरे लबों को अपने लबों से छूकर शाम की चाय हसीन हुआ करती थी । अब उन शाम की चाय को किसी और के नाम कर रहा हूँ ,
देखो ये जो शामें होती हैं ना, इनसे इश्कबाज़ लोगो को बहुत मोहब्बत होती है । तो उन्ही शामों के कुछ पलों को अपने ख़यालों में संजोकर मैंने ये कविता लिखी है । शीर्षक : अपनी शाम किसी और के नाम कर रहा हूँ , मैं तुझसे अब धीरे - धीरे दूर हो रहा हूँ । एक शाम वो भी थी जब मैं चाय बनाता था और सिसकिया तू लगाती थी , फिर तेरे लबों को अपने लबों से छूकर शाम की चाय हसीन हुआ करती थी । अब उन शाम की चाय को किसी और के नाम कर रहा हूँ , #broken_heart #poemsporn #Rajat #poemoftheday #7thpoem #rajatagrawal #melting_philosophy
read moreRajat Agarwal (Melting Philosophy)
#199 #7thpoem #rajat #rajatagarwal #meltingphilosophy देखो ये जो शामें होती हैं ना, इनसे इश्कबाज़ लोगो को बहुत मोहब्बत होती है । तो उन्ही शामों के कुछ पलों को अपने ख़यालों में संजोकर मैंने ये कविता लिखी है । शीर्षक : अपनी शाम किसी और के नाम कर रहा हूँ , मैं तुझसे अब धीरे - धीरे दूर हो रहा हूँ । एक शाम वो भी थी जब मैं चाय बनाता था और सिसकिया तू लगाती थी ,
199 #7thpoem #Rajat #rajatagarwal #meltingphilosophy देखो ये जो शामें होती हैं ना, इनसे इश्कबाज़ लोगो को बहुत मोहब्बत होती है । तो उन्ही शामों के कुछ पलों को अपने ख़यालों में संजोकर मैंने ये कविता लिखी है । शीर्षक : अपनी शाम किसी और के नाम कर रहा हूँ , मैं तुझसे अब धीरे - धीरे दूर हो रहा हूँ । एक शाम वो भी थी जब मैं चाय बनाता था और सिसकिया तू लगाती थी , #nojotophoto
read moreKaushal Jha
Bahut Marr liya teri yaad me, ab Mai jeena chahta hoon... Chor di thi jo cigarette tere kehne pe, bs ikk aakhiri dfa aur peena chahta hoon... #7thpoem #aakhiri dfa ,bs ek aur baar #new beginning #Happy bday to me #mere ankahe alfaaz#rnj
About Nojoto | Team Nojoto | Contact Us
Creator Monetization | Creator Academy | Get Famous & Awards | Leaderboard
Terms & Conditions | Privacy Policy | Purchase & Payment Policy Guidelines | DMCA Policy | Directory | Bug Bounty Program
© NJT Network Private Limited