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वंदना ....

गौरव दीक्षित(लव)

#भगवान_बचाए इन #तीनों से

#पुलिस_डॉक्टर_हसीनों से☺☺




G@ur@v #भगवान_बचाए इन #तीनों से

#पुलिस_डॉक्टर_हसीनों से☺☺

BABA

कविता#

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कुछ बोलो कुछ मत बोलो,
तोलो फिर बेझिझक बोलो।
कुछ देखो कुछ मत देखो,
पहले समझो फिर सेंको।
कुछ सोचो फिर चल पढ़ो,
रुको मत मंजिल तक बढ़ो।
राग, भय, द्वेष तीनों रिपुदायी,
रज,तम,सत तीनों सिखदाई।
भोर, दोपहर, शाम सुनाई,
बचपन,जवानी, बुढ़ापा समझाई।
रोटी कपड़ा और मकान,
जीवन में जरुरत-ए-शान।
यह दुनिया जिंदगी और मौत की दुकान,
यहां वहां आदमी से आदमी की पहचान।
रोज कल आज की आवाज,
उस जहाँ से इस जहां में आगाज़।
कौन किसका पराया जहाँ,
सांस रुकने से मतलब यहाँ।

बाबा कविता#

Kavi Narendra Gurjar

हिंदी पखवाड़े के अंतर्गत नेहरू युवा केंद्र द्वारा "काव्य-पाठ प्रतियोगिता" आयोजन --------------------- "रात का दर्द है दिन ये जाने को है मेरी दहलीज़ पर कोई आने को है शाम थोड़ी तस्सली ज़रा ओर कर एक जुगनू अभी जगमगाने को है" - शुभम् शर्मा युवा गीतकार, "मां ने हमें ज्ञान दिया

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 हिंदी पखवाड़े के अंतर्गत नेहरू युवा केंद्र द्वारा "काव्य-पाठ प्रतियोगिता" आयोजन
---------------------
"रात का दर्द है दिन ये जाने को है
मेरी दहलीज़ पर कोई आने को है
शाम थोड़ी तस्सली ज़रा ओर कर
एक जुगनू अभी जगमगाने को है"
- शुभम् शर्मा युवा गीतकार,
"मां ने हमें ज्ञान दिया

Deepak Raj

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मेरे संघर्ष की कहानी 

जीवन एक संघर्ष है (कहानी)

एक पिता अपनी बेटी के साथ उसके घर में रहता था। दोनों ही एक दूसरे को बहुत सम्मान व प्यार देते थे और बहुत मिलजुलकर साथ रहते थे। एक दिन बेटी अपने पिता से शिकायत करने लगी कि उसकी ज़िन्दगी बहुत ही उलझी हुई है। बेटी आगे कहने लगी “मैं जितना सुलझाने की कोशिश करती हूँ जीवन उतना ही और उलझ जाता है, पापा! सच में मैं बहुत थक गयी हूँ अपने जीवन से लड़ते-लड़ते। जैसे ही कोई एक समस्या खत्म होती है तो तुरंत दूसरी समस्या जीवन में दस्तक दे चुकी होती है। कब तक अपने आप से और इन समस्याओं से लड़ती रहूंगी।” बेटी की बातें सुनकर पिता को लगा वह काफी परेशान हो गई है।

सारी बातें ध्यान से सुनकर पिता ने कहा मेरे साथ रसोई में आओ। पिता कि आज्ञानुसार बेटी अपने पिता के साथ रसोई में खड़ी हो गई। उसके पिता ने कुछ कहे बिना तीन बर्तनों को पानी सहित अलग-अलग चुल्हों पर उबालने रख दिया। एक बर्तन में आलू, एक में अण्डे और एक में कॉफी के दाने डाल दिए और चुपचाप बिना कुछ कहे बैठ के बरतनों को देखने लगे।

20-30 मिनट पश्चात पिता ने चुल्हे बंद कर दिए। अलग-अलग प्लेट में आलू व अण्डे और एक कप में कॉफ़ी निकालकर रख दी। फिर अपनी बेटी की ओर मुड़कर पूछा – बेटी तुमने क्या देखा?
बेटी ने हंसकर जवाब दिया – आलू, अण्डे और कॉफ़ी।
पिता ने कहा – जरा नज़दीक से छूकर देखो फिर बताओ तुमने क्या देखा?
बेटी ने आलू को छूकर देखा तो महसूस किया कि वो बहुत ही नरम हो चुके थे।
पिता ने अपनी बात दोहराई और कहा – अब अंडे को छीलकर देखो।
बेटी ने वैसा ही किया और देखा अंडे अंदर से सख्त हो चुके थे।
अंत में पिता ने कॉफ़ी का कप पकड़ाते हुए कहा अब इसे पियो।
कॉफ़ी की इतनी अच्छी महक से उसके चेहरे पर मुस्कराहट आ गई और वह कॉफी पीने लगी।
फिर उसने बड़े उत्सुकता के साथ अपने पिता से पूछा – पापा इन सब चीज़ों का क्या मतलब है। आप मुझे क्या समझाना चाहते है?

बेटी की उत्सुकता को शांत करने के लिए पिता ने समझाया – आलू, अण्डे और कॉफ़ी तीनो एक ही अवस्था से गुजरे थे। तीनों को एक ही विधि से उबाला गया था। परन्तु जब इन चीज़ों को बाहर निकाला गया तो तीनों की प्रतिक्रिया अलग-अलग थी। जब हमने आलू को उबालने रखा था तो वह बहुत सख्त था परन्तु उबालने के बाद वो नरम हो गया। जब अण्डे को उबलने रखा था तब वह अन्दर से पानी की तरह तरल था परन्तु उबालते ही सख्त हो गया। उसी तरह जब कॉफ़ी के दानों को उबालने रखा तब वह सारे दाने अलग-अलग थे मगर उबालते ही सब आपस में घुल-मिल गए और पानी को भी अपने रंग में रंग दिया।

बेटी! ठीक इसी तरह जीवन में भी अलग-अलग परिस्थितियां आती रहती है। तब इंसान को खुद ही फैसला लेना होता है कि उसे किस परिस्थिति को कैसे सम्भालना है। कभी नरम होकर, तो कभी सख़्त होकर और कभी-कभी सब के साथ घुल-मिलकर।

दोस्तों, समस्या किसके पास नही होती? दुनिया में ऐसा कोई मनुष्य नही जो परेशानी का सामना ना कर रहा हो। हर समस्या हमें कुछ ना कुछ सिखाकर ही जाती है। परेशानियाँ हमें अनुभवी बनाती है। बस एक बात हमेशा याद रखे अगर जीवन में समस्या है तो उसका समाधान भी है। वो समाधान क्या है इसका पता आपको स्वयं लगाना होगा। समस्याओं से हार ना माने बल्कि जीवन की हर चुनौती का हँसकर सामना करे और खुद के मनोबल को मजबूत बनाएं। समस्या से भागना या कतराना एक कमजोर व्यक्ति की पहचान है।

सचिन_यदुवंशी_शायर

पहले नजरें उठायी

फिर जुल्फों को सवांरा,

     फ़िर मुस्करा दिए,

तीनों के तीनों खंजर ज़ालिम ने
मुझ पर एक साथ चला दिए! #nojotohindi #nojoto #love #brokenlove

Satya Prakash Upadhyay

आखिरी फैसला किसी भी फैसले को लेने के पीछे बहुत सारे कारण होते हैं। इन कारणों को मुख्य तौर से हम तीन भागों में विभाजित कर सकते हैं । देश ,काल और परिस्थिति ये तीनों के संयोग से हीं कोई भी व्येक्ति किसी फैसले पर पहुँच पाता है। देश का मतलब हुआ स्थान विशेष आप कहाँ हो उस फैसले को लेते वक्त, काल का मतलब समय कैसा है?और परिस्थिति कैसी है? जब-जब इन तीनों के संतुलन में बदलाव आता है, मनुष्य हीं नहीं प्राणी विशेष का फैसला बदलता जाता है,चाहे पौधों का रुख सूरज की तरफ मुड़ने का फैसला हो या जानवरों का अपने जीवन की रक्षा के लिए लिया गया फैसला हो।बस इंसान हीं है जो अपने अहंकार और अभिमान में चूर हो आख़िरी फैसला लेने का दम्भ भरता है,और परिस्थितियों के बदलाव के साथ नरम पड़ता चला जाता है। 
 आखिरी फैसला कहने को तो आखिरी होता है,पर इसमे भी बदलाव की एक गुंजाइश छुपी होती है। #akhiri

Bk Arnika

🌹🌹 कहानी तीन बेस्ट दोस्तों की 😌😌😌 ज्ञान , धन और विश्वास तीनों बहुत अच्छे दोस्त भी थे तीनों में बहुत प्यार #Quote #nojotophoto

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 🌹🌹 कहानी तीन बेस्ट दोस्तों की
                 😌😌😌
                 ज्ञान  ,  धन   
                      और
                    विश्वास
            तीनों बहुत अच्छे दोस्त  
                      भी थे
               तीनों में बहुत प्यार

Raushan Kumar Gahalaut

-आजादी- वहाँ वे तीनों मिले धर्मराज ने कहा पहले से दूर हटो — तुम्हारी देह से बू आती है सड़े मैले की उसने उठाया झाड़ू मुँह पर दे मारा । #OpenPoetry

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#OpenPoetry -आजादी-
वहाँ वे तीनों मिले
धर्मराज ने कहा पहले से
दूर हटो —
तुम्हारी देह से बू आती है
सड़े मैले की
उसने उठाया झाड़ू
मुँह पर दे मारा ।
वहाँ वे तीनों मिले
धर्मराज ने कहा दूसरे से
दूर बैठो —
तुम्हारे हाथों से बू आती है
कच्चे चमड़े की
उसने निकाला चमरौधा
सिर पर दे मारा
वहाँ वे तीनों मिले
धर्मराज ने कहा तीसरे से नीचे बैठो —
तुम्हारे बाप-दादे
हमारे पुस्तैनी बेगार थे
उसने उठाई लाठी
पीठ को नाप दिया
अरे पाखण्डी तो मर गया !
तीनों ने पकड़ी टाँग
धरती पर पटक दिया
खिलखिलाकर हँसे तीनों
कौली भर मिले
अब वे आज़ाद थे।
——————————–
कवि- मलखान सिंह जी 
आज हमारे बीच नही रहे उनको भावभीनी श्रद्धांजलि💐 #NojotoQuote -आजादी-
वहाँ वे तीनों मिले
धर्मराज ने कहा पहले से
दूर हटो —
तुम्हारी देह से बू आती है
सड़े मैले की
उसने उठाया झाड़ू
मुँह पर दे मारा ।

कवि मनीष

कहता है गर्व से ये तिरंगा हमारा, ये तीनों रंग है मेरे तेरे खुशहाली का किनारा, ये तीनों रंग हैं मेरे मज़हबों का संगम, ये मेरे रंग हीं बनातें हैं तस्वीर हमारे वतन का न्यारा #कविमनीष

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 कहता है गर्व से ये तिरंगा हमारा,
ये तीनों रंग है मेरे तेरे खुशहाली का किनारा,
ये तीनों रंग हैं मेरे मज़हबों का संगम,
ये मेरे रंग हीं बनातें हैं तस्वीर हमारे वतन का न्यारा
#कविमनीष
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