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S Ujjwa Raj Yadav
यों लड़की याद आ रही है मेरी पहली मोहब्बत याद आ रही है हर घड़ी बितया हुआ पल अब याद आ रही है अब वो खुश उसके बाहों फिर भी मुझे खुशी आ रही है जो हमने सोचे थे बच्चों के नाम अब यों कहीं गुज रही है उसके साथ बिताया हर पल मैं खुशी झूम रहा हूँ उसके माथे की लाली देख कर मन में कुछ भाव पाल रहा हूँ ह उस पगली अब भी याद करके चुप चाप अकेले में रो रहा हूँ न समझी मेरी मोहब्बत फिर भी उसे मोहब्बत कर रहा हूँ ह उस पगली की यादों अकेले जिंदगी काट रहा हूँ यों खुश रहे उसके बाहों यही रब से दुआ कर रहा हूँ ह उसे याद कर अब मैं रो रहा हूँ ©S Ujjwa Raj Yadav #यों #लड़की #याद् #अधुराइश्क #प्यार #FadingAway
#यों #लड़की #याद् #अधुराइश्क #प्यार #FadingAway #कविता
read moreRajesh vyas kavi
यों ही चलेंगे हम साथ। हाथों में होगा हाथ। न हो शिकवा शिकायत, समझेंगे एक दूजे के जज्बात।। ©Rajesh vyas #यों #हीं #चलेंगे #साथ #nojoto❤ #nojotohindi #Vo_mulakatein
#यों #हीं #चलेंगे #साथ nojoto❤ #nojotohindi #Vo_mulakatein #विचार
read moreKiran Bala
ज़िन्दगी का सफर जन्म से मृत्यु पर्यन्त बस चलता है आदमी खुशियों को खोजने बस दौड़ता है आदमी कभी लिये मकसद तो कभी यों बेमकसद झूझता है दिनभर वो खोजता है नयी डगर भुला इस सत्य को चलता चले वो बेखबर नहीं होता खत्म कभी ज़िन्दगी का सफर क्यों मृगतृष्णा के पीछे यों दौड़ता है आदमी भीतर का आनंद बाहर खोजता है आदमी #Life #nojoto #nojotohindi #truth #कविता #शायरी #विचार #tst #kiranbala
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read moreसत्यवीर हसनपुरिया
रे मनुष्य - तू जब नही अमर फिर किस बात का डर जो बना तू कायर ! जब प्रतिहिंसा हो अपावन तब तेरा कदम कौन सा... होगा पावन ! क्या दिखायेगा प्रीति का बल या लगाएगा बुद्धि का बल जो समर्पण करेगा तेरे आगे खल ? अपना युद्ध की नीति साथ ही याद रख समाज की रीति कर दुष्ट से भी प्रीति तभी होगा सत्य का तोल यों ही मिलेगा मानवता का मोल..!! पथ चूमेगा तेरा तस्कर नही होगा तू कातर नही बनेगा तू कायर यों हो जाएगा तू अमर
Nojoto Hindi (नोजोटो हिंदी)
कुँअर बेचैन की कलम से प्रस्तुत है- अब आग के लिबास को ज़्यादा न दाबिए, सुलगी हुई कपास को ज़्यादा न दाबिए । ऐसा न हो कि उँगलियाँ घायल पड़ी मिलें, चटके हुए गिलास को ज़्यादा न दाबिए । चुभकर कहीं बना ही न दे घाव पाँव में, पैरों तले की घास को ज़्यादा न दाबिए । मुमकिन है ख़ून आपके दामन पे जा लगे,
कुँअर बेचैन की कलम से प्रस्तुत है- अब आग के लिबास को ज़्यादा न दाबिए, सुलगी हुई कपास को ज़्यादा न दाबिए । ऐसा न हो कि उँगलियाँ घायल पड़ी मिलें, चटके हुए गिलास को ज़्यादा न दाबिए । चुभकर कहीं बना ही न दे घाव पाँव में, पैरों तले की घास को ज़्यादा न दाबिए । मुमकिन है ख़ून आपके दामन पे जा लगे, #Kalamse
read morePrabodh Prateek
विचार लो कि मर्त्य हो न मृत्यु से डरो कभी, मरो परन्तु यों मरो कि याद जो करे सभी। हुई न यों सु-मृत्यु तो वृथा मरे, वृथा जिए, मरा नहीं वहीं कि जो जिया न आपके लिए। वही पशु-प्रवृत्ति है कि आप आप ही चरे, वही मनुष्य है कि जो मनुष्य के लिए जिये। विचार लो कि मर्त्य हो न मृत्यु से डरो कभी, मरो परन्तु यों मरो कि याद जो करे सभी। हुई न यों सु-मृत्यु तो वृथा मरे, वृथा जिए, मरा नहीं वहीं कि जो जिया न आपके लिए। वही पशु-प्रवृत्ति है कि आप आप ही चरे, वही मनुष्य है कि जो मनुष्य के लिए जिये।
विचार लो कि मर्त्य हो न मृत्यु से डरो कभी, मरो परन्तु यों मरो कि याद जो करे सभी। हुई न यों सु-मृत्यु तो वृथा मरे, वृथा जिए, मरा नहीं वहीं कि जो जिया न आपके लिए। वही पशु-प्रवृत्ति है कि आप आप ही चरे, वही मनुष्य है कि जो मनुष्य के लिए जिये।
read morePrabodh Prateek
विचार लो कि मर्त्य हो न मृत्यु से डरो कभी, मरो परन्तु यों मरो कि याद जो करे सभी। हुई न यों सु-मृत्यु तो वृथा मरे, वृथा जिए, मरा नहीं वहीं कि जो जिया न आपके लिए। वही पशु-प्रवृत्ति है कि आप आप ही चरे, वही मनुष्य है कि जो मनुष्य विचार लो कि मर्त्य हो न मृत्यु से डरो कभी, मरो परन्तु यों मरो कि याद जो करे सभी। हुई न यों सु-मृत्यु तो वृथा मरे, वृथा जिए, मरा नहीं वहीं कि जो जिया न आपके लिए। वही पशु-प्रवृत्ति है कि आप आप ही चरे, वही मनुष्य है कि जो मनुष्य
विचार लो कि मर्त्य हो न मृत्यु से डरो कभी, मरो परन्तु यों मरो कि याद जो करे सभी। हुई न यों सु-मृत्यु तो वृथा मरे, वृथा जिए, मरा नहीं वहीं कि जो जिया न आपके लिए। वही पशु-प्रवृत्ति है कि आप आप ही चरे, वही मनुष्य है कि जो मनुष्य
read moreVinay Kaushik
मैंने तुम्हें कुछ यूँ थामा है ... मैंने तुम्हें यों थाम है जैसे डोर कोई रिश्तो की हो डोर पतंग की लगती जैसे मेहनत फरिश्तों की हो यों जुड़ा है तू मुझ से लेकिन जैसे सांस मेरी किश्तों की हो मैंने तुम्हें यों थामा जैसे डोर कोई रिश्तों की हो #vkaushik #myfirstpost
Aman Rajpurohit
"एक बात आनी-जानी हो गई" 🌹🌹🌹🌹🌹 एक बात आनी-जानी हो गई, खार जो ❤️ दिल पर बो गई। एक तकरार से महज, अजल दुश्मन 'यों' बन गई। आगोश तेरा, मेरा आशियाना था, महज अब अबस अरमान रह गई। तारीक में, मेरी ताबिश थी, नादान, नादिर "परी" 'यों' साहिल बन गई। 'यों' दुश्वारियों से मुंह छिपाता, मानो इब्न क़िस्मत सो गई। अब्र, 🌒 चांद लुका-छिपी खेल, खुशहाल जवानी 'यों' गई। अंततः हिजाब निकला मस्ति में, 'अमन' आलम 'लों' गई। अमन राजपुरोहित ✍️✍️✍️ #NojotoQuote एक बात आनी जानी हो गई
एक बात आनी जानी हो गई
read moreAnil Siwach
|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 9 || श्री हरि: || 11 - जिज्ञासु 'प्रकृति भी भूल करती है।' अपने आप डाक्टर हडसन कह रहे थे। उन्होंने साबुन से हाथ धोये और आपरेशन-ड्रेस बदलने लगे। 'जड़ नहीं जड़ तो कभी भूल नहीं करता। उसमें भूल करने की योग्यता ही कहां होती है। मशीन तो निश्चित ही कार्य करेगी।' आज जिस शव का डाक्टर ने आपरेशन किया था, उसने एक नयी समस्या खड़ी कर दी। बात यह थी कि जिस किसी का भी वह शव हो इतना तो निश्चित ही था कि उसने अपनी लगभग साठ वर्ष की आयु पूर्ण की है और उसका शरीर सिद्ध करता है कि
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