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Stories related to पीढ़ा

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Ajay Chaurasiya

#मन की पीढ़ा #मराठीशायरी

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White कौन समझ पाया है पीढ़ा मन की,
चहरे की मुस्कान से ?

©Ajay Chaurasiya #मन की पीढ़ा

Ajay Chaurasiya

#मन की पीढ़ा #कविता

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समंदर है गहरा जितना,
बाहर से है शांत उतना,
दर्द भी है गहरे इतने,
अधर रहते है मौन उतने,
आंखों से देखी नहीं जाती,
मन की उदासियां हमारी,
तुम कहते हो हस्ते बोहोत हो,
तुमने नहीं पता पीढ़ा हमारी,
खुश रहते है, रखते है सबको,
बस यूं ही कट रही उम्र हमारी.....

©Ajay Chaurasiya #मन की पीढ़ा

Anamika

   हां उत्तम लिखा जा सकता है
ह्दय चुभने में , विश्वास डगमगाने से,
   वियोग में , अघटित होने से
       या अधिक प्रेम से...

 जब हमारी भावनाएं उमड़ जाती है
 तो वेग को निर्णय लेना उचित होगा,
    मुझको डर है , कहीं तूलिका में
          बदलाव न हो बैठे...

  या यूं कहिए, त्रासदी कम हो जाए
        अगली पीढा़ के लिए,
   कि कभी कुछ महसूस ही नहीं हो..


   
         

    #पीढ़ा#अवसाद
#प्रेम #तूलिका#विश्वास
#yqsadquote 
#yqlifequote 
#tulikagarg

Dr.Ras Bihari Trivedi

आत्मा रक्षितो धर्मः। परहित सरिस धरम नहीं भाई, पर पीढ़ा सो नहीं अधमाई।

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Religion धार्यती इति धर्मः आत्मा रक्षितो धर्मः।
परहित सरिस धरम नहीं भाई,
पर पीढ़ा सो नहीं अधमाई।

Gopal Pandit

गर्मी में दोपहर बाइक राइड करना बहुत पीढ़ा दायक होता है #गोपाल_पंडित #dear_ज़िंदगी #बेवफ़ा_ज़िंदगी #शायरी #gopal_pandit Love #Life Shayari

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विवेक त्रिवेदी

बचपन गया जवानी आई , वृद्धा ने पीढ़ा पहुचाई। रितुए गई दिन राते बदली, गौरवर्ण, अधरों की लाली बदली । पर तू है सच्ची साथी मेरी , मैं काया तू छा #Quote #inpiration

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बचपन गया जवानी आई ,
वृद्धा ने पीढ़ा पहुचाई।
रितुए गई  दिन राते बदली,
गौरवर्ण, अधरों की लाली बदली ।
पर तू है सच्ची साथी मेरी ,
मैं काया तू छाया मेरी।
,सौंदर्य लालिमा कांति गई मेरे तन से 
ईर्ष्या तू न गई मेरे मन से ।
 बचपन गया जवानी आई ,
वृद्धा ने पीढ़ा पहुचाई।
रितुए गई  दिन राते बदली,
गौरवर्ण, अधरों की लाली बदली ।
पर तू है सच्ची साथी मेरी ,
मैं काया तू छा

Prerit Modi सफ़र

नदी बचाओ जीवन बचाओ एक नदी अपनी पीढ़ा व्यक्त करती हुई मेरे शब्दो में... बिन मांगे मैने सब कूछ दिया अब मांग रही तुमसे कूछ मुझ को सूखने से बच #Sadhguru #yqbaba #pani #nadi #RallyForRivers #yadidi #IshaFoundation

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बिन मांगे मैने सब कूछ दिया
अब मांग रही तुमसे कूछ 
मुझ को सूखने से बचा लो
नही तो इस जहां मे रहेगा ना कूछ
मैं नदी सदियों से बहती निरंतर रहती हूं 
अब कलयुग के इस डगर मैं सूख सी जैसे रही हूं
सदियों से मैने अनगिनत लोगो की प्यास भुजाई है
हे! मानव रहम कर अब मैं भुजी तो कौन मुझे बचायेगा
कितनो को मोक्ष दिया है
कितनो का मैल पिया है
कितनी ठोकरे खाईं है
कितने युग देखे है
मै नदी....
हे! मानव अब जाग
मै नही होंगी तो ना होगा जीवन इस धरती पे
ना होगी बारिश ना होगा जंगल
सूख जाऊंगी मै तो सूख जायेंगे सब
मै नदी.... नदी बचाओ जीवन बचाओ
एक नदी अपनी पीढ़ा व्यक्त करती हुई
मेरे शब्दो में...

बिन मांगे मैने सब कूछ दिया
अब मांग रही तुमसे कूछ 
मुझ को सूखने से बच

amar gupta

झुलस के आग में दोनों ही जल जाते, काश के दो तारे नभ के, यूं टकराते। सर्द हवाओं के बंधन में आग के गोले, भेट करे कैसे तुमसे, कैसे कुछ बोले? दू #Hindi #yqbaba #yqdidi #blackhole #bestyqhindiquotes #starscolliding #कृष्णविवर

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कृष्ण विवर बन के कर देते समय को त्राहि
अंतर्ध्यान न कर पाए अंबर की छाती
विरह में जल के एक दिवस हैं टूटना हमको
भौतिकता के विवरण के न होंगे दासी।

अल्हड़ से बादल भी हमको रोक न पाते,
काश के दो तारे नभ के, यूं टकराते।

(कैप्शन में आगे पढ़े...) झुलस के आग में दोनों ही जल जाते,
काश के दो तारे नभ के, यूं टकराते।

सर्द हवाओं के बंधन में आग के गोले,
भेट करे कैसे तुमसे, कैसे कुछ बोले?
दू

Shruti Gupta

झुलस के आग में दोनों ही जल जाते, काश के दो तारे नभ के, यूं टकराते। सर्द हवाओं के बंधन में आग के गोले, भेट करे कैसे तुमसे, कैसे कुछ बोले? दू #Hindi #yqbaba #yqdidi #blackhole #bestyqhindiquotes #starscolliding #कृष्णविवर

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कृष्ण विवर बन के कर देते समय को त्राहि
अंतर्ध्यान न कर पाए अंबर की छाती
विरह में जल के एक दिवस हैं टूटना हमको
भौतिकता के विवरण के न होंगे दासी।

अल्हड़ से बादल भी हमको रोक न पाते,
काश के दो तारे नभ के, यूं टकराते।

(कैप्शन में आगे पढ़े...) झुलस के आग में दोनों ही जल जाते,
काश के दो तारे नभ के, यूं टकराते।

सर्द हवाओं के बंधन में आग के गोले,
भेट करे कैसे तुमसे, कैसे कुछ बोले?
दू
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