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KDS KDS

भोर #कविता

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भोर

भोर भई चहुं ओर।
चिङिया करे शोर।।
बोले पपैया व मोर।
कोयल बोले जोर।।
सूरज की लाली,
चाय की प्याली,
चल उठ हो तैयार

©KDS KDS  भोर

Anuj thakur "बेख़बर"

भोर #शायरी

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जीत मिल जाए पर बुरे दौर में कौन "खड़ा" होता है! 
दुनिया में बड़े दिल वाला हकीकत में "बड़ा" होता है!! 
कायनात में सदियों से एक जैसी रही है दिन-रैन... 
 अंधेरे में उठने वाले का दिन हमेशा बड़ा होता है!! 
                     बेखबर

©Anuj thakur "बेख़बर" भोर

संजय श्रीवास्तव

भोर

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भोर
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है तिमिर घना दोस्त पर तुम न उदास हो 
छंट रहा शनै शनै शायद अब उजास हो 

खिल उठेगी कली कली भोर के किरण से 
नव उमंग दिल में लिये अंतस में उल्लास हो 

धूप ने धरती को अपने आगोश में  ले लिया
लहलहाती फसलों से स्वर्णिम सा आभास हो 

मंद मंद शीतल पवन क्यूँ बार बार है छेड़ती 
बंद पलकों में छुपा कोई अनछुआ इतिहास हो 

ग्रीष्म ऋतु में स्वेद से हो गये हैं अब तरबतर 
भोर उतरी है जमीं पर यूँ रूमानी अहसास हो 

संजय श्रीवास्तव भोर

रिपुदमन झा 'पिनाकी'

वन उपवन खिलने लगे, हँसी सुघड़ ये भोर।
पँछी के कलरव करे, कोलाहल हर ओर।।

प्राणवायु बहने लगी, मंद मंद मुस्काए।
पुष्प वल्लरी की महक, तन मन को महकाए।।

हल काँधे पर डालकर, कृषि को चला किसान।
मधुर गले से छेड़ती, कोयल मीठी तान।।

बछड़े गउएं मेमने, करते मधुर पुकार।
सुरमयी से सजने लगे, ये सुंदर संसार।।

मन को मोहे दृश्य यह, सुख पावे दोउ नैन।
प्रकृति की शोभा बढ़ा, मिलते हैं दिन रैन।।

रिपुदमन झा 'पिनाकी'
धनबाद (झारखण्ड)
स्वरचित एवं मौलिक

©Ripudaman Jha Pinaki #भोर

Unknown

भोर

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भिनसहरे भोरे  दुआरे  बोल गयल मैना
आपन बोली में  रसवा घोल गयल मैना

अधजल  गगरी  अस छलक गयल नैना
इयादन के फूलवारी बैरी बन गयल बैना

सपनवा हेरत बचपन के बीत गयल रैना
नयनवा से लोर  गिरल चटक गयल ऐना

 भोर

_itni _si _baat _hai _vandana Upadhyay

भोर.... #कविता

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Harsh Pal

भोर #कविता

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छटा अब रात का अंधेरा, 
दूर हटा तारो़ का पहरा। 
सोन कलश अरुण ने बिखेरा, 
हर दिशा में डाले घेरा। 
किरन-किरन सूरज ने बिखराई 
जीवन को नवजीवन करने भोर आई।

©Harsh Pal भोर

Shivam Asaiya

मिलेंगे क्षितिज 
के उस पार 
राह देखूंगा तेरी 
तू शांत -मैं शोर हूँ 
तू सांझ-मैं भोर हूं
             Shivam #भोर

#Mishra_says

#भोर

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माना कि ये दिन ढलता है,
फिर तमस का दौर चलता है,
पर मिटाने हर अंधेरे को,
वो अफताब भी रोज़ निकलता है। #भोर

Himanshu Soni

#भोर

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जीव जंतु सर्वत्र चेतन्य हुए,
आभा प्रसारित हुई चहु ओर,
मिट गया वर्चस्व अंधकार का,
क्षितिज पर मोहक हुई भोर। #भोर
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