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pramod malakar
अबकी बार 400 पार फिर से मोदी सरकार ©pramod malakar #अबकी बार 400 पार
sunita sonawrites
अबकी दीवाली की सफाई में भी बहुतों को अपनी मोहब्बत याद आई होगी! किसी की आंख, एक फोटोफ्रेम पर छलकी होगी तो किसी की धड़कने , डायरी के बीच दबे गुलाब से गुनगुनाई होंगी किसी के हाथ , महक उठे होंगे जनाब जब किसी के दिये गुलदस्ते से उंगलियां टकराई होंगी जाने अनजाने में अबकी दीवाली में भी, बहुतों को अपनी मोहब्बत याद आई होगी! ©sunita sona #अबकी दीवाली में भी#
Krishna Nand Vishwakarma
अबकी होली में मैं तोहे ऐसा रंग लगा जाऊं, तूं मेरी राधिका हो जाए मैं तेरा कन्हैया बन जाऊं। सब भांग के रस में डूबे हों मैं प्रेम ताल में तर जाऊं, तूं मेरी राधिका हो जाए मैं तेरा कन्हैया बन जाऊं। सब प्रेम मगन हो नाच उठें कोई राग मैं ऐसा दे जाऊं, तूं बंसी की धुन हो जाए मैं मन को निधि वन कर जाऊं। तूं मेरी राधिका हो जाए मैं तेरा कन्हैया बन जाऊं। ये रंग बिरंगी होली मैं तेरे संग मना पाऊं, तूं घर से बाहर आ जाए मैं भेष बदल कर आ जाऊं। तूं मेरी राधिका हो जाए मैं तेरा कन्हैया बन जाऊं। हो ऐसी रंगो की बारिश ये कलुषित मन सब धुल जाए, तूं प्रेम माधुरी हो जाए मैं दोहा रहीम का बन जाऊं, तूं मेरी राधिका हो जाए मैं तेरा कन्हैया बन जाऊं। #अबकी होली 😀😀😊😊 दोस्तो आप सभी को होली की हार्दिक शुभकामनाएं, ये कविता आपको कैसी लगी जरूर बताएं।
Prashant Kumar
राष्ट्रहित का गला घोंट कर छेद न करना थाली में मिट्टी वाले दीये जलाना अबकी बार दीवाली में। देश के धन को देश में रखना, नहीं बहाना नाली में मिट्टी वाले दीये जलाना अबकी बार दीवाली में। बने जो अपनी मिट्टी से,वो दीये बिके बाजारों में, छिपी है वैज्ञानिकता अपने सभी तीज-त्योहारों में। चायनीज झालर से आकर्षित कीट पतंगे आते हैं, जबकि दीये में जलकर बरसाती कीड़े मर जाते हैं। कार्तिक और अमावस वाली,रात न सबकी काली हो दीये बनाने वालों की अब खुशियों भरी दीवाली हो। अपने देश का पैसा जाए, अपने भाई की झोली में गया जो पैसा दुश्मन देश,तो लगेगा राइफल की गोली में। देश की सीमा रहे सुरक्षित चूक न हो रखवाली में। मिट्टी वाले दीये जलाना अबकी बार दीवाली में। #मिट्टी #के #दिये #जलाना #अबकी #बार #दीवाली #में
Himanshu Soni
#अबकी मिलो तो ऐसे मिलना जैसे सागर में सरिता, साथ चलो तो ऐसे जेसे साथ चलते हैं किनारें..... थामो अगर हाथ मेरा तो ऐसे जैसे अमरबेल टहनियों को.... घुल जाना मुझमें वैसे,जैसे शकर चाय में..... हम मिलेंगे,थाम कर हाथ एक दूसरे का चलेंगे, धरा के उस आख़िरी सिरे तक,जहां धरती आसमान दिखाई देते है एक....दूर होकर भी #दिल_की_बात
Rahul tiwari
अबकी बार संवारेंगे खु़द को ऐसे.. अबकी बार संवारेंगे खुद को,ऎसे.. कि रो देंगे मुझको ठुकराने वाले..!
Sunita Arora
शायद पा लेते बहुत कुछ, रख लेते कदम अगर चंlद पर! उन आंखों की नमी ने बताया खेल रहा है चंlद कुछ वक्त के लिए, चहता है देखना हौसला हमारा, सब्र हमारा,और मुस्कान जो मिलती है पानी पीने पर, बहुत दिनो से प्यासे को!! घबरा गया है चंदा, हकिकत वैसी ना लगे तो तो क्या करेगा! सदियों से देख,सुन रहा है, चाँद सा रोशन चेहरा!! चलो मुस्कुरा लेने दो, हंस लेने दो, दौड़ने दो,कहां जाएगा बचपन का मामा है यौवन का प्यार साथ रहने वाले इसके सितारे तो रहे ही है हमारे अपने! खोज ही लेंगें इस तक पहुंचने का रास्ता शायद पा लेते बहुत कुछ, रख लेते कदम अगर चंlद पर! उन आंखों की नमी ने बताया खेल रहा है चंlद कुछ वक्त के लिए, चहता है देखना हौसला हमारा, सब्र हमारा,और मुस्कान जो मिलती है पानी पीने पर, बहुत दिनो से प्यासे को!! घबरा गया है चंदा, हकिकत वैसी ना लगे तो तो क्या करेगा! सदियों से देख,सुन रहा है, चाँद सा रोशन चेहरा!! चलो मुस्कुरा लेने दो, हंस लेने दो, दौड़ने दो,कहां जाएगा बचपन का मामा है यौवन का प्यार साथ रहने वाले इसके सितारे तो रहे ही है हमारे अपने! खोज ही लेंगें इस तक पहुंचने का रास्ता है इससे तो हमारा छुटपन से वास्ता!! पोछ लगे अश्रु ,फिर उठेगे,फिर चलेंगे और अबकी हक ही जमा लेंगे अपना चाँद पर!! है इससे तो हमारा छुटपन से वास्ता!! पोछ लगे अश्रु ,फिर उठेगे,फिर चलेंगे और अबकी हक ही जमा लेंगे अपना चाँद पर!!
Amitesh S. Anand
कभी बादल ने प्यास लगाई थी अबकी बादल ने प्यास बुझाई है जबसे कबसे सूखे थे बादल कि सावन में भी थी अगन यूँ झूम-झूम कर बरसे मेघ, कि सिहर.... शीत को चढ आई है । कभी बादल ने प्यास लगाई थी अबकी बादल ने प्यास बुझाई है गुथे जो गुच्छे थे मेघों के उड़ते-फिरते थे हलकी हवाओं से सब गाद-गंदल बनकर बह गये, जिसमें रेत होती उर्वर मिट्टी हरसाई है । कभी बादल ने प्यास लगाई थी अबकी बादल ने प्यास बुझाई है चारों ओर बहाव और अवरोध कि बदन हड्डी रूह तक जैसे नहाई है, शेष पीछे धुंधली होती यादों की परछाई है । कभी बादल ने प्यास लगाई थी अबकी बादल ने प्यास बुझाई है ।
Shubham Dutt
#OpenPoetry अबकी बारी लाल चौक पर तिरंगा लहराएगा काश्मीर भी अबकी बारी भारत के गुण गाएगा जहां थे पत्थर फेके जाते सेनाओ की वर्दी पर अबकी बारी वहां तिरंगा आसमान छू जाएगा आजादी के नाम पर जहां तिरंगा अपमानित था भारत माता की जय कहना एक जूर्म के काबिज था जहां तिरंगे लहराते थे पाक पड़ोसी मुल्कों के अबकी बारी भारत का यशगान वहां हो जाएगा अबकी बारी कायरता की तो इतिहास बदल देंगे लाहौर से कराची तक सब भूगोल बदल देंगे अभी तो हमने काश्मीर से 370 हटवाई अगली बारी पी.ओ.के भारत में शामिल करलेंगे #OpenPoetrयह हर हिन्दुस्तानी के दिल की आवाज़ है।
#OpenPoetrयह हर हिन्दुस्तानी के दिल की आवाज़ है। #OpenPoetry
read moreDev Bhati
अबकी बार आजादी का उत्सव कई गुना होने वाला है। क्योंकि अबकी बार जम्मू कश्मीर के चप्पे-चप्पे पर तिरंगा लहराने वाला है।। चप्पे-चप्पे पर तिरंगा:::
चप्पे-चप्पे पर तिरंगा::: #विचार
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