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Dr Manju Juneja
उलझन इस बात की है कि ,चाँद, तू आसमाँ पर नजर आता है तारो के साथ तू झिलमिलाता है कभी घटता है, कभी बढ़ता है पूर्णमासी को तू ,पूरा नजर आता है अमावस की रात को तो, ढक लेती है, अमावस की रात तुझे तेरा नामोनिशां मिट जाता है कभी अठखेलिया करता है ,तू बदलो संग कभी छुपता है बदलो की ओट में ,तो कभी बाहर निकल आता है हा !मुझे मालूम है तू चाँद है, सबको लुभाता है कभी रात झांकता है ,पेड़ो से खिड़की के अंदर तेरी चाँदनी से ,कमरा जगमगाता है हमे भी ख़बर है ,तू हमे ज्ञान का पाठ पढ़ाता है सिखाता है ,कि सब दिन ,एक समान नही होते इसलिए तू घटता है कभी, कभी बड़ जाता है ©Dr Manju Juneja #चाँद #कभी #घटताहै #बदलो #ओट #छुपता #अठखेलिया #उलझन #इसबात #AdhureVakya
Dharmender Bisht
इल्ज़ामात है तुझ पर बेवफाई के ये हमे भी पता था, पर तेरे इश्क़ की ओट में उन्हें ठहराते हम बेकार रहे । कुछ पलो के लिए दूर गई थी ना तू कहकर और तेरे आने का हम पल–पल करते इंतज़ार रहे। मर्ज–ए–रूहानी का हकीम कहा था ना हमने तुझे तो सुन तेरी यादों के साए तले हम हर पल बीमार रहे।। ✍️धर्मेंद्र बिष्ट #इल्ज़ामात है तुझ पर #बेवफाई के ये हमे भी पता था, पर तेरे #इश्क़ की #ओट में उन्हें #ठहराते हम #बेकार रहे । कुछ #पलो के लिए #दूर गई थी ना तू कहकर और तेरे आने का हम #पल–#पल करते #इंतज़ार रहे। #मर्ज–ए–#रूहानी का #हकीम कहा था ना हमने तुझे तो सुन तेरी #यादों के #साए तले हम हर पल #बीमार रहे।।
#इल्ज़ामात है तुझ पर #बेवफाई के ये हमे भी पता था, पर तेरे #इश्क़ की #ओट में उन्हें #ठहराते हम #बेकार रहे । कुछ #पलो के लिए #दूर गई थी ना तू कहकर और तेरे आने का हम #पल–#पल करते #इंतज़ार रहे। मर्ज–ए–#रूहानी का #हकीम कहा था ना हमने तुझे तो सुन तेरी #यादों के #साए तले हम हर पल #बीमार रहे।। #पल–
read moreVandna Sharma
दूर फ़लक के मैं तुझको तकता हूँ, अपना ही अक्स झिलमिलाता है तुझमें कहीं, इस ओट निहारूँ, कि उस ओट निहारूँ, तू चाँद है मेरा, मैं तेरा नूर हूँ... (वंदना शर्मा) # दूर फलक के मैं
# दूर फलक के मैं
read more@Devidkurre
किसकी है जनवरी, किसका अगस्त है? कौन यहां सुखी है, कौन यहां मस्त है? सेठ है, शोषक है, नामी गला-काटू है गालियां भी सुनता है, भारी थूक-चाटू है चोर है, डाकू है, झूठा-मक्कार है कातिल है, छलिया है, लुच्चा-लबार है जैसे भी टिकट मिला, जहां भी टिकट मिला शासन के घोड़े पर वह भी सवार है उसी की जनवरी छब्बीस उसीका पन्द्रह अगस्त है बाकी सब दुखी है, बाकी सब पस्त है कौन है खिला-खिला, बुझा-बुझा कौन है कौन है बुलंद आज, कौन आज मस्त है खिला-खिला सेठ है, श्रमिक है बुझा-बुझा मालिक बुलंद है, कुली-मजूर पस्त है सेठ यहां सुखी है, सेठ यहां मस्त है उसकी है जनवरी, उसी का अगस्त है पटना है, दिल्ली है, वहीं सब जुगाड़ है मेला है, ठेला है, भारी भीड़-भाड़ है फ्रिज है, सोफा है, बिजली का झाड़ है फैशन की ओट है, सबकुछ उघाड़ है पब्लिक की पीठ पर बजट का पहाड़ है गिन लो जी, गिन लो, गिन लो जी, गिन लो मास्टर की छाती में कै ठो हाड़ है! गिन लो जी, गिन लो, गिन लो जी, गिन लो मज़दूर की छाती में कै ठो हाड़ है! गिन लो जी, गिन लो, गिन लो जी, गिन लो घरनी की छाती में कै ठो हाड़ है! गिन लो जी, गिन लो, गिन लो जी, गिन लो बच्चे की छाती में कै ठो हाड़ है! देख लो जी, देख लो, देख लो जी, देख लो पब्लिक की पीठ पर बजट का पहाड़ है! मेला है, ठेला है, भारी भीड़-भाड़ है पटना है, दिल्ली है, वहीं सब जुगाड़ है फ्रिज है, सोफा है, बिजली का झाड़ है फैशन की ओट है, सबकुछ उघाड़ है महल आबाद है, झोपड़ी उजाड़ है गऱीबों की बस्ती में उखाड़ है, पछाड़ है धत् तेरी, धत् तेरी, कुच्छों नहीं! कुच्छों नहीं ताड़ का तिल है, तिल का ताड़ है ताड़ के पत्ते हैं, पत्तों के पंखे हैं पंखों की ओट है, पंखों की आड़ है कुच्छों नहीं, कुच्छों नहीं ताड़ का तिल है, तिल का ताड़ है पब्लिक की पीठ पर बजट का पहाड़ है! किसकी है जनवरी, किसका अगस्त है! कौन यहां सुखी है, कौन यहां मस्त है! सेठ ही सुखी है, सेठ ही मस्त है मंत्री ही सुखी है, मंत्री ही मस्त है उसी की है जनवरी, उसी का अगस्त है। #बाबा_नागार्जुन वाणी मेरी नही लेकिन विचार इनके जैसे ही है किसकी है जनवरी, किसका अगस्त है? कौन यहां सुखी है, कौन यहां मस्त है? सेठ है, शोषक है, नामी गला-काटू है गालियां भी सुनता है, भारी थूक-चाटू है चोर है, डाकू है, झूठा-मक्कार है कातिल है, छलिया है, लुच्चा-लबार है जैसे भी टिकट मिला, जहां भी टिकट मिला
वाणी मेरी नही लेकिन विचार इनके जैसे ही है किसकी है जनवरी, किसका अगस्त है? कौन यहां सुखी है, कौन यहां मस्त है? सेठ है, शोषक है, नामी गला-काटू है गालियां भी सुनता है, भारी थूक-चाटू है चोर है, डाकू है, झूठा-मक्कार है कातिल है, छलिया है, लुच्चा-लबार है जैसे भी टिकट मिला, जहां भी टिकट मिला #बाबा_नागार्जुन
read moreGautam Rajput
#देशी _हा_ अनपढ़_ कोन्या# आज वा # 👰बैरण # न्यू बोली तु मेरे नखरे कोनी ओट सकता मखा रैन दे #बावली# हमनें तो बडे बडे केस ओट लिये तेरे #नखरे# तो सोदा ही कै सै।।
पुष्पम पण्डित
शाम की ओट में मैं तलाशू उसे जिंदगी में मेरे जो निशा कर गयी मैं तो था बेखबर दुनिया से यू मगर छोड़ जबसे गयी इक दिशा भर गई शाम की ओट..... #NojotoQuote #lonely शाम की ओट में मैं ... VARSHA KUSHWAH Kajal Singh Amit Kumar Shaw Rohit Prasad Reyaz Ahmad
#lonely शाम की ओट में मैं ... VARSHA KUSHWAH Kajal Singh Amit Kumar Shaw Rohit Prasad Reyaz Ahmad
read moreParul Sharma
हम तो कब से गमों से ओट किये बैठे हैं और आँशू हैं कि.... बहने की जिद् लिये बैठे हैं। पारुल शर्मा #गम#ओट#आँशू#बहना#जिद्#बैठना #2liner #nojotohindi#nojoto#nojotoquotes#nojotoofficial#hindi#shayari#hindipoetry#poetry#sher#हिन्दीकविता#शेर#शायरी#कविता#रचना#h#kavishala#hindipoet#TST#Kalakash#Faiziqbalsay#motivation#kavi#kavishala#kavi# #कवि#life#शायर#कवि#life#जीवन #इश्क #मोहब्बत #प्यार #love
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read moreAnil Siwach
।।श्री हरिः।। 34 - अन्वेषण 'तू क्या ढूंढ़ रहा है?' जब कोई कमर झुकाकर भूमि से दृष्टि लगाए एक-एक तृण का अन्तराल देखता धीरे-धीरे पद उठाता चले तो समझना ही होगा कि उसकी कोई वस्तु खो गयी है और वह उसे ढूंढ रहा है। साथ ही वह वस्तु बहुत छोटी होनी चाहिये, जो तृणों की भी ओट में छिप सके। कन्हाई कमर झुकाये एक-एक पद धीरे-धीरे उठाता चल रहा है। इस चपल ऊधमी के लिये इस प्रकार पृथ्वी पर नेत्र गड़ाकर चलना सर्वथा अस्वाभाविक है। ऐसी क्या वस्तु इसकी खोयी है कि इतनी शान्ति से, इतनी स्थिरता एकाग्रता से लगा है अन्वेषण
read moreAbhishek Singh
#Hindi #Poetry #बड़ाभिखारी कृपया मेरी ये कविता एक बार अवश्य पढ़ें। "बड़ा भिखारी" इक आस भरी दो नज़रों से, वो दर दर हाँथ फैलाता था, कहीं पे कुछ पा जाता था,
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