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वेदों की दिशा

।। ओ३म् ।।

उद्गीतमेतत्परमं तु ब्रह्म तस्मिंस्त्रयं सुप्रतिष्ठाऽक्षरं च।
अत्रान्तरं ब्रह्मविदो विदित्वा लीना ब्रह्मणि तत्परा योनिमुक्ताः॥

उपनिषदों में स्पष्ट रूप से परम ब्रह्म की घोषणा की गयी है। यह त्रिपक्षीय है। यह सुदृढ़ आश्रय तथा अविनाशी है। इसके आन्तरिक सारतत्व को जानकर वेदज्ञ ऋषि उसमें लीन हो गये और जन्म से मुक्त हो गये।

This is expressly declared to be the Supreme Brahman. In that is the triad. It is the firm support, and it is the imperishable. Knowing the inner essence of this, the knowers of Veda become devoted to Brahman, merge themselves in It, and are released from birth.

( श्वेताश्वतरोपनिषद् १.७ ) #श्वेताश्वतरोपनिषद् #उपनिषद् #ब्रह्मा #मुनि #मोक्ष #ज्ञान

N@rayan gehlot

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*आज का प्रेरक प्रसंग*
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*माता ब्रह्मचारिणी*
हिमवान के घर में जन्मी माता पार्वती जब अपने बाल्यकाल में अपनी सखियों के साथ खेल रही थीं तब नारद मुनि वहाँ आए और उन्होने बालिका पार्वती से कहा कि उनकी शादी हमेशा औघड़ की तरह रहने वाले तीनों लोकों के स्वामी भगवान शिव से होगी। इतना सुन कर उन्होने मन ही मन शिवजी को अपना पति मान लिया और भगवान शिव को अपने पति के रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या करने लगीं।
 कुछ दिनों तक कठिन उपवास रखे और खुले आकाश के नीचे वर्षा और धूप के घोर कष्ट सहे। तीन हजार वर्षों तक टूटे हुए बिल्व पत्र खाए और भगवान शंकर की आराधना करती रहीं। इसके बाद तो उन्होंने सूखे बिल्व पत्र खाना भी छोड़ दिए। कई हजार वर्षों तक निर्जल और निराहार रह कर तपस्या करती रहीं. पत्तों को खाना छोड़ देने के कारण ही इनका नाम अपर्णा नाम पड़ गया।
इसे भी पढें: प्रथम देवी: माता शैलपुत्री की व्रत कथा और पूजा विधि
कठिन तपस्या के कारण देवी का शरीर एकदम क्षीण हो गया। देवता, ऋषि, सिद्धगण, मुनि सभी ने ब्रह्मचारिणी की तपस्या को अभूतपूर्व पुण्य कृत्य बताया, सराहना की और कहा- हे देवी आज तक किसी ने इस तरह की कठोर तपस्या नहीं की। यह आप से ही संभव थी। आपकी मनोकामना परिपूर्ण होगी और भगवान चंद्रमौलि शिवजी तुम्हें पति रूप में प्राप्त होंगे। अब तपस्या छोड़कर घर लौट जाओ। जल्द ही आपके पिता आपको लेने आ रहे हैं। माँ की कथा का सार यह है कि जीवन के कठिन संघर्षों में भी मन विचलित नहीं होना चाहिए। माँ ब्रह्मचारिणी देवी की कृपा से सर्व सिद्धि प्राप्त होती है।
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*न@रायण गेहलोत*
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मेरी आपबीती

  प्रेम एक कोमल एहसास , एक सुखद अनुभूति और कभी न सुलझने वाली पहेली । प्रेम के स्वरूप पर मेरा मानना है कि प्रेम का स्वरूप अथाह है इसका वर्णन करना अर्थात प्रेम शब्दो को नीचा दिखाना होगा । एक माँ अपने पुत्र को देखने के लिए सदा आतुर रहती है सदा उसकी कुशल मंगल की कामना करती है ,एक सच्चा प्रेमी अपनी प्रेमिका के बगैर नही रह सकता । प्रेम के स्वरूप और विस्तार के बारे में एक माँ और प्रेमी -प्रेमिका ही बता सकता है वरना प्रेम को किसने देखा है । इंसान की सारी भागदौड़ का प्रेम पर ही आ कर अंत हो जाता है । या ये #Poetry #Stories #writersofindia #wordporn #writersofinstagram #micropoetry #poetrycommunity #wordgasm #nojotoofficial #hindiwriting #hindikavita #nojotohindi #hindishayari #शायरी #storytelling #loveshayari #hindipoets #hindiwriter #nojotoapp #hindi_poetry #hindi_shayari #HindiLover #poetsofindia #igpoets #indianwriters #poemsofig #writeraofindia #sajal #aabhawrites #aaruswrites #meri_aapbeeti_ #aarukibaatein #saju #meriaapbeeti

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" प्रेम विस्तार है और स्वार्थ संकुचन "
- स्वामी विवेकानंद 
( अनुशीर्षक में पढ़े )  
©आराधना   प्रेम एक कोमल एहसास , एक सुखद अनुभूति और कभी न सुलझने वाली पहेली । प्रेम के स्वरूप पर मेरा मानना है कि प्रेम का स्वरूप अथाह है इसका वर्णन करना अर्थात प्रेम शब्दो को नीचा दिखाना होगा । एक माँ अपने पुत्र को देखने के लिए सदा आतुर रहती है सदा उसकी कुशल मंगल की कामना करती है ,एक सच्चा प्रेमी अपनी प्रेमिका के बगैर नही रह सकता । प्रेम के स्वरूप और विस्तार के बारे में एक माँ और प्रेमी -प्रेमिका ही बता सकता है वरना प्रेम को किसने देखा है । इंसान की सारी भागदौड़ का प्रेम पर ही आ कर अंत हो जाता है । या ये

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सुर नर मुनि सब कै यह रीती।
स्वारथ लागि करहिं सब प्रीती।

देवता आदमी मुनि सबकी यही रीति है कि सब अपने स्वार्थपूर्ति हेतु ही प्रेम करते हैं।

तुलसीदास । Hightech Hindi

दिल जले

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मुनि श्री 108बिभंजन सागर जी महाराज के लिये आज बस्सी जैन समाज को मुनि श्री कोआहार देने का सौभाग्य प्राप्त हु आ

Divya Prakash Singh

"हॉफ पैंट वाली लड़की" "ए मरदे का होई।" "काहे कुच्छो बतईले ना का।" प्रश्न का उत्तर ना देते हुए एक हृदयविदारक प्रश्न हमारे प्रगाढ़ मित्र गौरव ने हमीं से पूछ लिया। हम क्या जवाब देते कि,अंदर कितनी बेइज्जती हुई।वैसे एक बात बताएं गौरव हमारे अंतर्मन की बात जान लेता है।उ हमारा खास मित्र है ई बात केवल हम नहीं कहते हैं।ई बात सारी फैकल्टी जानती है। बात प्रथम वर्ष प्रथम सत्रांश के अंतिम दिनों की है।संकाय द्वारा राजभाषा,देवभाषा,प्राचीन भारतीय इतिहास तथा संस्कृति एवं पुरातत्व व आंग्ल भाषा जबरदस्ती की भाषा के #nojotohindi #Nojotostories #first_story

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"ए मरदे का होई।"
"काहे कुच्छो बतईले ना का।"

"हॉफ पैंट वाली लड़की"
पूरी रचना अनुशीर्षक में पढ़ें। #NojotoQuote "हॉफ पैंट वाली लड़की"

"ए मरदे का होई।"
"काहे कुच्छो बतईले ना का।"
प्रश्न का उत्तर ना देते हुए एक हृदयविदारक प्रश्न हमारे प्रगाढ़ मित्र गौरव ने हमीं से पूछ लिया।
हम क्या जवाब देते कि,अंदर कितनी बेइज्जती हुई।वैसे एक बात बताएं गौरव हमारे अंतर्मन की बात जान लेता है।उ हमारा खास मित्र है ई बात केवल हम नहीं कहते हैं।ई बात सारी फैकल्टी जानती है।
बात प्रथम वर्ष प्रथम सत्रांश के अंतिम दिनों की है।संकाय द्वारा राजभाषा,देवभाषा,प्राचीन भारतीय इतिहास तथा संस्कृति एवं पुरातत्व व आंग्ल भाषा जबरदस्ती की भाषा के

Anil Siwach

।।श्री हरिः।। 33 - यह अर्चक कभी कोई ऋषि-मुनि वन में भी आ जाते हैं। वैसे नन्द भवन में तो ये आते ही रहते हैं। बाबा, मैया इन लोगों की बडी श्रद्धा से पूजा करते हैं। कन्हाई सम्भवतः यही देख-देखकर ऋषियों की अर्चा करना सीख गया है। कोई ऋषि वन में आ जायें तो यह चपल सहसा गम्भीर हो जाता है। सभी गोपकुमार श्रद्धालु हैं। ऋषि-मुनियों को प्रणाम करने में उनकी सेवा-पूजा करने में सब उत्साह रखते हैं; किंतु यह काम कन्हाई से जैसा उत्तम बनता है, दूसरों से तो नहीं बनता। इसलिये ऐसे समय यह स्वयं अग्रणी बन जाता है। दाऊ द

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।।श्री हरिः।।
33 - यह अर्चक

कभी कोई ऋषि-मुनि वन में भी आ जाते हैं। वैसे नन्द भवन में तो ये आते ही रहते हैं। बाबा, मैया इन लोगों की बडी श्रद्धा से पूजा करते हैं। कन्हाई सम्भवतः यही देख-देखकर ऋषियों की अर्चा करना सीख गया है।

कोई ऋषि वन में आ जायें तो यह चपल सहसा गम्भीर हो जाता है। सभी गोपकुमार श्रद्धालु हैं। ऋषि-मुनियों को प्रणाम करने में उनकी सेवा-पूजा करने में सब उत्साह रखते हैं; किंतु यह काम कन्हाई से जैसा उत्तम बनता है, दूसरों से तो नहीं बनता। इसलिये ऐसे समय यह स्वयं अग्रणी बन जाता है। दाऊ द

Sagar Kumar

एक दुर्लभ कथा लक्ष्मण जी की लक्ष्मण जी के त्याग की अदभुत कथा । एक अनजाने सत्य से परिचय--- -हनुमानजी की रामभक्ति की गाथा संसार में भर में गाई जाती है।

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एक दुर्लभ कथा  लक्ष्मण जी की

लक्ष्मण जी के त्याग की अदभुत कथा । 

एक अनजाने सत्य से परिचय---

-हनुमानजी की रामभक्ति की गाथा  संसार  में भर  में  गाई 
जाती है।


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