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Raz Nawadwi

ग़ज़ल-२५४ (१२२२-१२२२-१२२)
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सियासत में बड़ा कोई नहीं है
हैं पौने सब, सवा कोई नहीं है //१

ये गुटखा हर जगह जो थूकते हैं 
इन्हें क्यों टोकता कोई नहीं है //२

भुला देंगे भला जो भी किया, पर
बुराई भूलता कोई नहीं है //३

मियाँ परहेज़ में ही है गुज़ारा
करोना की दवा कोई नहीं है //४

बहुत देखें हैं पंडित और फ़ाज़िल
ख़ुदा से आशना कोई नहीं है //५

उठा जो 'राज़' सो के ज़िंदगी से
तो देखा दूसरा कोई नहीं है //६

#राज़_नवादवी© #peace

Raz Nawadwi

#ग़ज़ल_غزل: २३०
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2122-2122-2122

मैं हूँ राजा और तू रानी की तरह है
ज़िंदगी सचमुच कहानी की तरह है //१

हुस्न तेरा है पहाड़ों की तरह और
इश्क़ मेरा बहते पानी की तरह है //२

मैं तरसता हूँ किसी शाइर के जैसा
तू किसी कमसिन जवानी की तरह है //३

बाक़ी सब हैं आम शह्रों की तरह पर
तेरा चेहरा राजधानी की तरह है //४

वो किसी के दुख में हो जाती है शामिल
माँ हमारी बूढ़ी नानी की तरह है //५

'राज़' हम क्या शह्र जा कर ढूँढ़ते हैं
ज़िंदगी तो गाँव ढानी की तरह है //६

#राज़_नवादवी© #lovequote

Raz Nawadwi

#ग़ज़ल_غزل: २३०
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2122-2122-2122

मैं हूँ राजा और तू रानी की तरह है
ज़िंदगी सचमुच कहानी की तरह है //१

हुस्न तेरा है पहाड़ों की तरह और
इश्क़ मेरा बहते पानी की तरह है //२

मैं तरसता हूँ किसी शाइर के जैसा
तू किसी कमसिन जवानी की तरह है //३

बाक़ी सब हैं आम शह्रों की तरह पर
तेरा चेहरा राजधानी की तरह है //४

वो किसी के दुख में हो जाती है शामिल
माँ हमारी बूढ़ी नानी की तरह है //५

'राज़' हम क्या शह्र जा कर ढूँढ़ते हैं
ज़िंदगी तो गाँव ढानी की तरह है //६

#राज़_नवादवी©
कमसिन जवानी- कमउम्र #Flower

Raz Nawadwi

#ग़ज़ल_غزل: २२८
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1212-1122-1212-22/112

तुम्हारे होंठ पे काला वो ख़ाल अच्छा है
कोई भी देखे तो बोले कि माल अच्छा है //१

किसी भी सम्त से आओ कि बोसा ले लूँ मैं
तुम्हारी दोनों तरफ़ का ही गाल अच्छा है //२

जो तेरी चाल सी बहके, नज़र वो है प्यारी
जो तेरे जिस्म सा महके वो बाल अच्छा है //३

सदाएँ तेरी किसी को भी खींच लेती हैं
कि तेरे तर्ज़े सुख़न का कमाल अच्छा है //४ 

सवाल जिसपे न उट्ठे जवाब वो बेहतर
जवाब जिसका नहीं वो सवाल अच्छा है //५

तेरे बग़ैर मज़े कुछ नहीं हैं जन्नत के
जो तू हो साथ तो कोई वबाल अच्छा है //६

मैं तेरे पाँव दबाऊँगा रोज़ मिहनत से 
मुझे तू काम पे कर ले बहाल, अच्छा है //७

कहा जो मैंने इरादा है तुमसे शादी का
तो उसने कान में बोला, ख़्याल अच्छा है //८

ऐ 'राज़' इसमें भी कुछ है असर बिरहमन का
किसी नजूमी का कहना कि साल अच्छा है //९

#राज़_नवादवी© #LookingDeep

Raz Nawadwi

#ग़ज़ल_غزل: २२८
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1212-1122-1212-22/112

तुम्हारे होंठ पे काला वो ख़ाल अच्छा है
कोई भी देखे तो बोले कि माल अच्छा है //१

किसी भी सम्त से आओ कि बोसा ले लूँ मैं
तुम्हारे दोनों तरफ़ का ही गाल अच्छा है //२

जो तेरी चाल सी बहके, नज़र वो है प्यारी
जो तेरे जिस्म सा महके वो बाल अच्छा है //३

सदाएँ तेरी किसी को भी खींच लेती हैं
कि तेरे तर्ज़े सुख़न का कमाल अच्छा है //४ 

सवाल जिसपे न उट्ठे जवाब वो बेहतर
जवाब जिसका नहीं वो सवाल अच्छा है //५

तेरे बग़ैर मज़े कुछ नहीं हैं जन्नत के
जो तू हो साथ तो कोई वबाल अच्छा है //६

मैं तेरे पाँव दबाऊँगा ख़ूब मिहनत से 
मुझे तू काम पे कर ले बहाल अच्छा है //७

कहा जो मैंने इरादा है तुमसे शादी का
तो उसने कान में बोला, ख़्याल अच्छा है //८

ऐ 'राज़' उसपे भी कुछ है असर बिरहमन का
किसी नजूमी का कहना कि साल अच्छा है //९

#राज़_नवादवी© #mentalHealth

Raz Nawadwi

Dekh Bhai 
1212-1122-1212-22/112
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किसी को ख़ार किसी को गुलाब देता है
ख़ुदा किए का सभी को हिसाब देता है //१

क़ुसूर तेरे दुखों में नहीं है ख़ालिक़ का 
किसी को उसका अमल ही अज़ाब देता है //२

ख़ुदा ख़मोश है कहता तो कुछ नहीं लेकिन 
समय पे सबको मुनासिब जवाब देता है //३

#राज़_नवादवी© #Meme

Raz Nawadwi

#ग़ज़ल_غزل: २२५
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1212-1122-1212-22/112

किसी को ख़ार किसी को गुलाब देता है
ख़ुदा किए का सभी को हिसाब देता है //१

क़ुसूर तेरे दुखों में नहीं है ख़ालिक़ का 
किसी को उसका अमल ही अज़ाब देता है //४

ख़ुदा ख़मोश है कहता तो कुछ नहीं लेकिन 
समय पे सबको मुनासिब जवाब देता है //२

जो उसके इश्क़ में डूबा है सर से पाँव तलक
उसे वो ख़ुल्द की उम्दा शराब देता है //३

तेरे ही नूर से हैं क़ल्ब दरख़्शाँ सब के 
हसीन चेहरों को तू ही शबाब देता है //५

जज़ा है मब्नी अमल पे, तभी यहाँ नाज़िम
किसी को ख़ामा, किसी को किताब देता है //६

ऐ 'राज़' नामे ख़ुदा ज़ुल्म सह ले अपनों के
बुरा है वक़्त अभी, क्यों जवाब देता है //७

#राज़_नवादवी© #Krishna

Raz Nawadwi

ग़ज़ल_غزل: २११
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2122-2122-212

था निभाना सख़्त ज़रदारों के बीच
मैं कहाँ टिकता अदाकारों के बीच //१

दिख ही जाता है अलग से भीड़ में 
एक आबिद सौ गुनहगारों के बीच //२

चाहिए उसको थके हारे बदन
नींद मर जाती है बेदारों के बीच //३

प्यार है दो मुल्क के अक़्वाम में
पर है नफ़रत उनकी सरकारों के बीच //४

दे दिया ज़रदार की बेटी को दिल
चुन दिया जाऊँ न दीवारों के बीच //५

कब तलक ज़िंदा बचेगा तुम कहो
एक सेहतमंद बीमारों के बीच //६

रात को बोटी का चखना और मय
है बहुत मशहूर सरदारों के बीच //७

ज़ब्त हो कर आई थी ठेके से राज़
बँट गई दारू हवलदारों के बीच //८

#राज़_नवादवी©

ज़रदार- धनी व्यक्ति; अदाकार- अभिनयकार; 
आबिद- इबादत करने वाला, तपस्वी; 
बेदार- जागा हुआ, जागृत; 
अक़्वाम- क़ौम का बहुवचन, बिरादरियाँ; 
बोटी- माँस का टुकड़ा; मय- शराब #Hair

Raz Nawadwi

ग़ज़ल_غزل: २०७
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🌺🌻🌼🌷🌼💮🌸

🥀मिर्ज़ा ग़ालिब के अंदाज़ में कहे कुछ शेर🥀

221-2121-1221-212

दुन्या की कोई ज़ुह्रा जबीं में वो ढब नहीं
तेरी तरह तो हूर भी ऐ ग़ुंचा-लब नहीं //१

ज़ाहिद तो मैं नहीं कि तेरी आरज़ू न हो 
तू सामने हो और मैं बोसा तलब नहीं? //२

बस देखने ही दे मुझे अपने शबाब को
माना कि खेलने की मेरी उम्र अब नहीं //३

जब साक़िया हो तुझसा, सुबू जब तेरी नज़र
हो जाए ख़त्म ऐसी तो शामे तरब नहीं //४

लिखते हैं अपने ख़ून से हम फ़त्ह की ग़ज़ल
है जंग का महाज़ ये, बज़्मे अदब नहीं //५

क्या 'राज़' मेरे शौक़ ए बुताँ का बयाँ करूँ 
है कौन ऐसा काम कि जिसका सबब नहीं //६

#राज़_नवादवी© #hearts

Raz Nawadwi

#ग़ज़ल_غزل: २०४
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1222-1222-122

है खाना तो रखा, थाली नहीं है
वो क्या है, घर पे घरवाली नहीं है //१

बुरा है हाल तेरे बिन किचन का 
पियूँ मैं चाय क्या, प्याली नहीं है //२

बियाबां क्यों न हो जाए मेरा घर
बगीचा है मगर माली नहीं है //३

लगूँ सरकार को गाली मैं देने
अभी इतनी भी कंगाली नहीं है //४

अबे आ जा कमीने भाई मेरे
कि ऐसा बोलना गाली नहीं है //५

बहाया ख़ून मज़हब ने यहाँ भी
नबातों में भी हरियाली नहीं है //६

कहाँ जाओगे मरकर तुम अदम में
कोई कमरा वहाँ ख़ाली नहीं है-//७

न आना हम अदीबों के महल्ले
कि इस बस्ती में ख़ुशहाली नहीं है //८

दुआ भी क्या करें हम बर्गे नौ की
किसी भी पेड़ में डाली नहीं है //९

बिगड़ जाती हैं फ़सलें 'राज़' वाँ तो
जहाँ खेतों की रखवाली नहीं है //१०

#राज़_नवादवी© #worldnotobaccoday
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