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Nitesh Prajapati

"वात्सल्य रस" (पिता पुत्र का प्रेम) 

बाप और बेटे के बीच होता है प्यार अपार,
लेकिन कभी जता नहीं पाते एक दूसरे से। 

हालांकि एक बाप को बेटी बहुत प्यारी होती है, 
लेकिन वह अपने बेटे को भी बहुत ही प्यार करते हैं। 

बेटा कभी ज़ाहिर नहीं कर पाता बाप के प्रति प्यार, 
लेकिन उसके दिल में होता है अनहद प्यार। 

डरता है एक बेटा अपने बाप को गले लगाने से, 
इसका मतलब दूरी नहीं बल्कि दोनों के बीच होता है वात्सल्य रस। 

वैसे ही एक बाप अपने बेटे को कितना भी डांट ले, 
लेकिन मन में तो उसके बेटे की तरक्की ही होती है। 

बचपन में एक बाप बेटे को ऊंगली पकड़कर चलना सिखाता है, 
वही बेटा बुढ़ापे में उस बाप का आखिरी साँस तक सहारा बनता है। 

-Nitesh Prajapati 


 रचना क्रमांक :-5

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jagruti vagh

हमारे बीच रिश्ता नहीं खून का
पर राब्ता है दिल से दिल का

वो है माँसी की नन्ही गुड़िया
मेरी तो वो मस्ती की पुड़िया

माँ-बाप से ज्यादा रहे मेरे पास
मुझे दिलाती मातृत्व का एहसास

उसका नखरे करके खाना-पीना
मुझे देखते ही रोना भूल जाना

मेरी बाहों में सदा कांधे पर सोती
होंठ मेरे गालों पर रख मुझे चुमती

उसके आगे भूल जाऊ सारा जहाँ
 वो है जैसे मेरी बेटी और मैं माँ 

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भाग्य श्री बैरागी

वो, जिसकी ममता के आगे,त्रिदेव बालक हुए, जिससे वंचित होने पर शिवांश अंधक हुए। नग्न ही जिसके सामने ठुमककर चलते हैं, नारायण दो बार, धरती पर अवतरित हुए। जो युगों को, अपने हृदय में बसाती है, फिर वह दुग्ध अपने शिशु को पिलाती है। #कोराकाग़ज़ #collabwithकोराकाग़ज़ #विशेषप्रतियोगिता #kkकाव्यमिलन #कोराकाग़ज़काव्यमिलन #काव्यमिलन_5 #मेरी_बै_रा_गी_कलम

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वो,
जो  युगों  को  अपने हृदय में, बसाती है,
फिर वह दुग्ध अपने शिशु को पिलाती है,
दिनकर से पहले जाग, पिता की परछाई,
एक नारी मेरे जीवन को जीवन बनाती है।

वो,
जेबें भर  जाती हैं, अक्सर मेरी उनके घर आने से,
मुस्कुरा  उठती है, पूरी  दुनिया उनके मुस्कुराने से।
भक्तवत्सल जिसके कहने से वन-वन विचरण करे,
ये वो महान हस्तियाॅं हैं,खाते हम जिनके कमाने से।
शेष अनुशीर्षक में वो,
जिसकी ममता के आगे,त्रिदेव बालक हुए,
जिससे वंचित होने पर शिवांश अंधक हुए।
नग्न ही जिसके सामने ठुमककर चलते हैं,
नारायण दो बार, धरती पर अवतरित हुए।

जो युगों को, अपने  हृदय  में  बसाती है,
फिर वह दुग्ध अपने शिशु को पिलाती है।

Divyanshu Pathak

देखत ही मुसकाय उठै नैनन सों मोय बुलाय उठै
मैं ना ध्यान दऊँ बापै हालही तो  बिल्खाय  उठै।

बिन भाषा के ही बैन करै लाख तरह के सैन करै
जाने का गावै वो जानें रोवै तो अञ्जन रैन  करे।

जब गोद उठाऊँ मैं वाकूं हर्षित हो जावै वो छोरी
आनन पे हाथ रखे मेरे वात्सल्य लुटावै वह भोरी

अनुराग बालपन कौ देख्यो पुलकित होवें वैरागी
अशक्ति बढ़े सन्याशी में तुलकित होते  मेहराती।

ईश्वर का रूप रहै टिंगर घर में खिलते फूल भळै।
सुख सागर से आँगन दुःख दूर खड़ा हो हाथ मलै। #काव्यमिलन_5  #kkकाव्यमिलन #विशेषप्रतियोगिता #collabwithकोराकाग़ज़ #कोराकाग़ज़काव्यमिलन #पाठकपुराण #कोराकाग़ज़

नेहा उदय भान गुप्ता

मेरी सूनी गोदी में आके, किलकारी कर तूने खेला है,
सूना सूना आँगन, तूने हसीं ठिठोले का डारा डेरा है।
मातृत्व जगाया मुझमें, परि पूर्ण हुई आने से मैं तेरे,
चहूँ ओर है फ़ैला खिलौना, तूने हर सामान बिखेरा है।।
सूने घर को आबाद किया, तुझपे जीवन निसार दूँ।
आ जा मेरे बेटे राज दुलारे, तुझको मैं लाड़ लगा लूँ।।

मांँ बेटे के नाते का तुमने, स्नेह का डोर खींचा है, 
माँ कहकर तुमने, वात्सल्यता से मुझको सींचा है।
भूल गई सारे रिश्ते नाते, जबसे कोख में तू आया,
मेरा अंश मेरा बीज, तेरा स्थान बेटा सबसे ऊँचा है।
आ मेरे कलेजे के टुकड़े, तुझको जी भरके प्यार दूँ
आ जा मेरे बेटे राज दुलारे, तुझको मैं लाड़ लगा लूँ।।

नज़र ना लगे तुझे जमाने की, अपने आँचल में छुपा लूँ
तेरी सूरत पे मैंने, अपनी ममता का सारा कोष लूटा दूँ।
जब से आया गोद में मेरे तू बेटे, मैंने ये जग बिसराई है,
तुम्हें निहारे बस अंखियाँ मेरी, सीने से तुझे लगा लूँ।।
लगा कर काला टीका, आ बेटे तेरी नज़र उतार दूँ।
आ जा मेरे बेटे राज दुलारे, तुझको मैं लाड़ लगा लूँ

पीकर छाती का अमृत , मेरे स्त्रीत्व को धन्य किया है,
अपने नटखटपन में, तूने मुझको मेरा बचपन दिया है।
हुई मेरी उमरिया लम्बी, सुन कर तेरी तोतली बतिया,
राम कृष्ण बनके, यशोदा कौशल्या जैसा मान दिया है।।
तू मेरा जीवन, तुझ पर मैं तो अपना सर्वस्व लूटा दूँ।
आ जा मेरे बेटे राज दुलारे, तुझको मैं लाड़ लगा लूँ।। 
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#कोराकाग़ज़   
#neha_ram

नेहा उदय भान गुप्ता😍🏹

मेरी सूनी गोदी में आके, किलकारी कर तूने खेला है,
सूना सूना आँगन, तूने हसीं ठिठोले का डारा डेरा है।
मातृत्व जगाया मुझमें, परि पूर्ण हुई आने से मैं तेरे,
चहूँ ओर है फ़ैला खिलौना, तूने हर सामान बिखेरा है।।
सूने घर को आबाद किया, तुझपे जीवन निसार दूँ।
आ जा मेरे बेटे राज दुलारे, तुझको मैं लाड़ लगा लूँ।।

मांँ बेटे के नाते का तुमने, स्नेह का डोर खींचा है, 
माँ कहकर तुमने, वात्सल्यता से मुझको सींचा है।
भूल गई सारे रिश्ते नाते, जबसे कोख में तू आया,
मेरा अंश मेरा बीज, तेरा स्थान बेटा सबसे ऊँचा है।
आ मेरे कलेजे के टुकड़े, तुझको जी भरके प्यार दूँ
आ जा मेरे बेटे राज दुलारे, तुझको मैं लाड़ लगा लूँ।।

नज़र ना लगे तुझे जमाने की, अपने आँचल में छुपा लूँ
तेरी सूरत पे मैंने, अपनी ममता का सारा कोष लूटा दूँ।
जब से आया गोद में मेरे तू बेटे, मैंने ये जग बिसराई है,
तुम्हें निहारे बस अंखियाँ मेरी, सीने से तुझे लगा लूँ।।
लगा कर काला टीका, आ बेटे तेरी नज़र उतार दूँ।
आ जा मेरे बेटे राज दुलारे, तुझको मैं लाड़ लगा लूँ

पीकर छाती का अमृत , मेरे स्त्रीत्व को धन्य किया है,
अपने नटखटपन में, तूने मुझको मेरा बचपन दिया है।
हुई मेरी उमरिया लम्बी, सुन कर तेरी तोतली बतिया,
राम कृष्ण बनके, यशोदा कौशल्या जैसा मान दिया है।।
तू मेरा जीवन, तुझ पर मैं तो अपना सर्वस्व लूटा दूँ।
आ जा मेरे बेटे राज दुलारे, तुझको मैं लाड़ लगा लूँ।। 
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yogesh atmaram ambawale

मेरी बेटी मेरा अभिमान.. #kkकाव्यमिलन #कोराकाग़ज़काव्यमिलन #काव्यमिलन_5 #collabwithकोराकाग़ज़ #कोराकाग़ज़ जिंदगी हर पल अनमोल है,जब तक साथ है तू, सब कुछ भूल कर भी जिसे कभी ना भूलूं, तोहफा वो खास है तू| धड़कते मेरे दिल की हर धड़कन का एहसास है तू, कहते हैं जिसे प्यार उस प्यार के हर अक्षर है तू| हद से बढ़ कर जिसे चाहूं,वो बेहद वाला प्यार है तू , रूप कई देवी के,जिसे ज्यादा पूजू देवी का वो अवतार है तू|

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जिंदगी हर पल अनमोल है,जब तक साथ है तू,
सब कुछ भूल कर भी जिसे कभी ना भूलूं,तोहफा वो खास है तू|
धड़कते मेरे दिल की हर धड़कन का एहसास है तू,
कहते हैं जिसे प्यार उस प्यार के हर अक्षर है तू|
हद से बढ़ कर जिसे चाहूं,वो बेहद वाला प्यार है तू ,
रूप कई देवी के,जिसे ज्यादा पूजू देवी का वो अवतार है तू|
मां का लाडला दुलारा बेटा,पर मेरी लाडली दुलारी बेटी है तू,
देखूं जो तुझे तो पलभर में मिट जाए थकान, ऐसी दवा है तू|
मेरे लिए देवी के रूप में,लक्ष्मी भी तू सरस्वती भी तू,
नाज़ हर किसीको अपने बच्चों पर,मेरा नाज़ मेरा अभिमान है तू| मेरी बेटी मेरा अभिमान..
#kkकाव्यमिलन #कोराकाग़ज़काव्यमिलन #काव्यमिलन_5 #collabwithकोराकाग़ज़ #कोराकाग़ज़ 
जिंदगी हर पल अनमोल है,जब तक साथ है तू,
सब कुछ भूल कर भी जिसे कभी ना भूलूं, तोहफा वो खास है तू|
धड़कते मेरे दिल की हर धड़कन का एहसास है तू,
कहते हैं जिसे प्यार उस प्यार के हर अक्षर है तू|
हद से बढ़ कर जिसे चाहूं,वो बेहद वाला प्यार है तू ,
रूप कई देवी के,जिसे ज्यादा पूजू देवी का वो अवतार है तू|

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काव्य मिलन पांचवा चरण वात्सल्य भाव एक माँ का वात्सल्य 💐🇮🇳💐🇮🇳💐🇮🇳💐🇮🇳💐🇮🇳💐🇮🇳💐🇮🇳💐🇮🇳💐 माँ का वात्सल्य भाव अपने संतान के प्रति लगाव कभी खत्म नहीं होता वो माँ का प्रेम भाव बड़ा ही निस्वार्थ होता है,जब बेटा उसका सरहद पर हर मौसम की #trendingquotes #कोराकाग़ज़ #collabwithकोराकाग़ज़ #tarunasharma0004 #विशेषप्रतियोगिता #kkकाव्यमिलन #कोराकाग़ज़काव्यमिलन #काव्यमिलन_5

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एक माँ का वात्सल्य 
एक माँ का वात्सल्य भाव निहारता है
निशदिन अपने फौजी बने बेटे के आगमन 
को,
हर कोना कोना याद करती बचपन का 
उसका काश वापस फिर से लौट आने को,
बड़े चाव से जब भी बनाती अपने बेटे के 
पसंद का खाना राह तकती एक निवाला 
खिलाने को,माँ का वात्सल्य भाव वही 
माँ जाने जो अपने अनमोल रत्न जिगर 
के टुकड़े को सरहद पर भेजती है,
मीलों की दूरी ही सही संतान से उसकी
उससे दुआ उसकी सलामती की दिन रैन 
वो फिर भी करती है,
माँ का वात्सल्य भाव कभी कम न होता 
अपने संतान को देखने की आस हर लम्हा 
रखती है आये पैग़ाम बेटे के उसका माँ मैं 
आ रहा हूँ,
यही सुनने को दरवाज़े पर टकटकाती नजर 
रखती है,
 काव्य मिलन 
पांचवा चरण 
वात्सल्य भाव 
एक माँ का वात्सल्य
💐🇮🇳💐🇮🇳💐🇮🇳💐🇮🇳💐🇮🇳💐🇮🇳💐🇮🇳💐🇮🇳💐
माँ का वात्सल्य भाव अपने संतान के प्रति लगाव 
कभी खत्म नहीं होता वो माँ का प्रेम भाव बड़ा ही
निस्वार्थ होता है,जब बेटा उसका सरहद पर हर मौसम की


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